गंजबासौदा। विकासखंड शिक्षा विभाग में हरित क्रांति योजना की राशि से फर्नीचर खरीदी में बड़ा घोटाला सामने आया है। न टेंडर जारी हुआ, न किसी अधिकारी का लिखित आदेश। फिर भी लाखों रुपए की खरीदी की जा रही है। पिपरिया जागीर स्कूल में 2 लाख 53 हजार रुपए का फर्नीचर खरीदा जा चुका है। अन्य स्कूलों में भी खरीदी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिन फर्मों से फर्नीचर खरीदा जा रहा है, वे न तो फर्नीचर बनाती हैं, न बेचती हैं। स्कूलों को यह भी कहा गया है कि यदि उन्हें फर्नीचर की जरूरत न हो तो वह पड़ोस के स्कूल को दे दें। 2016 में परासी टुंडा प्राथमिक शाला के प्रभारी ने बिना कलेक्टर आदेश के हरित क्रांति खाते से राशि निकाली थी। उस समय के सीईओ जिला पंचायत ने उसे निलंबित कर दिया था। इसी कारण इस बार कई प्रभारियों ने भुगतान से इनकार कर दिया है। शाला प्रबंधन समितियां भी विरोध में हैं। विकासखंड में हरित क्रांति योजना के तहत करीब 30 लाख रुपए की राशि जमा है। अब तक डेढ़ दर्जन स्कूलों में फर्नीचर खरीदी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। स्थानीय शिक्षक और प्रबंधन समितियां इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रही हैं।
कई प्रभारियों ने मौखिक आदेश को मानने से इनकार किया
बीआरसी कार्यालय ने उन स्कूल प्रभारियों को बुलाया जिनके पास हरित क्रांति मद में राशि जमा थी। बैठक में कहा गया कि इस राशि से फर्नीचर खरीदा जाए। जितना अपने स्कूल को चाहिए, बाकी दूसरे स्कूलों को दे दिया जाए। जब प्रभारियों ने कलेक्टर का लिखित आदेश मांगा तो कहा गया कि वीडियो कॉन्फ्रेंस में सीईओ जिला पंचायत ने निर्देश दिया है। कई प्रभारियों ने इस है कि बिना लिखित आदेश के मौखिक आदेश को मानने से इनकार कर दिया। उनका कहना सरकारी धन खर्च करना अवैध है। भुगतान का तरीका भी संदिग्ध है। कहा गया है कि स्कूल से सीधे दुकानदार को भुगतान किया जाए। ऐसे में भविष्य में जांच या ऑडिट हुआ तो सारा दोष प्रभारी पर आएगा।
शाला के हित में खर्च कर सकते हैं राशि
प्रबंध समिति राशि को शाला के हित में खर्च कर सकती है। लेकिन उसके लिए भी नियम है। समिति का प्रस्ताव होता है। उसको विधिवत बीआरसी से और स्कूल प्रभारी से स्वीकृति लेना पड़ती है। खरीदी के लिए नियम अनुसार टेंडर या कोटेशन की प्रक्रिया है। इसका कोटेशन ए टेंडर काम होता है उसे सामग्री प्रदान करने का ऑर्डर दिया जाता।
पौधरोपण, सिंचाई, पर्यावरण पर ही राशि खर्च करने का
हरित क्रांति योजना के तहत स्कूलों की कृषि भूमि की नीलामी से प्राप्त राशि स्कूल के खाते में जमा होती है। नियम है कि यह राशि केवल बाउंड्री वॉल, पौधारोपण, सिंचाई और पर्यावरण संरक्षण पर ही खर्च की जा सकती है। वह भी कलेक्टर की अनुमति से। लेकिन यहां नियमों को दरकिनार कर फर्नीचर खरीदी के नाम पर लाखों रुपए का खेल शुरू हो गया है। पूरे जिले में करीब 1 करोड़ 14 लाख रुपए मौजूद है।
स्कूल के हित में फर्नीचर लेने का प्रस्ताव है
शाला प्रबंधन समिति को राशि सलाह विकास पर खर्च करने के अधिकार हैं। शाला विकास समिति द्वारा ही स्कूल के हित में फर्नीचर लेने का प्रस्ताव है।
आरपी लखेर, डीपीसी, विदिशा।