बोस ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि लीग के लिए खिलाड़ियों की नीलामी में शीर्ष खिलाड़ी को साढ़े पांच लाख में खरीदा गया। क्या यह किसी के लिए वित्तीय रूप से व्यवहार्य खेल हो सकता है? निश्चित रूप से आने वाले तीन से चार साल में ऐसा संभव है।
By: Prafull tiwari
Jun 12, 20257:54 PM
नयी दिल्ली। भारत में पेशेवर रग्बी प्रीमियर लीग अभी तक आर्थिक तौर पर विकल्प नहीं बन पाया है। इसके बावजूद राष्ट्रीय महासंघ के अध्यक्ष राहुल बोस रग्बी प्रीमियर लीग को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि रग्बी प्रीमियर लीग (आरपीएल) अगले तीन से चार वर्षों में इस मामले में बड़ा बदलाव ला सकती है। बता दें कि ‘इंग्लिश आॅगस्ट’, ‘मिस्टर एंड मिसेज अय्यर’ और ‘चमेली’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ने वाले 57 साल के बोस ने भारत के लिए रग्बी के 17 मैच खेले हैं। वह पिछले दो दशकों से अधिक समय से भारत में इस खेल का चेहरा रहे हैं।
जीएमआर स्पोर्ट्स के समर्थन से भारत में पहली रग्बी प्रीमियर लीग (आरपीएल) का आयोजन 15 जून से मुंबई में किया जाएगा। इसमें छह फ्रेंचाइजी टीम भाग लेंगी। दो सप्ताह तक चलने वाली इस लीग में भारतीय खिलाड़ियों को खुद को बेहतर बनाने के मौके के साथ 50,000 रुपये से 5.5 लाख रुपये तक के अनुबंध भी मिल रहे हैं।
बोस ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि लीग के लिए खिलाड़ियों की नीलामी में शीर्ष खिलाड़ी को साढ़े पांच लाख में खरीदा गया। क्या यह किसी के लिए वित्तीय रूप से व्यवहार्य खेल हो सकता है? निश्चित रूप से आने वाले तीन से चार साल में ऐसा संभव है। ‘रग्बी इंडिया’ भी राष्ट्रीय शिविर के खिलाड़ियों को 60,000 से एक लाख रुपये का भुगतान करता है। कुछ समय पहले तक इस इस खेल का शासी निकाय खिलाड़ियों को कोई भुगतान करने की स्थिति में नहीं था ऐसे में इसे बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।
बोस ने कहा, हमारा खेल सबसे गरीब लोगों द्वारा खेला जाता है। हमारे राष्ट्रीय शिविर में जगह बनाने वाले खिलाड़ी 60,000 से एक लाख रुपये तक कमाते हैं। ऐसे में अगर तीन लाख रुपये तक की सालाना कमाई कर पा रहे हैं तो छोटे शहरों या गांव में इससे आजीविका चल सकती है। बोस ने बताया, मैं यह बिल्कुल नहीं कह रहा हूं कि यह रकम पर्याप्त है। हमें उनके हाथों में जितना संभव हो उतना पैसा देने की जरूरत है। रग्बी इंडिया के प्रमुख इस बात से खुश हैं कि देश में 1600 से अधिक पंजीकृत खिलाड़ियों में से उनका महासंघ बड़ी संख्या में खिलाड़ियों को वित्तीय रूप से मदद करने की स्थिति में है।
बोस ने आरपीएल को देश में इस खेल के विकास के लिए अहम करार देते हुए कहा, अगर आप उदाहरण के लिए भारतीय क्रिकेट को देखें तो इसकी शुरुआत 1932 में हुई थी। हमारी पहली महत्वपूर्ण श्रृंखला जीत 1971 में थी। उस समय आठ देशों के खेल में हमें 40 साल लगे थे। हमें ऐसे में 120 देशों के खेल में शीर्ष 25 प्रतिशत में आने में 75 साल लग सकते हैं। उन्होंने कहा, एक अच्छी तरह से संचालित लीग देश के लिए प्रतिभाओं का एक समूह तैयार करती है, जो आमतौर पर आप इतनी तेजी से नहीं कर सकते। उन्होंने इस खेल के शीर्ष देशों न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ियों की तुलना में भारतीय खिलाड़ियों के स्तर के बारे में पूछे जाने पर कहा, जाहिर है इसमें अंतर है। इसमें बड़ा अंतर नहीं है लेकिन अंतर तो है।