भ्रमण के दौरान चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. बलराम उपाध्याय भी मौजूद रहे। रवांडा की टीम ने अस्पताल में उपलब्ध अत्याधुनिक सुविधाओं, स्वच्छता व्यवस्था, समर्पित स्टाफ एवं रोगी-केंद्रित सेवाओं की सराहना की।
By: Gulab rohit
Nov 13, 202510:02 PM
भोपाल। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण और अंतरराष्ट्रीय अनुभव साझा करने के उद्देश्य से रवांडा अफ्रीका के प्रतिनिधिमंडल एवं यू. एन. एफ. पी. ए के. सदस्यों ने गुरुवार को शासकीय कैलाशनाथ काटजू चिकित्सालय, भोपाल का भ्रमण किया। प्रतिनिधिमंडल में डॉ.फ्रेंकोइस रेगिस साइजा, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सुविधा कार्यक्रम इकाई, रवांडा बायोमेडिकल सेंटर के निदेशक एस्पेरेंस एनडेंगा, साझेदारी और अनुदान लेखन विश्लेषक स्वास्थ्य मंत्रालय, रवांडा, मैरी क्लेयर इरियान्यावेरा, एसआरएचआर प्रमुख, यूएनएफपीए रवांडा एवं उनकी पूरी टीम तथा यूएनएफपीए मध्य प्रदेश से सुनील थॉमस, राज्य प्रमुख, श्री अनुराग सोनवाल्कर, राज्य कार्यक्रम अधिकारी शामिल रहे।
शासकीय कैलाशनाथ काटजू चिकित्सालय की नोडल अधिकारी डॉ.रचना दुबे ने टीम को अस्पताल की विभिन्न इकाइयों का विस्तृत अवलोकन कराया, जिसमें प्रिवेंटिव गायनेकोलॉजी सेंटर शक्ति, एएनसी/पीएनसी वार्ड, मानव मिल्क बैंक, लेबर रूम, तथा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी अन्य आधुनिक सुविधाएँ शामिल थीं। उन्होंने अस्पताल में लागू मानकों, प्रोटोकॉल्स और सेवा प्रक्रियाओं की जानकारी भी साझा की। भ्रमण के दौरान चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. बलराम उपाध्याय भी मौजूद रहे।
रवांडा की टीम ने अस्पताल में उपलब्ध अत्याधुनिक सुविधाओं, स्वच्छता व्यवस्था, समर्पित स्टाफ एवं रोगी-केंद्रित सेवाओं की सराहना की। प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से मानव मिल्क बैंक की पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह मातृ एवं नवजात शिशु स्वास्थ्य में सुधार हेतु एक अभिनव और प्रेरणादायी कदम है। उन्होंने इसे रवांडा में लागू करने के लिए एक आदर्श मॉडल के रूप में देखा। इस अवसर पर डॉ. दुबे ने बताया कि शासकीय कैलाशनाथ कट्जू चिकित्सालय में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। शक्ति प्रिवेंटिव गायनेकोलॉजी सेंटर जैसी पहलें न केवल रोग निवारण बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्त्वपूर्ण कदम हैं। रवांडा प्रतिनिधिमंडल ने अस्पताल प्रशासन एवं स्टाफ के समर्पण, नवाचार और संगठनात्मक क्षमता की सराहना करते हुए कहा कि भारत के अनुभव और मॉडल से रवांडा को भी सीखने और अपने स्वास्थ्य तंत्र को सुदृढ़ करने में सहायता मिलेगी।