मध्यप्रदेश में अति बारिश का दौर तो थम गया, लेकिन हालात अब भी बिगड़े हुए हैं। श्योपुर में पार्वती नदी की बाढ़ में बहे चाचा-भतीजे के शव खेत में एक-दूसरे से लिपटे हुए मिले हैं। रायसेन में बेतवा ने रौद्र रूप ले लिया है। आसपास के खेत, मंदिर और पुल डूब गए। हर तरफ सिर्फ पानी ही नजर आ रहा है।
By: Arvind Mishra
Jul 31, 202511:38 AM
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश में अति बारिश का दौर तो थम गया, लेकिन हालात अब भी बिगड़े हुए हैं। श्योपुर में पार्वती नदी की बाढ़ में बहे चाचा-भतीजे के शव खेत में एक-दूसरे से लिपटे हुए मिले हैं। रायसेन में बेतवा ने रौद्र रूप ले लिया है। आसपास के खेत, मंदिर और पुल डूब गए। हर तरफ सिर्फ पानी ही नजर आ रहा है। शिवपुरी में माधव टाइगर रिजर्व की सांख्य सागर झील छलकने लगी है। वहीं भोपाल अंचल में दो दिनों की बाढ़ में 12 लोगों की मौत हो गई। इनमें से नौ लोगों की मौत डूबने से हुई। दो लोगों की मौत मकान गिरने से दबकर हुई है। बाढ़ में बही एक गर्भवती महिला का अब भी पता नहीं चल पाया है। सागर के देवरीकलां में संजय नगर स्थित रामघाट नाले में एक महिला बह गई। 44 घंटे बीत जाने के बाद भी वंदना का कुछ पता नहीं चल पाया है। गुना, शिवपुरी, श्योपुर, मुरैना समेत कई जिलों में सैकड़ों लोगों को बचाया गया है। कई रास्ते बंद रहे तो नर्मदा समेत अन्य नदियां उफान पर रही। इससे रास्ते भी बंद हो गए।
श्योपुर के ग्राम आमलदा में बाढ़ में बहे चाचा-भतीजे के शव खेत में एक-दूसरे से लिपटे हुए मिले। राजू यादव अपने 18 वर्षीय भतीजे शिवम यादव के साथ मंगलवार को खेत पर गए थे। खेत में पाइप और बाकी सामान रखा था, जिसे निकालने के लिए दोनों घर से निकले थे, लेकिन फिर लौटे नहीं। परिजन को लगा कि दोनों वहीं रुक गए होंगे। जब रातभर कोई संपर्क नहीं हुआ तो बुधवार को तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। गुरुवार को पार्वती नदी का जलस्तर कम हुआ तो खेत में दोनों के शव एक-दूसरे से लिपटे हुए मिले। माना जा रहा है कि तेज बहाव में फंसने के बाद पिता ने बेटे को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन वे खुद भी पानी की चपेट में आ गए।
खंडवा के मोरटक्का में प्राचीन जाबरेश्वर महादेव मंदिर में पानी पहुंच गया है। लोगों का कहना है कि बरसों से देखते आ रहे हैं कि नर्मदा मैया हर साल जबरेश्वर महादेव का जलाभिषेक करने आती हैं। खंडवा में मोरटक्का में नर्मदा नदी खतरे के निशान से महज 1 मीटर नीचे से बह रही है। फिलहाल मोरटक्का पुल चालू है। अभी पुल बंद होने की स्थिति में नहीं है। खंडवा में इंदिरा सागर बांध से कुल 12 हजार 440 क्यूमेक्स और ओंकारेश्वर बांध से 12 हजार 599 क्यूमेक्स पानी नर्मदा नदी में छोड़ा जा रहा है, जिससे मोरटक्का के सभी घाट डूब गए हैं। ओंकारेश्वर में ओंकार पर्वत आदिगुरु शंकराचार्य प्रतिमा स्थल पहुंच मार्ग के ऊपर से पानी जा रहा है।
राजस्थान के कोटा बैराज डैम, नौनार डैम से छोड़े जा रहे पानी और पार्वती, सीप नदियों के पानी के कारण चंबल नदी में उफान बढ़ता जा रहा है। देर रात चंबल का जलस्तर 142 मीटर को भी पार कर गया, जो खतरे के निशान 138 मीटर से चार मीटर ऊपर है। क्वारी और आसान नदी भी खतरे के निशान के करीब बह रही हैं। श्योपुर के बड़ौदा में 2021 में आई भीषण बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। शिवपुरी, दतिया और ग्वालियर के भितरवार में सिंध नदी उफान पर है।
रायसेन में बेतवा का पानी आसपास के खेतों में भर गया है। इस साल रायसेन में बारिश ने पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जुलाई महीने में ही 32 इंच बारिश दर्ज की जा चुकी है। बारिश का मौसम अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है और अभी ढाई महीने और शेष हैं। स्थानीय प्रशासन बाढ़ की स्थिति पर नजर रखे हुए है।
मध्यप्रदेश के ग्वालियर, शिवपुरी, अशोकनगर, मुरैना, श्योपुर, छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी में बारिश का कोटा पूरा हो गया है। यहां सामान्य से 37 फीसदी तक ज्यादा पानी गिर चुका है। टीकमगढ़-निवाड़ी में सबसे ज्यादा 42 इंच बारिश हुई है, जबकि इंदौर में 10 इंच पानी भी नहीं गिरा है। उज्जैन की तस्वीर भी ठीक नहीं है। वहीं, भोपाल और जबलपुर में सीजन की आधी बारिश हुई है। प्रदेश में अब तक औसत 27.7 इंच बारिश हो चुकी है। अब तक 17.2 इंच पानी गिरना था। इस हिसाब से 10.5 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है। प्रदेश की सामान्य बारिश औसत 37 इंच है।
दमोह जिले में हो रही लगातार बारिश को देख कलेक्टर ने गुरुवार को सभी स्कूल-कॉलेज की छुट्टियां कर दी हैं। ब्यारमा नदी से तेंदूखेड़ा ब्लॉक में आई बाढ़ से जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया है। यहां आधा दर्जन गांवों के लोगों के पास पेट भरने के लिए खाद्य सामग्री भी नहीं बची है। कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने बाढ़ प्रभावित गांव का निरीक्षण किया। इसके बाद उन्होंने लोगों से मदद की अपील की और कहा कि बाढ़ से कई गांव प्रभावित हो गए हैं। लोगों के पास खाने-पीने और सोने के लिए भी कोई सामग्री नहीं बची है।