दिल्ली-एनसीआर को दिवाली पर वायु प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए भले ही इस बार यहां सिर्फ ग्रीन पटाखों की बिक्री के दावे किए गए थे लेकिन ग्रीन पटाखों के नाम पर जो पटाखे बेचे और चलाए गए, उन्होंने खूब प्रदूषण किया। स्थिति यह रही कि राष्ट्रीय राजधानी में दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता पांच वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई।
By: Arvind Mishra
Oct 22, 20258 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
दिल्ली-एनसीआर को दिवाली पर वायु प्रदूषण के खतरे से बचाने के लिए भले ही इस बार यहां सिर्फ ग्रीन पटाखों की बिक्री के दावे किए गए थे लेकिन ग्रीन पटाखों के नाम पर जो पटाखे बेचे और चलाए गए, उन्होंने खूब प्रदूषण किया। स्थिति यह रही कि राष्ट्रीय राजधानी में दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता पांच वर्षों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। दरअसल, दिवाली के अगले दिन देश के कम से कम 16 शहरों की औसत हवा बेहद खराब से लेकर गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। इनमें राजधानी दिल्ली के अलावा 10 शहर हरियाणा, तीन यूपी, एक राजस्थान और एक गुजरात के हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 24 घंटे के औसत डाटा के अनुसार देश में सबसे खराब स्थिति हरियाणा के जींद में रही जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 421 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। इसके अलावा हरियाणा के ही धारूहेड़ा में एक्यूआई 412 दर्ज किया गया।
दिल्ली-एनसीआर के शहरों में पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जमकर धज्जियां उड़ीं। सुप्रीम कोर्ट ने रात आठ बजे से 10 बजे तक ग्रीन पटाखों की अनुमति दी थी, लेकिन लोगों ने आधी रात के बाद तक भी जमकर पटाखे फोड़े, जिसके चलते हवा को दमघोंटू बना दिया। दिवाली के दूसरे दिन आज दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बरकरार है। हवा दमघोंटू बनी हुई है। हवा की गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आंकड़े जारी किए हैं। दिल्ली का औसत एक्यूआई 345-380 के बीच है। वहीं दूसरी तरफ ग्रेप-2 पूरी तरह से लागू है। दिल्ली के आरके पुरम क्षेत्र में एक्यूआई 380 दर्ज किया गया, जो बहुत खराब श्रेणी के अंतर्गत आता है। दिवाली के बाद, पटाखों के धुएं और अन्य मौसमी कारकों के कारण धुंध और स्मॉग की स्थिति और गंभीर हो गई है। यह स्थिति न केवल दिल्ली बल्कि पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में चिंता का विषय बनी हुई है। दिल्ली के आईटीओ पर बुधवार सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक 361 दर्ज किया गया। वहीं अक्षरधाम के आसपास एक्यूआई 360 दर्ज किया गया, जो बहुत खराब श्रेणी में है। वहीं इंडिया गेट के आसपास वायु गुणवत्ता सूचकांक 362 दर्ज किया गया।
दिल्ली में दिवाली पर चार साल में सबसे खराब वायु गुणवत्ता दर्ज की गई, रात में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा और पीएम 2.5 का घनत्व 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया, जो 2021 के बाद से सबसे ज्यादा है। चार साल से तुलना करें, तो 2024 में दिवाली की रात दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 609, 2023 में 570, 2022 में 534, जबकि 2021 में 728 था।
दिल्ली की हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 351 दर्ज किया गया। एनसीआर में गुरुग्राम की हवा सबसे अधिक प्रदूषित रही। यहां एक्यूआई 370 दर्ज किया, गाजियाबाद में 324, नोएडा में 320 और ग्रेटर नोएडा में 282 सूचकांक दर्ज किया गया। फरीदाबाद में एक्यूआई एनसीआर के अन्य शहरों के मुकाबले सबसे कम 268 दर्ज किया गया।
स्विटजरलैंड की एजेंसी आईक्यूएयर के अनुसार दिल्ली की वायु गुणवत्ता दुनिया में सबसे खराब रही। आईक्यूएयर के अनुसार नई दिल्ली का एक्यूआई 442 रहा। हवा में पीएम 2.5 कणों की मौजूदगी विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानक से 59 गुना अधिक दर्ज की गई। पीएम 2.5 का अर्थ 2.5 माइक्रोन या उससे कम व्यास वाले कण हैं जो फेफड़ों तक पहुंच कर घातक बीमारियों और हृदय संबंधी समस्याओं की वजह बन सकते हैं।
दिल्ली-एनसीआर को आने वाले दिनों में भी प्रदूषण से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का अनुमान है कि वायु गुणवत्ता खराब से लेकर बेहद खराब के बीच ही बनी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह पटाखों पर प्रतिबंध में ढील देते हुए दिवाली के अवसर पर हरित पटाखे चलाने की अनुमति दी थी।
सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद (324), नोएडा (320) और हापुड़ (314) शामिल हैं। हरियाणा के नारनौल में एक्यूआई 390, रोहतक में 376, गुरुग्राम में 370 और बहादुरगढ़ में 368 दर्ज किया गया। राजस्थान के भिवाड़ी में 364 और गुजरात के नंदेसरी में 303 एक्यूआई रहा। पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या 353 तक पहुंची। 10 दिनों में इनमें तीन गुना से अधिक की वृद्धि हुई है।