शुभांशु शुक्ला ने कहा कि 'जब से हम यहां आए हैं, तब से ही काफी व्यस्त हैं। हम अंतरिक्ष स्टेशन पर बहुत सारे प्रयोग कर रहे हैं, जिन्हें लेकर मैं बेहद उत्साहित हूं। इस मिशन से माइक्रोग्रैविटी के लिए रास्ते खुलेंगे और इससे भारतीय वैज्ञानिकों के लिए नई राह खुलेगी।
By: Sandeep malviya
Jul 09, 20255:37 PM
वॉशिंगटन। शुभांशु शुक्ला ने कहा कि 'जब से हम यहां आए हैं, तब से ही काफी व्यस्त हैं। हम अंतरिक्ष स्टेशन पर बहुत सारे प्रयोग कर रहे हैं, जिन्हें लेकर मैं बेहद उत्साहित हूं। इस मिशन से माइक्रोग्रैविटी के लिए रास्ते खुलेंगे और इससे भारतीय वैज्ञानिकों के लिए नई राह खुलेगी। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला स्पेस में किए जा रहे वैज्ञानिक प्रयोगों को लेकर बेहद उत्साहित हैं। खासकर भारत द्वारा किए जा रहे प्रयोगों को लेकर उन्होंने विशेष उत्साह जाहिर किया। शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के तहत आईएसएस गए हैं।
'भारतीय वैज्ञानिकों के लिए खुलेंगे नए रास्ते'
एक्सिओम स्पेस की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. लूसी लोव ने बुधवार को एक्सिओम-4 मिशन पर गए क्रू से बात की। इस बातचीत में भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने उनके द्वारा किए जा रहे वैज्ञानिक प्रयोगों की जानकारी दी और बोले की वे बेहद व्यस्त हैं। शुभांशु शुक्ला ने कहा कि 'जब से हम यहां आए हैं, तब से ही काफी व्यस्त हैं। हम अंतरिक्ष स्टेशन पर बहुत सारे प्रयोग कर रहे हैं, जिन्हें लेकर मैं बेहद उत्साहित हूं। इस मिशन से माइक्रोग्रैविटी के लिए रास्ते खुलेंगे और इससे भारतीय वैज्ञानिकों के लिए नई राह खुलेगी। मुझे बेहद गर्व है कि इसरो दुनियाभर के संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रहा है।' शुभांशु ने बताया कि वह कई वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं, जिनमें स्टेम सेल का अध्ययन, माइक्रोग्रैविटी में बीजों का विकास, अंतरिक्ष में मस्तिष्क पर पड़ने वाला असर आदि प्रयोग शामिल हैं। शुभांशु ने कहा कि वे स्टेम सेल के अध्ययन वाले प्रयोग को लेकर बेहद उत्साहित हैं। इससे पता चलेगा कि क्या सप्लीमेंट्स लेने से चोट की रिकवरी तेज होती है या नहीं। भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने कहा कि वैज्ञानिकों और अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के बीच पुल बनना मेरे लिए गर्व की बात है। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के क्रू का हिस्सा हैं। जिसने 25 जून को नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से उड़ान भरी थी। एक्सिओम-4 मिशन 14 दिन का है।