गंजबासौदा । केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दो साल पहले सिरोंज में विधायक उमाकांत शर्मा से बासौदा-गुना रेलवे लाइन के लिए मंजूरी दिलाने का वादा किया था। जब वह पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मीकांत शर्मा को श्रद्धांजलि देने आए थे। उन्होंने इस रेल लाइन से क्षेत्र की जनता को जोड़ने का सपना पूरा करने का वादा किया था। अब तक यह पूरा नहीं हुआ। उनके वर्तमान में रेल मंत्री से अच्छे संबंध हैं। राजनीतिक दृष्टि से यह रेलवे लाइन तीन संसदीय क्षेत्रों के विकास का साथ मील का पत्थर साबित होगी। गुना-बासौदा रेलवे लाइन को 12 साल बाद भी स्वीकृति नहीं मिली। इसका सर्वे 2013 में कराया गया था। सर्वे के बाद परियोजना रिपोर्ट - पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर द्वारा रेल मंत्रालय को भेज दी गई थी। उसके बाद से परियोजना नई दिल्ली के रेलवे मंत्रालय में पड़ी है। इसे बजट में शामिल न नहीं किया गया। उस समय परियोजना पर 627 करोड़ रुपये व्यय होना प्रस्तावित था। यह परियोजना सिरोंज, लटेरी, आरोन को । रेलवे लाइन से जोड़ने के लिए बनाई गई ने है। इससे इन तहसीलों के पिछड़े गांवों ना रेलवे लाइन से जोड़कर उनका विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।
120 किलोमीटर लंबी लाइन
परियोजना में गुना से बासौदा तक 120 किलोमीटर लंबी लाइन डलना प्रस्तावित है। इसमें 18 बड़े पुल, 59 छोटी पुलियां, 17 ओवर ब्रिज, 46 अंडर ब्रिज बनाने का प्रस्ताव था। इसके अतिरिक्त सिरोंज, लटेरी, आरोन पर बड़े रेलवे स्टेशन के साथ 6 हाल्ट स्टेशन तथा 11 लाभान्वित स्टेशन प्रस्तावित किए गए हैं। इसके साथ ही गंजबासौदा को जंक्शन बनाया जाना प्रस्तावित किया गया था।
गुना की 51, विदिशा की 69 किमी
गुना जिले में 51 किमी में यह लाइन डाली जानी है। विदिशा जिले की 69 किलोमीटर लंबाई इसके तहत प्रस्तावित है। इसमें 580 हेक्टेयर निजी भूमि और 44 हेक्टेयर वन भूमि प्रभावित होगी। इसके अधिग्रहण का भी प्रस्ताव परियोजना में शामिल किया गया है। इस रेल खंड में कुल 624 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित होगी।
सिंगल लाइन का प्रस्ताव है
सर्वे के अनुसार 120 किलो मीटर लंबी सिंगल लाइन पर 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में गुना से गंज बासौदा आने के लिए बीना से होकर आना पड़ता है। गुना से बासौदा तक दो यात्री गाड़ियां ही वर्तमान में उपलब्ध हैं। एक इंटरसिटी एक्सप्रेस, दूसरी भोपाल-जोधपुर फास्ट पैसेंजर। इसके अतिरिक्त कोई अन्य सीधी ट्रेन उपलब्ध नहीं है। इस लाइन का मकसद बीना जंक्शन का लोड कम करना भी है। इसी के चलते बासौदा रेलवे स्टेशन से मालगोदाम हटाया गया है। इससे जनसंघ के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध हो।
निर्माण की बड़ेगी लागत
जिस समय इस रेलवे लाइन का सर्वे कराया गया था, उस समय इसकी लागत 627 करोड़ रुपए आंकी गई थी, लेकिन 12 साल में इसकी लागत करीब दोगुना होने की संभावना जताई जा रही है। इसके चलते इस परियोजना की लागत बढ़ सकती है। जितना समय परियोजना को बजट में शामिल करने में लगेगा। इसके चलते लागत भी बढ़ती जाएगी।
31 मई 2013 को सौंपी थी सर्वे रिपोर्ट:
रेलवे ने परियोजना सर्वे के लिए जिस एजेंसी को अधिकृत किया था. उसने अपनी सर्वे रिपोर्ट पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर में जीएम को 31 मई 2013 को सौंपी थी। बाद में जबलपुर जोन द्वारा यह रिपोर्ट रेल मंत्रालय को भेजी गई। दो साल से परियोजना रिपोर्ट अगले चरण की कार्रवाई के लिए रेल मंत्रालय में विचाराधीन है। 12 साल के दौरान उसे रेल बजट में शामिल नहीं किया जा सका। जबकि सांसद और तत्कालीन विदेश मंत्री इस क्षेत्र से प्रतिनिधित्व कर रही थीं। उनके बाद क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसदों ने भी इसमें अब तक कोई रुचि नहीं दिखाई।
रेल मंत्री से जल्द मिलेंगे
रेल लाइन के लिए केंद्रीय रेल मंत्री को पत्र लिखा था। सूचना प्रसारण मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सिरोंज आगमन के दौरान रेल लाइन के लिए पूरा सहयोग देने का वादा किया था। उनको स्मरण पत्र लिखने के साथ समय लेकर केंद्रीय रेल मंत्री से जल्द मिलेंगे।
उमाकांत शर्मा, विधायक, सिरोंज।