भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में जानें। इस विस्तृत गाइड में सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों के स्थान, महत्व और उनसे जुड़ी पौराणिक कथाओं का वर्णन है, जो आपको इन पवित्र धामों के बारे में पूरी जानकारी देगा।
By: Star News
Jul 09, 202515 hours ago
स्टार समाचार वेब. अध्यात्म
भारत में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग (बारह ज्योतिर्लिंग) अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। "ज्योतिर्लिंग" शब्द का अर्थ है "ज्योति का लिंग", अर्थात प्रकाश का प्रतीक, जहाँ भगवान शिव स्वयं ज्योति के रूप में प्रकट हुए थे। शिव महापुराण के अनुसार, इन स्थानों पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे और उनकी पूजा लिंग रूप में की जाती है।
जानिए भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों के बारे में.....
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
स्थान: गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में, वेरावल के पास समुद्र तट पर स्थित है।
महत्व: इसे पृथ्वी पर पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। चंद्र देव ने अपने शाप से मुक्ति पाने के लिए यहाँ भगवान शिव की आराधना की थी। यह मंदिर कई बार आक्रमणकारियों द्वारा ध्वस्त किया गया और पुनर्निर्मित किया गया है।
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
स्थान: आंध्र प्रदेश के श्रीशैल पर्वत पर स्थित है।
महत्व: यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहाँ भगवान शिव और माता पार्वती (मल्लिकार्जुन और भ्रामराम्बा) दोनों की एक साथ पूजा की जाती है। इस स्थान को 'दक्षिण का कैलाश' भी कहा जाता है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
स्थान: मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है।
महत्व: यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है और यहाँ की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। यह माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
स्थान: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के तट पर, एक द्वीप पर स्थित है।
महत्व: यह स्थान दो ज्योतिर्लिंगों (ओंकारेश्वर और ममलेश्वर) का संगम है। द्वीप का आकार "ॐ" जैसा प्रतीत होता है, इसलिए इसे ओंकारेश्वर कहा जाता है।
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
स्थान: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में, हिमालय की गोद में स्थित है।
महत्व: यह भारत के चार धामों में से एक है और अत्यधिक दुर्गम स्थान पर स्थित होने के कारण केवल गर्मियों में ही दर्शन के लिए खुलता है। यह माना जाता है कि यहाँ दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
स्थान: महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्री पर्वत पर स्थित है।
महत्व: इस स्थान को भीमा नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। यह भगवान शिव के राक्षस त्रिपुरासुर का वध करने के स्थान से जुड़ा है।
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
स्थान: उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी) शहर में गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है।
महत्व: यह हिंदू धर्म में सबसे पवित्र शहरों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ प्राण त्यागने वाले व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
स्थान: महाराष्ट्र के नासिक जिले में ब्रह्मगिरि पर्वत के पास गोदावरी नदी के तट पर स्थित है।
महत्व: यह ज्योतिर्लिंग ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों का स्वरूप माना जाता है, इसलिए इसे त्र्यंबकेश्वर कहते हैं। गोदावरी नदी का उद्गम भी यहीं से माना जाता है।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
स्थान: झारखंड के देवघर में स्थित है। (कुछ मान्यताओं के अनुसार इसे महाराष्ट्र के परली और हिमाचल के बैजनाथ में भी माना जाता है)।
महत्व: इस ज्योतिर्लिंग को आरोग्य और कामना पूर्ति का देवता माना जाता है। माना जाता है कि यहाँ रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपनी तपस्या की थी।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
स्थान: गुजरात के द्वारका शहर के पास स्थित है।
महत्व: यह भगवान शिव के उन रूपों में से एक है जो सभी प्रकार के विष (जहर) और बुराइयों से रक्षा करते हैं। इसे दारुकावन के नाम से भी जाना जाता है।
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
स्थान: तमिलनाडु में रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है।
महत्व: यह भगवान राम द्वारा स्थापित ज्योतिर्लिंग है, जब वे लंका पर चढ़ाई करने से पहले भगवान शिव की पूजा करने के लिए यहाँ रुके थे। यह चार धामों में से एक है।
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
स्थान: महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एलोरा गुफाओं के पास स्थित है।
महत्व: यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है और इसका उल्लेख शिव पुराण में मिलता है। इस मंदिर के पास प्रसिद्ध एलोरा गुफाएं भी हैं।
ये बारह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान हैं और इनका दर्शन करना जीवन का एक बड़ा पुण्य माना जाता है।