यूक्रेन को लेकर अमेरिका रूस पर दबाव बढ़ा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूस पर लगाए नए प्रतिबंधों के बाद रूसी तेल का सामाज्य हिलने लगा है। रूस की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी लुकोइल ने अपनी अंतरराष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने का फैसला किया है।
By: Sandeep malviya
Oct 28, 20255:50 PM
फ्रैंकफर्ट। रूसी तेल दिग्गज कंपनी लुकोइल अपनी अंतरराष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने को मजबूर है। रूस की दूसरी सबसे बड़ी तेल कंपनी ने ये फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूस पर लगाए नए प्रतिबंधों के बाद किया है। कंपनी ने कहा है कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय कारोबार और संपत्तियों को बेचने जा रही है। ट्रंप के नए प्रतिबंधों का मकसद रूस-यूक्रेन में शांति कराना है। जिसके बाद रूस की दो बड़ी तेल कंपनियों सहित कई प्रतिबंधों की घोषणा की।
संभावित खरीदारों से चल रही बातचीत
रूसी तेल कंपनी ने एक बयान में बताया कि वह संभावित खरीदारों से बातचीत कर रही है। लुकोइल ने कहा कि यह लेनदेन 21 नवंबर तक दिए गए ह्यसैंक्शन ग्रेस पीरियडह्ण के भीतर पूरे किए जाएंगे, और जरूरत पड़ने पर इस अवधि को बढ़ाने की मांग भी की जाएगी।
रूस के अलावा और कई देशों में भी कारोबार
बता दें कि लुकोइल की 11 देशों में तेल और गैस परियोजनाओं में हिस्सेदारी है। कंपनी के पास बुल्गारिया और रोमानिया में रिफाइनरियां हैं, साथ ही नीदरलैंड्स की एक रिफाइनरी में 45 प्रतिशत हिस्सेदारी भी है। दरअसल, ट्रम्प ने 22 अक्टूबर को रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियां लुकोइल और रोसनेफ्ट के खिलाफ नए प्रतिबंधों की घोषणा की, जो देश के तेल निर्यात का लगभग आधा हिस्सा हैं। तेल और गैस से होने वाला राजस्व रूस में सरकारी राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। अमेरिका के ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने रूस से तत्काल युद्धविराम की अपील की है।
रूस के बाहर कारोबार करना बेहद मुश्किल
अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद लुकोइल और रोसनेफ्ट के लिए रूस के बाहर कारोबार करना बेहद मुश्किल हो गया है। अमेरिकी कंपनियों को इनसे व्यापार करने पर रोक है, साथ ही विदेशी बैंकों पर भी प्रतिबंधों का खतरा है। इसका मतलब है कि कोई भी बैंक जो प्रमुख अमेरिकी वित्तीय प्रणाली के साथ संपर्क बनाए रखना चाहता है, वह उनके साथ व्यापार करने से पहले दो बार सोचेगा।