विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के बीच मॉस्को में बैठक हुई। इस बैठक में राजनीतिक, व्यापारिक और रणनीतिक सहयोग पर चर्चा हुई। लावरोव ने भारत-रूस संबंधों को विशेष रणनीतिक साझेदारी बताया और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोग को जरूरी बताया।
By: Sandeep malviya
Aug 21, 20251 hour ago
मॉस्को। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने गुरुवार को अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा, हमें आपको मॉस्को में देखकर खुशी हो रही है। मुझे पता है कि आपका कल का दिन व्यस्त था। आपने उप प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोव के साथ व्यापार और आर्थिक मामलों की अंतर-सरकारी आयोग की बैठक की, जो सफल रही।
लावरोव ने कहा, मुझे उम्मीद है कि आज हमें राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा का अवसर मिलेगा। हम अपने संबंधों को विशेष रणनीतिक साझेदारी के रूप में देखते हैं और हमें उम्मीद है कि हम इन संबंधों को पूरी तरह सही ठहराएंगे।
उन्होंने आगे कहा, हम अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक नई व्यवस्था बनते हुए देख रहे हैं, जो एक बहुध्रुवीय व्यवस्था है। इसमें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), ब्रिक्स और जी20 की भूमिका बढ़ती जा रही है और निश्चित रूप से संयुक्त राष्ट्र एक ऐसा मंच है, जहां सभी मौजूदा और भविष्य के शक्तिकेंद्र देश आपस में सहयोग, समझौते और संतुलित दृष्टिकोण से काम कर सकते हैं। रूस ऐसे संतुलित दृष्टिकोण का समर्थन करता है। मुझे आपसे मिलकर खुशी हो रही है और मुझे आज की चचार्ओं से अच्छे परिणाम की उम्मीद है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्या कहा
वहीं, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, आज की बैठक हमारे लिए एक अवसर है कि हम अपने राजनीतिक संबंधों पर चर्चा करें। साथ अपनी द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा भी करें। जयशंकर ने कहा, मैं राजनीति, व्यापार, निवेश, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और लोगों के आपसी संबंधों पर विचारों के आदान-प्रदान की उम्मीद करता हूं। हमारे नेताओं ने पिछले साल जुलाई में 22वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में और फिर कजान मं मुलाकात की थी। अब हम साल के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं। हमारे नेताओं ने हमेशा हमें विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने का मार्गदर्शन दिया है।
'दुनिया में सबसे स्थिर रहे भारत-रूस संबंध'
उन्होंने आगे कहा, जैसाकि आपने भी जिक्र किया कि कल हमारी (रूसी उप प्रधानमंत्री) डेनिस मांतुरोव के साथ अंतर-सरकारी आयोग की बहुत कामयाब बैठक रही। हमने द्विपक्षीय सहयोग के कई मुद्दों पर चर्चा की और कई समाधान भी निकाले। जयशंकर ने कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से भारत और रूस के संबंध दुनिया के सबसे स्थिर और मजबूत संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा, ऊर्जा के क्षेत्र में व्यापार और निवेश के जरिए सहयोग बनाए रखना भी बहुत जरूरी है।
'व्यापार असंतुलन को ठीक करना जरूरी'
उन्होंने बताया, हमने आपसी समझ के साथ द्विपक्षीय व्यापार को संतुलित और टिकाऊ तरीके से बढ़ाने की अपनी साझा इच्छा दोहराई है। इसके लिए भारत को रूस को होने वाले निर्यात को बढ़ाना जरूरी है। इसके लिए गैरजरूरी शुल्क बाधाओं और नियमों से जुड़ी अड़चनों को जल्दी दूर करना होगा। भारत के कृषि, दवा और वस्त्र जैसे क्षेत्रों से निर्यात बढ़ाकर इस व्यापार असंतुलन को ठीक किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा, हमारा रक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग भी मजबूत बना हुआ है। रूस भारत के 'मेक इन इंडिया' लक्ष्य का समर्थन करता है, जिसमें संयुक्त निर्माण और तकनीक हस्तांतरण शामिल है।
'रूसी तेल, एलएनजी के हम सबसे बड़े खरीददार नहीं'
जयशंकर ने प्रेस वार्ता में बताया, मैंने रूस की सेना में सेवा कर रहे भारतीयों का मुद्दा भी उठाया। कई लोगों को रिहा किया गया है, लेकिन अब भी कुछ मामलों में लोग लापता हैं या प्रक्रिया लंबित है। हमें उम्मीद है कि रूसी पक्ष जल्द इन मामलों का समाधान करेगा। तेल व्यापार पर उठे सवालों पर जयशंकर ने कहा, हम रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, वह चीन है। हम एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार भी नहीं हैं, वह यूरोपीय संघ है। 2022 के बाद रूस के साथ व्यापार में सबसे तेज बढ़त भी हमारे साथ नहीं हुई, बल्कि दक्षिण के कुछ अन्य देशों के साथ हुई है। उन्होंने कहा, हम एक ऐसा देश हैं, जिसे अमेरिकी प्रशासन खुद कहता आया है कि हमें वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए हर जरूरी कदम उठाने चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है। वैसे, हम अमेरिका से भी तेल खरीदते हैं और वह मात्रा बढ़ रही है। इसलिए, ईमानदारी से कहूं तो जो तर्क मीडिया की ओर से दिया गया है, वह हमें पूरी तरह से उलझाने वाला और अस्पष्ट लगता है।