गंजबासौदा। विकासखंड के विभिन्न प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं लगातार प्रदेश स्तर पर अपने दमखम से खेल, कला और सांस्कृतिक क्षेत्र में तहसील, जिला, संभाग, प्रदेश और राज्य तक अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकारी स्कूल इस मामले में काफी पीछे हैं, क्योंकि छात्र-छात्राओं को स्कूलों में खेल सुविधाएं नहीं मिलतीं, न ही स्कूलों में खेल शिक्षक उपलब्ध हैं। प्राइवेट स्कूलों में सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। कला, खेलों का प्रशिक्षण और सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। विकासखंड में 339 प्राथमिक से लेकर हायर सेकंडरी स्कूल हैं। नगरीय क्षेत्र के तीन हायर सेकंडरी स्कूलों को छोड़कर किसी भी स्कूल में खेल शिक्षक नहीं हैं। प्राथमिक और माध्यमिक पदरला में पदस्थ शिक्षकों को ही खेल प्रशिक्षण की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन उन्हें पढ़ाने और सरकारी कामों से ही समय नहीं मिलता। प्रशिक्षण कैसे दें? इससे सरकारी स्कूल खेलों सहित कला संस्कृति के क्षेत्र में पिछड़ते जा रहे हैं। इसके बाद भी जो छात्र-छात्राएं खेल, साहित्य, विज्ञान, सांस्कृतिक क्षेत्र में आगे आने की कोशिश कर रहे हैं, वे अपने दम पर स्थान बना रहे हैं।
विकासखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं
सेवानिवृत्त विकासखंड शिक्षा अधिकारी और प्राचार्य ज्ञान प्रकाश भार्गव का कहना है कि पूरे विकासखंड में खेल और कला के क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान प्रोत्साहित किया। वे ऐसी प्रतिभाओं को प्रदेश और नेशनल तक गई। आज भी इनकीद समय रहते रुचि लेकर प्रोत्साहित किया जाए और सुविधाएं व मार्गदर्शन मिले तो राज्य, संभाग, जिला, तहसील स्तर पर छात्र अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकते हैं।
खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम और कला के क्षेत्र में प्राइवेट स्कूल आगे
राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्राइवेट स्कूलों के छात्र-छात्राएं खेल, सांस्कृतिक और कला के क्षेत्र में दमखम दिखा रहे हैं। वर्तमान में सरकारी स्कूल के छात्र-छात्राएं पीछे हैं। पिछले साल राष्ट्रीय स्तर के लिए 5 छात्र चयनित हुए। इनमें से 4 नवांकुर और 1 डाल्फिन का था।
इसी प्रकार सेट एसआरएस के 2 छात्र शामिल थे, जबकि प्रदेश स्तर पर 73 छात्रों का चयन हुआ। इनमें से 38 सेट एसआरएस और 25 नवांकुर व 10 डाल्फिन के छात्र थे। इसी प्रकार संभाग और जिला स्तर में सेंट एसआरएस के 195 और नवांकुर के 160 विद्यार्थियों ने प्रतिभा प्रदर्शन किया। सरकारी स्कूल इनमें पीछे रहे।
प्रशिक्षण की सुविधा नहीं
विकासखंड स्तर पर शासकीय स्कूलों में आधुनिक सर्व सुविधा युक्त सांस्कृतिक हॉल मंच नहीं हैं। न ही प्रशिक्षण की सुविधा सामग्री है। छात्र-छात्राएं और स्कूल जो थोड़ा बहुत पथ प्रदर्शन करते हैं, उसी आधार पर प्रतियोगी खुद अपनी तैयारियां करते हैं। शासकीय माध्यमिक स्कूल के प्रधानाध्यापक अनिल दुबे ने बताया कि यदि प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को सुविधा, सामग्री, और प्रशिक्षण की सुविधा मिले तो वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने झंडे गाड़ सकते हैं। खेलों में भी दिखा रहे हैं दम। खेलों में विकासखंड के छात्र अपने बल बूते पर जिले तक पहुंच पाते हैं। उन्हें भी खेलों के लिए न स्टेडियम की सुविधा है, न खेल सामग्री की। जबकि सरकार खेलों को प्रोत्साहन कर रही है। लेकिन सरकारी स्कूलों में प्रशिक्षण और खेल के लिए खेल शिक्षक तक नहीं हैं।
35 स्कूलों के बीच सिर्फ तीन खेल शिक्षक
विकासखंड के स्कूलों में किसी भी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में शिक्षक नहीं हैं। शिक्षकों को प्रशिक्षण देकर जिम्मेदारी दी गई है। हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी 35 स्कूल हैं। इनमें सिर्फ तीन खेल शिक्षक हैं।
ब्रिजेंद्र सिंह रघुवंशी, बीआरसी, गंजबासौदा।