Holika Dahan 2023: आज चार शुभ योगों के साथ फाल्गुनी नक्षत्र में होगा होलिका दहन, जानें शुभ मुहूर्त
होली का हर किसी को इंतज़ार रहता है तो वो घड़ी भी आ ही गई जब आज होलिका दहन होगा और कल बुधवार को रंग और गुलाल उड़ेंगे। होली फाल्गुन शुक्ल पक्ष स्नान-दान, व्रत, पूर्णिमा 7 मार्च मंगलवार यानी आज है। इस तिथि पर होलिका दहन की परंपरा है। अगले दिन यानी चैत्र प्रतिपदा बुधवार, मार्च को रंगों वाली होली धूमधाम से खेली जाएगी। होलिका दहन पर चार विशेष योग वाशी, सुनफा, शंख और सुकर्म का योग बन रहा है।

Holika Dahan 2023: होली का हर किसी को इंतज़ार रहता है तो वो घड़ी भी आ ही गई जब आज होलिका दहन होगा और कल बुधवार को रंग और गुलाल उड़ेंगे। होली फाल्गुन शुक्ल पक्ष स्नान-दान, व्रत, पूर्णिमा 7 मार्च मंगलवार यानी आज है। इस तिथि पर होलिका दहन की परंपरा है। अगले दिन यानी चैत्र प्रतिपदा बुधवार, मार्च को रंगों वाली होली धूमधाम से खेली जाएगी। होलिका दहन पर चार विशेष योग वाशी, सुनफा, शंख और सुकर्म का योग बन रहा है।
फाल्गुनी नक्षत्र में होलिका दहन किया जाएगा। पंडित राजेंद्र भारद्वाज ने बताया कि इस वर्ष पूर्णिमा दो दिन शेष रहने के कारण होलिका दहन सोमवार को हुआ है, लेकिन होलिका दहन भोपाल में 7 मार्च मंगलवार को शुभ मुहूर्त में होगा। सोमवार को शहर में कहीं भी होलिका दहन नहीं हुआ है। उनका कगना है कि मंगलवार को ही फाल्गुनी नक्षत्र में होलिका दहन किया जाएगा। आठ मार्च को होली खेली जाएगी।
Read More: होलिका दहन कब 6 या 7 मार्च को, जानें कौन सा दिन है सही, 300 ज्योतिषियों ने लिया ये निर्णय
होलिका दहन पूजा, मुहूर्त: शाम 06:24 से 08:51 बजे तक होलिका दहन की अवधि दो घंटे 27 मिनट की रहेगी। रंग खेलने वाली होली 8 मार्च को मनाई जाएगी।
इन राशियों के लिए शुभ फलदायी
मेष राशि वालों के लिए होलिका दहन के बाद अच्छे पलों की शुरुआत हो सकती है। बृहस्पति ग्रह मीन राशि में है, लेकिन नए सनातन वर्ष में मेष राशि में गोचर करेगा। ऐसे में मेष राशि के जातकों के लिए सुख-समृद्धि के द्वार खुलने की संभावना है। मिथुन राशि के जातकों के रुके हुए शुभ कार्य पूर्ण होने और आर्थिक स्थिति में मजबूती आने के योग हैं। सिंह राशि के जातकों पर देवगुरु बृहस्पति की विशेष कृपा रहेगी। धनु और मीन राशि के जातकों पर त्रिग्रही योग का विशेष प्रभाव रहेगा।
Read More: होली कब है? जानें तिथि, पूजा विधि-शुभ मुहूर्त और महत्व
होलिका दहन की कथा
असुरराज हिरण्यकशिपु भगवान विष्णु का कट्टर विरोधी था, लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु का उतना ही बड़ा भक्त था। अपने पुत्र की विष्णु भक्ति देखकर हिरण्यकश्यप बहुत दुखी और क्रोधित हो जाता था। उन्होंने अपने पुत्र को विष्णु की भक्ति से विमुख करने के लिए कई बार प्रयास किया। उसने अपने राज्य में विष्णु पूजा पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। उसके राज्य के लोग डर के मारे हिरण्यकश्यप की पूजा करते थे। प्रह्लाद के लाख प्रयत्नों के बाद भी उसने भगवान विष्णु की भक्ति नहीं छोड़ी। तब हिरण्यकशिपु ने पुत्र को भगवान विष्णु की पूजा से दूर करने के लिए उसे प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। भक्त प्रह्लाद को कभी पहाड़ से नीचे फेंक दिया जाता था तो कभी हाथी के पैरों तले रौंदने का प्रयास किया जाता था। लेकिन हर बार श्री हरि विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया।
Read More: होलिका दहन से एक दिन पहले शनि देव का होगा उदय, इन राशियों की चमकेगी किस्मत
यह देखकर हिरण्यकश्यप और भी क्रोधित हो गया। उसने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह अपने बेटे प्रह्लाद को जलाकर मार डाले। होलिका को एक दिव्य चादर प्राप्त हुई थी, जिसे ढकने से वह अग्नि से प्रभावित नहीं हुई। फाल्गुन पूर्णिमा की रात होलिका हिरण्यकश्यप की आज्ञा का पालन करते हुए प्रह्लाद को मारने के लिए तैयार हो गई।
होलिका ने स्वयं उस दिव्य चादर को ओढ़ लिया और प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। प्रह्लाद भगवान विष्णु का नाम जपता रहा। श्री हरि की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका उस अग्नि में जलकर भस्म हो गई। इस प्रकार अधर्म पर धर्म की जीत हुई। इसीलिए हर साल फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है।
Read More: काशी में चिता की भस्म से खेली जाती है होली, जानें इसकी परंपरा और धार्मिक महत्व
ऐसा रहेगा होलिकोत्सव
7 मार्च मंगलवार- होलिका दहन
8 मार्च बुधवार- रंगोत्सव (धुलेंडी)
9 मार्च गुरुवार- भाईदूज, भगवान चित्रगुप्त के साथ कलाम-दावत पूजा होगी।
10 मार्च शुक्रवार- गणेश चतुर्थी
12 मार्च रविवार- रंगपंचमी के साथ होली पर्व का समापन होगा।