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थाईलैंड से जापान तक के विदेशी भक्त रायसेन सांची मे डालेंगे डेरा

विश्व प्रसिद्ध सांची में दो दिवसीय महाबोधि महोत्सव

By: Gulab rohit

Nov 10, 202510:28 PM

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थाईलैंड से जापान तक के विदेशी भक्त रायसेन सांची मे डालेंगे डेरा

रायसेन। अपने अनोखे बौद्ध स्तूपों के लिए विश्व प्रसिद्ध सांची में 29 और 30 नवंबर को दो दिवसीय महाबोधि महोत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इसकी तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मेहमान और कलाकार शिरकत करेंगे। साल में एक बार होने वाले इस धार्मिक उत्सव में श्रीलंका, जापान, थाईलैंड और वियतनाम सहित कई देशों के बौद्ध अनुयायी शामिल होने के लिए आमंत्रित किए गए हैं। इस वर्ष, श्रीलंका के हाई कमिश्नर के साथ ही वहां की विशेष नृत्य मंडली भी सांची में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करेगी। विदेश भक्त अपने साथ पूजा के लिए विशेष सामग्रियां लेकर यहां पहुंचेंगे, जिससे महोत्सव की दिव्यता और बढ़ेगी। 


 भगवान बुद्ध के परम शिष्यों के अस्थि कलश के दर्शन 


इस महोत्सव की मुख्य वजह सांची स्तूप के पास स्थित चैत्यगिरि में सुरक्षित रखे भगवान बुद्ध के परम शिष्य सारिपुत्र और महामोदग्लायन के पवित्र अस्थि कलश हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव है, क्योंकि वर्ष में एक बार, दो दिन के लिए, सूर्योदय से सूर्यास्त तक श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ इन कलशों को रखा जाता है। महोत्सव के आखिरी दिन (रविवार) को इन अस्थि कलशों को मुख्य स्तूप की परिक्रमा के लिए शोभा यात्रा के साथ निकाला जाता है। 


इन देशों के अनुयायियों को किया गया आमंत्रित


महाबोधि सोसाइटी के स्वामी विमल तिस्से थेरो ने बताया, '' जापान,श्रीलंका,थाईलैंड, वियतनाम सहित कई देशों के मेहमानों को आमंत्रित किया जा चुका है. इस तरह से जब विश्व के कोने-कोने से बौद्ध अनुयाई यहां पर उपस्थित होंगे तो इस कार्यक्रम की भव्यता और बढ़ेगी सब लोग मिलकर इस महोत्सव को मनाएंगे। 


सांची स्तूप का गौरवशाली इतिहास 


सांची की इस ऐतिहासिक धरोहर का निर्माण सम्राट अशोक महान ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में करवाया था. यह भारत के सबसे प्राचीन बौद्ध स्मारकों में से एक है। बाद में शुंग और सातवाहन शासकों ने इसका विस्तार किया और पहली शताब्दी ईसा पूर्व में यहां के चार भव्य तोरण द्वार (प्रवेश द्वार) बनाए गए, जिन पर बुद्ध के जीवन और जातक कथाओं से जुड़ी विस्तृत नक्काशी है। सांची का यह महान स्तूप प्रेम, शांति, विश्वास और साहस का प्रतीक है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल है।

 
 सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम 


बौद्ध धर्म के इस विशेष महत्व वाले आयोजन के लिए प्रशासन भी कमर कस रहा है। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कमलेश खरपुसे ने जानकारी देते हुए बताया की पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए विशेष पुलिस इंतजाम किए गए हैं, जिसमें महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती भी शामिल है और आसामाजिक तत्वों पर विशेष नजर रखना शामिल है। जिससे की पर्यटको को आसुविधा न हो। 

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