धार्मिक नगरी अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 1200 करोड़ की लागत से 56 महीनों में पूरा हो गया है। नागर शैली में निर्मित यह भव्य मंदिर 4.5 लाख क्यूबिक लाल पत्थरों से बना है। यह सदियों पुराने संघर्ष और आस्था का प्रतीक है। मंदिर की स्थापत्य कला अद्भुत है, जिसमें वैदिक परंपराओं का समावेश है।
By: Arvind Mishra
Oct 28, 202511:11 AM

अयोध्या। स्टार समाचार वेब
धार्मिक नगरी अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 1200 करोड़ की लागत से 56 महीनों में पूरा हो गया है। नागर शैली में निर्मित यह भव्य मंदिर 4.5 लाख क्यूबिक लाल पत्थरों से बना है। यह सदियों पुराने संघर्ष और आस्था का प्रतीक है। मंदिर की स्थापत्य कला अद्भुत है, जिसमें वैदिक परंपराओं का समावेश है। इसका निर्माण भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। राम मंदिर तकनीक व स्थापत्य कला का अद्भुत संगम है। सदियों के संघर्ष, आस्था और इंतजार के बाद राम नगरी में श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण अब पूर्ण हो चुका है, यह भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है। राम जन्मभूमि विवाद वर्षों तक अदालतों में चला। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर के हक में फैसला आया और उसके बाद भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हुआ।

रामनगरी अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर और उससे संबंधित लगभग सभी निर्माण कार्य पूरे हो गए हैं। अब 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण करेंगे। राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन भी पीएम मोदी ने ही पांच अगस्त 2020 को किया था। इसके बाद भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 को की थी। अब जब पूरी तरह से मंदिर बनकर तैयार हो गया है, तो मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण भी पीएम मोदी ही करेंगे। इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहेंगे।
समूचा मंदिर पत्थरों का नागर शैली में बना है। इसका निर्माण अब पूरा हो चुका है। भूतल पर रामलला और प्रथम तल पर राम परिवार विराजित हैं। कलश और ध्वज दंड स्थापित हो चुके हैं। मंदिर के चारों ओर 800 मीटर आयताकार पत्थरों का परकोटा तैयार है। परकोटा 14 फीट चौड़ा है।
मंदिर के कोनों पर शिवलिंग, गणपति, सूर्य देव और मां भगवती विराजमान हैं। दक्षिणी भुजा में हनुमान जी, उत्तरी भुजा में माता अन्नपूर्णा के मंदिर बने हैं। इन पर भी कलश और ध्वज दंड लग चुके हैं। इन मंदिरों में प्रतिमाओं की पूजा हो रही है। इनकी प्राण प्रतिष्ठा जून माह में हो गई थी। राम मंदिर के दक्षिणी और पश्चिमी कोने पर लक्ष्मण का मंदिर बनकर तैयार है। इसका नाम शेषावतार है।
सप्त मंडप यानी महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और माता अहिल्या के भी मंदिर बन चुके हैं। तुलसी दास जी का भी मंदिर बनकर तैयार है। सभी प्रतिमाएं स्थापित हो चुकी हैं। कुबेर टीला पर जटायू और अंगद टीला पर गिलहरी की स्थापना हो चुकी है।
श्री राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के अनुसार, इसके अलावा तीर्थ यात्रियों की सुविधा और उनको अधिक से अधिक सुगमता हो, इसके लिए जितनी भी आवश्यक व्यवस्थाएं हैं, उनका भी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अधिक से अधिक भक्तों की भीड़ दर्शन कर पा रही है, यह व्यवस्था के कारण संभव हो पा रहा है।
राम मंदिर परिसर में सड़क बनना बाकी है। कौन से संपर्क मार्ग होंगे, उसकी ड्राइंग, मंदिर की लैंड स्केपिंग यानी भूमि का सुंदरीकरण, हरियाली का निर्माण और सड़कों को बनाने का काम टाटा ग्रुप की कंपनी लार्सन एंड टुब्रो तेज गति से कर रही है। भूमि का सुंदरीकरण और लैंडस्केपिंग जीवर नाम की संस्था तेज गति से कर रही है। राम मंदिर के पश्चिमी और दक्षिणी भाग में 10 एकड़ भूमि में पंचवटी का निर्माण किया जा रहा है।
भक्तों के लिए शौचालय परिसर बन चुका है। कुछ ऐसे भवन हैं, जिनका सीधा संबंध श्रद्धालुओं से नहीं है, इसमें ट्रस्ट आॅफिस, अतिथि गृह, सभागार, बाउंड्रीवॉल और विभिन्न दिशाओं के गेट का निर्माण चल रहा है। तीन प्रमुख द्वार बन चुके हैं। चार गेट बनना बाकी है। इसमें अनेक तरह की कठिनाई आती है। 70 एकड़ के परिसर में निर्माण कार्य करना यह व्यवहार की बात है।