अश्व पर सवार होकर शुभ योगों मे आ रही है मातारानी

भोपाल |       चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होती है। ज्योतिष पदम भूषण स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य पंडित  गणेश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष नवरात्रि 9 अप्रैल से प्रारंभ होगर 17 अप्रैल तक रहेगी। इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएगी जिसके चलते राजनीतिज्ञों के कारण देश दुनिया में अस्थिरता रहेगी। 3 राशियों के लिए यह नवरात्रि शुभ साबित होगी।

अश्व पर सवार होकर शुभ योगों मे आ रही है मातारानी

भोपाल |       चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होती है। ज्योतिष पदम भूषण स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य पंडित  गणेश शर्मा ने बताया कि इस वर्ष नवरात्रि 9 अप्रैल से प्रारंभ होगर 17 अप्रैल तक रहेगी। इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आएगी जिसके चलते राजनीतिज्ञों के कारण देश दुनिया में अस्थिरता रहेगी। 3 राशियों के लिए यह नवरात्रि शुभ साबित होगी।


नवरात्रि_शुभ_योग:- पंडित शर्मा के अनुसार इस दिन अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, पुष्य नक्षत्र योग, आयुष्यमान योग का निर्माण हो रहा है। रेवती और अश्विनी नक्षत्र भी संयोग बन रहा है। इस दिन चंद्रमा गुरु की राशि मीन में होंगे। शुक्ल योग प्रात: 9 बजकर 18 मिनट तक इसके बाद ब्रह्म योग 9 बजकर 19 मिनट से अगले दिन सुबह 6 बजे तक रहेगा। शनि के स्वराशि में होने शश राजयोग का निर्माण हो रहा है। चंद्रमा के साथ गुरु के होने से गजकेसरी राजयोग का निर्माण हो रहा है। सूर्य शुक्र की युति से राजभंग योग का निर्माण भी हो रहा है।
उदयातिथि के अनुसार 09 अप्रैल 2024 को चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होगी।
नवरात्रि प्रारंभ दिनांक 09 अप्रैल 2024 मंगल से।नवरात्रि समाप्त दिनांक 17 अप्रैल 2024 बुधवार को।
नवरात्रि कुल 9 दिनों तक की ही रहेगी।
कलश स्थापना पूजा विधि- एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर नाड़ा बांधकर उसे उस मिट्टी के पात्र अर्थात घट के उपर रखें। - अब कलश के ऊपर पत्ते रखें, पत्तों के बीच में नाड़ा बंधा हुआ नारियल लाल कपड़े में लपेटकर रखें।- अब घट और कलश की पूजा करें। फल, मिठाई, प्रसाद आदि घट के आसपास रखें। - इसके बाद गणेश वंदना करें और फिर देवी का आह्वान करें।- अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि 'हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।'- आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। - कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूल माला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें।- नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें।
कैसे करें घट स्थापना।  घट अर्थात मिट्टी का घड़ा। इसे नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में स्थापित किया जाता है।- घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें। फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। - एक बार फिर जौ डालेफिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें। - इस तरह उपर तक पात्र को मिट्टी से भर दें। - अब इस पात्र को स्थापित करके पूजन करें।
-जहां घट स्थापित करना है वहां एक पाट रखें और उस पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर फिर उस पर घट स्थापित करें। - घट पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं। - घट के गले में मौली बांधे।