संसदीय समिति ने आयकर विधेयक 2025 में बड़े बदलाव सुझाए। नियत तिथि के बाद TDS रिफंड दावा और धार्मिक/परमार्थ न्यासों को गुमनाम दान पर टैक्स छूट की सिफारिश। जानें क्या हैं मुख्य सुझाव।
By: Ajay Tiwari
Jul 21, 20255 hours ago
नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब
आयकर विधेयक-2025 की समीक्षा कर रही एक संसदीय समिति ने सोमवार को लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में व्यक्तिगत करदाताओं को नियत तिथि के बाद भी आयकर रिटर्न दाखिल करके स्रोत पर कर कटौती (TDS) रिफंड का दावा करने की अनुमति देने का महत्वपूर्ण सुझाव दिया गया है। इसके अलावा, समिति ने यह भी सिफारिश की है कि धार्मिक और परमार्थ न्यासों को मिले गुमनाम या गुप्त दान को कर के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए।
भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली लोकसभा की प्रवर समिति ने सोमवार को सदन में अपनी 4,575 पन्नों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। यह समिति आयकर विधेयक, 2025 में बदलावों की सिफारिश कर रही है, जो छह दशक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा।
31 सदस्यों वाली इस संसदीय समिति ने अपने सुझावों में गैर-लाभकारी संगठनों (NPO), विशेष रूप से धर्मार्थ और परमार्थ उद्देश्यों वाले संगठनों के लिए गुमनाम दान पर कर लगाने से संबंधित अस्पष्टता को दूर करने पर जोर दिया है। समिति ने गैर-लाभकारी संस्थाओं की 'प्राप्तियों' पर कर लगाने का विरोध किया, यह तर्क देते हुए कि यह आयकर अधिनियम के तहत वास्तविक आय कराधान के सिद्धांत का उल्लंघन है। सुझावों में 'आय' शब्द को फिर से लागू करने की सिफारिश की गई है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि केवल NPO की शुद्ध आय पर ही कर लगाया जाए।
समिति ने सुझाव दिया कि पंजीकृत NPO को मिलने वाले 'गुमनाम दान के संबंध में महत्वपूर्ण अंतर' को देखते हुए, धार्मिक और परमार्थ न्यास (ट्रस्ट), दोनों को ऐसे दान पर छूट दी जानी चाहिए।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "विधेयक का घोषित मकसद इसे सरल बनाना है, लेकिन समिति को लगता है कि धार्मिक व परमार्थ ट्रस्ट के संबंध में एक महत्वपूर्ण चूक हुई है, जिसका भारत के NPO क्षेत्र के एक बड़े हिस्से पर काफी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।"
वर्तमान आयकर विधेयक, 2025 के खंड 337 में सभी पंजीकृत NPO को मिलने वाले गुप्त दान पर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव है, जिसमें केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए स्थापित NPO को ही सीमित छूट दी गई है। यह प्रावधान आयकर अधिनियम, 1961 की वर्तमान धारा 115बीबीसी से काफी भिन्न है। मौजूदा कानून में अधिक व्यापक छूट प्रदान की गई है, जिसके तहत यदि कोई ट्रस्ट या संस्था पूरी तरह से धार्मिक और परमार्थ कार्यों के लिए बनाई गई हो, तो गुप्त दान पर कर नहीं लगाया जाता है। ऐसे संगठन अक्सर पारंपरिक माध्यमों (जैसे दान पेटियों) से योगदान प्राप्त करते हैं, जहां दान देने वाले की पहचान करना असंभव होता है।
संसदीय समिति की रिपोर्ट में कहा गया है, "समिति 1961 के अधिनियम की धारा 115बीबीसी में दिए गए स्पष्टीकरण के अनुरूप एक प्रावधान को फिर से लागू करने का पुरजोर आग्रह करती है।"
उन व्यक्तियों के टीडीएस रिफंड दावों की वापसी के संबंध में, जिन्हें आमतौर पर कर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होती, समिति ने सुझाव दिया है कि आयकर विधेयक से उस प्रावधान को हटा दिया जाना चाहिए, जो करदाता के लिए नियत तिथि के भीतर आयकर रिटर्न दाखिल करने को अनिवार्य बनाता है। यह सुझाव लाखों छोटे करदाताओं को बड़ी राहत दे सकता है।