20 अक्टूबर 2025, सोमवार का विस्तृत पंचांग जानें। इस दिन नरक चतुर्दशी और दीपावली (लक्ष्मी-गणेश पूजा) मनाई जाएगी। तिथि, नक्षत्र, शुभ मुहूर्त, राहुकाल और त्योहारों की सटीक जानकारी।
By: Star News
Oct 20, 202522 hours ago
स्टार समाचार वेब. धर्म डेस्क
20 अक्टूबर 2025, सोमवार का दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन दीपावली का महापर्व और नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) मनाई जाएगी। सोमवार का दिन भगवान शिव और चंद्र देव को समर्पित होता है, और अमावस्या तिथि के साथ इसका संयोग विशेष फलदायी माना जाता है।
तिथि: कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि दोपहर लगभग 03 बजकर 44 मिनट (15:44) तक रहेगी। इसके बाद अमावस्या तिथि प्रारंभ हो जाएगी, जो कि दीपावली के पूजन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
पर्व:
नरक चतुर्दशी (रूप चौदस): सुबह अभ्यंग स्नान का समय।
दीपावली/लक्ष्मी-गणेश पूजा: अमावस्या तिथि में प्रदोष काल में लक्ष्मी-गणेश पूजन का विशेष महत्व है।
काली पूजा (बंगाल और पूर्वी भारत में)।
वार: सोमवार (चन्द्रमा का दिन)
मास: कार्तिक मास (कृष्ण पक्ष)
शक संवत्: 1947 (विश्वावसु)
विक्रम संवत्: 2082 (कालयुक्त)
ऋतु: शरद ऋतु
सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 24 मिनट पर (लगभग)
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 45 मिनट पर (लगभग)
चन्द्रोदय: अगले दिन (21 अक्टूबर) तड़के
चन्द्रास्त: सायं 04 बजकर 47 मिनट पर (लगभग)
चन्द्र राशि: कन्या राशि में (रात 08 बजकर 17 मिनट तक) के बाद तुला राशि में प्रवेश।
नक्षत्र: हस्त नक्षत्र रात 08 बजकर 17 मिनट (20:17) तक रहेगा, इसके उपरान्त चित्रा नक्षत्र आरंभ होगा।
योग: वैधृति योग अगले दिन तड़के 02 बजकर 35 मिनट (26:35) तक रहेगा।
करण:
प्रथम करण: शकुनि (दोपहर 03:44 तक)
द्वितीय करण: चतुष्पाद (अगले दिन तड़के 04:47 तक)
शुभ कार्यों को करने के लिए ये समय अत्यंत उत्तम माने जाते हैं:
अभिजित मुहूर्त: दिन में 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04 बजकर 44 मिनट से सुबह 05 बजकर 34 मिनट तक।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त (प्रदोष काल):
समय: शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 18 मिनट तक।
यह समय वृषभ काल और स्थिर लग्न के भीतर आता है, जो लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे अधिक फलदायी माना जाता है।
अमृत काल: दोपहर 01 बजकर 36 मिनट से दोपहर 03 बजकर 21 मिनट तक।
इन समयों में किसी भी नए और महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत से बचना चाहिए:
राहुकाल: सुबह 07 बजकर 53 मिनट से प्रातः 09 बजकर 17 मिनट तक।
यमगण्ड: सुबह 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 05 मिनट तक।
गुलिक काल: दोपहर 01 बजकर 29 मिनट से दोपहर 02 बजकर 54 मिनट तक।
दुर्मुहूर्त: सुबह 08 बजकर 47 मिनट से सुबह 08 बजकर 49 मिनट तक, और फिर सुबह 08 बजकर 53 मिनट से सुबह 08 बजकर 54 मिनट तक।
(नोट: यह पंचांग ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित है। समय और मुहूर्त की थोड़ी भिन्नता स्थानीय भेदों और विभिन्न पंचांगों के कारण संभव है।)