पाकिस्तान में आम चुनाव के बाद महंगाई ने तोड़ी जनता की कमर
एलपीजी के दामों में बढ़ोतरी से लोग बेहाल
इस्लामाबाद । पाकिस्तान में आम चुनाव के बाद महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है। लोगों का कहना है कि वह सरकार से शिकायत करते-करते थक चुके हैं, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिल रही है। पाकिस्तान में नई सरकार बनने से पहले महंगाई ने हाहाकार मचाना शुरू कर दिया है। देश की कार्यवाहक सरकार ने फिर पेट्रोल-डीजल के साथ ही घरेलू रसोई गैस के दामों में बढ़ोतरी की है। आम लोगों की महंगाई से कमर टूट गई है। दामों में बढ़ोतरी का देशव्यापी असर देखने को मिल रहा है। रविवार कराची में कई लोगों ने सरकार के फैसले का विरोध किया। उन्होंने बताया कि कैसे वह लगातार खराब होती अर्थव्यवस्था से पीड़ित हैं। कराची में ढाबा चलाने वाले इरफान नाम के व्यक्ति ने कहा, कीमतों में बढ़ोतरी अब एक मजाक बन गया है। हम पीड़ित हैं। अब तो सरकार भी विफल होती दिख रही है। हम शिकायत करते-करते थक चुके हैं। हम गैस के बिल का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। मेरा खुद का बिल चार लाख रुपये (पीकेआर) आया है। लेकिन, मेरी इतनी आय नहीं है। गैस की कीमतें बढ़ने के बाद लोग अपनी जरूरी खाने-पीने की चीजों में कटौती कर रहे हैं। मुझे नहीं पता कि इसको लेकर प्रशासन क्या कदम उठा रहा है। इरफान ने पास के एक गैस सिलेंडर की ओर इशारा करते हुए कहा, "मुझे बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। इस सिलेंडर की कीमत 12,500 रुपये (पीकेआर) है। हम इन सिलेंडर की लागत का भुगतान किश्तों में करते हैं। हम रोजाना एक हजार रुपये देते हैं। आप देख सकते हैं कि सभी टेबल खाली हैं, क्योंकि मेरे पास गैस नहीं है। मेरी ज्यादा आय नहीं है। हम अपने व्यवसाय को चलाने के लिए जो सिलेंडर खरीदते हैं, वह शुद्ध गुणवत्ता का नहीं होता है। इसमें पानी मिलाया जाता है।" दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने वाले आबिद ने कहा, "मैं सरकार से आग्रह करूंगा कि हमें कुछ राहत दे। दुकानदार पीड़ित हैं। हम भी परेशान हैं। अन्य चीजों की कीमतें भी बढ़ रही हैं। हमें दूध, चीनी, गेहूं और आा जैसी जरूरी सामग्री खरीदनी पडती है। हमारे कमरे का किराया भी बहुत अधिका है। मैं यहां (कराची) सिंध के स्कंद से अपने परिवार के लिए कमाने के लिए आया हूं। मैं पूरे दिन की मेहनत के बाद केवल नौ सौ पाकिस्तान रुपये कमा पाता हूं। महीने के अंतर में मेरा किराया 7,500 रुपये है। मेरे पास कुछ भी नहीं बचता।" आबिद ने कहा, "पिछले महीने से मैं लकड़ी जलाकर अपना खाना पका रहा हूं। मैंने कम से कम तीन घर बदले हैं, क्योंकि घर के मालिक मुझे लकड़ी से खाना बनाने की अनुमति नहीं देते हैं। लेकिन मैं कर भी क्या सकता हूं? मैं गैस नहीं खरीद सकता क्योंकि यह करीब 300 रुपये प्रति किलोग्राम है। मुझे बताओ कि मैं क्या कर सकता हूं।" एक अन्य मजदूर जान मुहम्मद ने बताया कि वह अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च नहीं उठा पा रहा है और मुश्किल से वह अपने परिवार की अन्य जरूरतों को पूरा कर रहा है। मुहम्मद ने सरकार से कुछ राहत देने का अनुरोध किया। कराची के एक अन्य नागरिक मुहम्मद इमरान जिया ने कहा, लोग सिर्फ गैसे के बारे में बात कर रहे हैं। लेकिन सभी घरेलू सामानों की कीमतें बढ़ा दी गई हैं। अब हमने हार मान ली है। हमारे पास अब कोई उम्मीद नहीं बची है। हम ज्याातर दिन पाइपलाइन के जरिए गैस प्राप्त नहीं कर पाते हैं। हमें केवल दो दिनों के लिए गैस मिलती है। जबकि हम भारी बिल का भुगतान कर रहे हैं।