संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया रोकने के लिए प्रस्ताव लाया गया, लेकिन यह पास नहीं हो सका। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को वर्चुअल भाषण देने की अनुमति देने का प्रस्ताव लाया गया।
By: Sandeep malviya
Sep 19, 202511:04 PM
ईरान । संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ईरान पर दोबारा प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया रोकने के लिए प्रस्ताव लाया गया, लेकिन यह पास नहीं हो सका। वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास को वर्चुअल भाषण देने की अनुमति देने का प्रस्ताव लाया गया। इस प्रस्ताव को 145 देशों का समर्थन मिला, जबकि पांच देशों ने विरोध किया और छह देशों ने मतदान से दूरी बनाई। भारत ने इसके पक्ष में वोट किया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में भारत ने उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जिसमें फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास को वर्चुअल माध्यम से भाषण देने की अनुमति देने की बात थी। यह कदम तब उठाया गया जब ट्रंप प्रशासन ने अब्बास का अमेरिका का वीजा रद्द कर दिया। बता दें कि इस प्रस्ताव को भारी समर्थन मिला, इसमें 145 देशों ने इसके पक्ष में वोट दिया। वहीं पांच देश- इस्राइल, अमेरिका, पलाऊ, पराग्वे और नाउरू ने इसका विरोध किया, जबकि छह देशों ने मतदान से दूरी बनाए रखी। फलस्तीनी राष्ट्रपति अब्बास अगले हफ्ते होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में वीडियो लिंक के जरिए दुनिया को संबोधित करेंगे। यह फैसला फलस्तीन के पक्ष में एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है, जबकि अमेरिका और इजराइल को इसमें झटका लगा है।
ईरान पर लगे 'स्नैपबैक' प्रतिबंध हटाने का प्रस्ताव खारिज
वहीं ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सुरक्षा परिषद में शुक्रवार को एक अहम प्रस्ताव पर वोटिंग हुई, लेकिन यह प्रस्ताव पास नहीं हो सका। इस प्रस्ताव का मकसद ईरान पर दोबारा लगने वाले कड़े प्रतिबंधों को रोकना था। अब तय समयसीमा के मुताबिक सितंबर के अंत तक ये प्रतिबंध अपने आप लागू हो जाएंगे।
क्या है मामला?
2015 में ईरान और विश्व शक्तियों के बीच परमाणु समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत ईरान पर लगे कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटा दिए गए थे। लेकिन इस समझौते में स्नैपबैक मैकेनिज्म नाम का प्रावधान है। इसका मतलब है कि अगर ईरान समझौते की शर्तें नहीं मानता, तो पहले के सभी प्रतिबंध अपने आप फिर से लागू हो जाएंगे। यूरोप के तीन बड़े देश- फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन- ने पिछले महीने यह मैकेनिज्म सक्रिय कर दिया था। इनके मुताबिक ईरान ने समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया है, इसलिए अब उस पर फिर से प्रतिबंध लगेंगे। इन प्रतिबंधों में हथियारों की खरीद-बिक्री पर रोक, बैलिस्टिक मिसाइल विकास पर प्रतिबंध, संपत्ति फ्रीज करना और यात्रा पर रोक और परमाणु तकनीक से जुड़ी गतिविधियों पर पूरी तरह बैन शामिल हैं।
वोटिंग में कौन किसके साथ?
इस प्रस्ताव को दक्षिण कोरिया, जो इस समय सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है, ने पेश किया था। प्रस्ताव को पास करने के लिए 15 सदस्य देशों में से कम से कम 9 वोट चाहिए थे, लेकिन इसे सिर्फ चार देशों- चीन, रूस, पाकिस्तान और अल्जीरिया- का समर्थन मिला। नतीजतन, प्रस्ताव खारिज हो गया और अब प्रतिबंध लगना लगभग तय है। रूस के संयुक्त राष्ट्र दूत वासिली नेबेंजिया ने वोटिंग से पहले कहा, 'कुछ यूरोपीय देश इस परिषद का इस्तेमाल अपने राजनीतिक मकसद के लिए कर रहे हैं और ईरान पर गलत तरीके से दबाव बना रहे हैं।'