लंबे समय से रहस्यमयी बनी हुई अर्चना तिवारी की गुमशुदगी का राज अब खुल गया है। पुलिस जांच में सामने आया कि अर्चना खुद इस पूरे प्लान की मास्टरमाइंड थी। स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स कर चुकी अर्चना परिवार की पसंद से शादी नहीं करना चाहती थी। घरवालों ने कई रिश्ते दिखाए लेकिन अर्चना हर बार इंकार करती रही।
By: Arvind Mishra
भोपाल। स्टार समाचार वेब
लंबे समय से रहस्यमयी बनी हुई अर्चना तिवारी की गुमशुदगी का राज अब खुल गया है। पुलिस जांच में सामने आया कि अर्चना खुद इस पूरे प्लान की मास्टरमाइंड थी। स्टूडेंट्स पॉलिटिक्स कर चुकी अर्चना परिवार की पसंद से शादी नहीं करना चाहती थी। घरवालों ने कई रिश्ते दिखाए लेकिन अर्चना हर बार इंकार करती रही। इसी कारण घर में अक्सर विवाद होते थे। दरअसल, भोपाल जीआरपी ने सिविल जज की तैयारी कर रही अर्चना तिवारी को 12 दिन बाद नेपाल बॉर्डर से बरामद कर लिया है। उसे बुधवार सुबह फ्लाइट से भोपाल लाया गया। अर्चना 7 अगस्त को नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच से इंदौर से कटनी के बीच लापता हो गई थी। एसपी रेल राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि अर्चना को यूपी की लखीमपुर खीरी पुलिस की मदद से बरामद किया है। अर्चना ने अपने बयानों में बताया कि घर से बिन बताए निकलने की योजना उसी ने बनाई थी। उसका अपहरण नहीं हुआ है, इसी के साथ लापता रहने के दौरान उसके साथ किसी प्रकार का गलत काम भी नहीं हुआ है। वे आगे पढ़ना चाहती थी, जबकि परिवार वाले उसकी मर्जी के खिलाफ एक पटवारी से रिश्ता तय कर चुके थे और उसी से शादी कराने का दबाव बना रहे थे। घर से भागकर वे अकेले रहकर सिविल जज की तैयारी करना चाहती थी। जीआरपी ने अर्चना तिवारी गुमशुदगी केस का खुलासा कर दिया है। अर्चना की इसी महीने सात तारीख को सगाई तय की गई थी। एक पटवारी के साथ उसका रिश्ता तय किया गया। अर्चना अभी पढ़ना चाहती थी, वे शादी को तैयार नहीं थी। परिजन उसकी शादी करना चाहते थे। मर्जी के खिलाफ रिश्ता तय करने से नाराज होकर अर्चना घर से निकली थी।
अर्चना ने ट्रेन में सफर के दौरान इटारसी में रहने वाले दोस्त तेजेंदर सिंह से कॉल करके मदद मांगी। उसने तेजेंदर को बताया कि वापस इंदौर जाना चाहती है। उसे नर्मदापुरम स्टेशन पर उतार ले। तेजेंदर मदद के लिए तैयार हो गया। उसने नर्मदापुरम स्टेशन पर युवती को ट्रेन से उतारा, अपनी कार से इटारसी पहुंचाया। इटारसी पहुंचने से पहले उसने दोस्त सारांश जैन को कॉल कर दिया था। शुजालपुर का रहने वाला सारांश युवती के बताए अनुसार 7 अगस्त की रात को इटारसी पहुंच गया। युवती को लेकर शुजालपुर पहुंचा। यहां कुछ घंटे बिताने के बाद अगले दिन 8 अगस्त को कार से उसे इंदौर छोड़ दिया।
रेल एसपी लोढ़ा ने बताया कि अर्चना ने तेजेंदर को कॉल कर बताया था कि उसके मोबाइल की बैट्री डिस्चार्ज हो रही है। ट्रेन में चार्जर का इंतजाम नहीं हो रहा है। नर्मदापुरम स्टेशन का एक खास स्थान तेजेंदर ने पहले ही बता दिया था। उसने अर्चना से वहीं मिलने की बात कही थी। अर्चना ने बुधनी के करीब मिडघाट में अपना मोबाइल फोन और सिम तोड़कर फेंक दी थी।
लोढ़ा ने बताया कि अर्चना एडवोकेट है और सिविल जज की तैयारी कर रही है, उसे पुलिस का काम करने का तरीका मालूम है। उसने ट्रेन में अपनी सीट पर अपना दुपट्टा और सामान छोड़ दिया था। मोबाइल मिडघाट में टूटा हुआ मिला, इस कारण पुलिस वहीं आस पास के इलाकों में उसे तलाश रही।
पुलिस ने तेजेंदर और सारांश तक पहुंचने के लिए अलग-अलग स्टेशन के करीब दो हजार से अधिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले। सीडीआर के आधार पर तेजेंदर और सारांश से पूछताछ की गई। तब उसके नेपाल में होने की जानकारी मिली। जिसके बाद पुलिस ने नेपाल एम्बेसी की मदद से युवती को नेपाल बॉर्डर लखीमपुर खीरी तक डिपोर्ट कराया।
इसी मामले में जीआरपी ने शुजालपुर निवासी सारांश जैन को भी 18 अगस्त की रात पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। सारांश एग्रीकल्चर ड्रोन कंपनी में काम करता है। फिलहाल, इंदौर में रहता है। सारांश के पिता जोगचंद्र ने कहा-बेटे ने कभी अर्चना का नाम नहीं बताया। 3 महीने पहले सपना नाम की एडवोकेट से प्रेम की बात कही थी। हमने बेटे को समझाया था कि कोई गलती न करे। हमें पूरा भरोसा है कि वह निर्दोष है।