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देश में संगठन और आंदोलन आते-जाते रहे हैं। कुछ समय के साथ क्षीण तो कुछ परिस्थितियों की आँधियों में बह गए और कुछ अपने मूल ध्येय को भूलकर अस्तित्वहीन हो गए। परंतु विश्व के संगठनात्मक इतिहास में शायद ही ऐसा कोई उदाहरण मिलता हो,जिसने न केवल सौ वर्षों की यात्रा की हो, बल्कि अनेक बार प्रतिबंधों, आलोचनाओं और वैचारिक हमलों के बावजूद अपने मूल ध्येय पर अडिग रहते हुए निरंतर विकास किया हो।.....
By: Ajay Tiwari
Oct 01, 20258:11 PM