दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि केवल इस आधार पर मां की आय ज्यादा है, पिता अपने नाबालिग बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकता। अदालत ने कहा- बच्चों का पालन-पोषण दोनों माता-पिता की कानूनी, नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है और किसी एक की अधिक आय दूसरे की जिम्मेदारी खत्म नहीं करती।
By: Arvind Mishra
Dec 30, 202512:31 PM
मां की अधिक आय से पिता की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती
नसीहत- दलीलों के सहारे जिम्मेदारी से बच नहीं सकता
नई दिल्ली। स्टार समचार वेब
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि केवल इस आधार पर मां की आय ज्यादा है, पिता अपने नाबालिग बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं हो सकता। अदालत ने कहा- बच्चों का पालन-पोषण दोनों माता-पिता की कानूनी, नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी है और किसी एक की अधिक आय दूसरे की जिम्मेदारी खत्म नहीं करती। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा- मां की आय अधिक है और उसकी कस्टडी में बच्चे हैं, वे पहले से ही कमाने के साथ-साथ प्राथमिक देखभालकर्ता की दोहरी जिम्मेदारी निभा रही है। ऐसे में पिता अपनी आय छुपाकर या तकनीकी दलीलों के सहारे जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। अदालत ने कहा- कानून किसी भी कार्यशील मां को शारीरिक, आर्थिक और मानसिक रूप से थका देने की इजाजत नहीं देता, जबकि पिता अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट जाए।
30 हजार मासिक भरण-पोषण
दरअसल, यह फैसला उस मामले में आया, जिसमें एक व्यक्ति ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। निचली अदालत ने दिसंबर 2023 में पति को तीनों बच्चों के लिए 30 हजार रुपए मासिक अंतरिम भरण-पोषण देने का आदेश दिया था, जिसे सत्र अदालत ने भी बरकरार रखा।
पति बोले- मेरी आय नौ हजार
पति ने हाई कोर्ट में दावा किया कि उसकी आय केवल नौ हजार रुपए है, जबकि पत्नी की 34,500 रुपए, इसलिए उस पर पूरा भार डालना कानून के सिद्धांतों के खिलाफ है। उसने पत्नी पर कानून के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया।
पिता को होना चाहिए कर्तव्य का एहसास
पत्नी ने तर्क दिया कि बच्चों की पढ़ाई, देखभाल, इलाज और रोजमर्रा की जिम्मेदारियां पूरी तरह उसी पर हैं। बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पिता से खत्म नहीं हो सकती। अदालत ने टिप्पणी की कि पत्नी का आचरण निर्भरता नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का भाव दर्शाता है। पिता को अपने बच्चों के प्रति कर्तव्य का एहसास कराना उसका अधिकार है।