सिलवानी। अंचल के ग्राम नीगरी में रघुवंशी परिवार (पीपल बालो ) के तत्वावधान में चल रही शिव पुराण कथा के पांचवें दिवस सोमवार का आयोजन भक्ति और आध्यात्मिकता से ओतप्रोत वातावरण में संपन्न हुआ। कथा वाचक पंडित राम किंकर शर्मा ( बीकलपुर) ने भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन कर श्रद्धालुओं को भक्ति, प्रेम और वैराग्य का गूढ़ संदेश दिया। पंडित शर्मा ने प्रवचन के दौरान कहा कि नाम जप तभी सार्थक होता है जब उसे एकांत और मनोयोग से किया जाए। उन्होंने बताया कि आज के युग में मशीनों के सहारे किए जाने वाले जप केवल दिखावे तक सीमित रह गए हैं। सच्ची साधना वही है जिसमें मन, वाणी और ह्रदय  एकाग्र होकर ईश्वर का स्मरण करें।उन्होंने कहा कि प्राचीन ऋषियों ने जप और तप की जो पद्धति बताई, वह आत्मा को निर्मल और जीवन को शांत बनाती है। शिव-पार्वती विवाह केवल दिव्य प्रेम का नहीं, बल्कि वैराग्य और गृहस्थ जीवन के संगम का प्रतीक है। भगवान शिव ने यह संदेश दिया कि गृहस्थ रहकर भी योग और त्याग के मार्ग पर चला जा सकता है। पंडित शर्मा ने प्रवचन में कहा कि आज के समय में भक्ति का स्वरूप बदल गया है, लोग मशीनों के सहारे जप तो करते हैं, परंतु उसमें मन और श्रद्धा का अभाव रहता है। उन्होंने बताया कि सच्चा नाम जप तभी सफल होता है जब साधक एकांत, पवित्र और शांत स्थान पर बैठकर मनोयोग से शिव-शिव का स्मरण करे। यही मार्ग हमारे ऋषि.मुनियों ने बताया हैए जिससे आत्मा निर्मल होती है और जीवन में शांति आती है।
 कथा के दौरान तारकासुर वध प्रसंग का भी उल्लेख हुआ, जिसमें बताया गया कि देवताओं की प्रार्थना पर शिवजी ने संसार के कल्याण हेतु पार्वती से विवाह किया। यह प्रसंग सृष्टि में संतुलन और सामंजस्य का प्रतीक बताया गया।
कथा के पांचवें दिवस मुख्य रूप से भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह प्रसंग का वर्णन हुआ। पंडित श्री शर्मा ने बताया कि यह विवाह केवल दिव्य प्रेम का नहीं, बल्कि वैराग्य और गृहस्थ जीवन के संगम का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने संसार को यह संदेश दिया कि गृहस्थ आश्रम में रहते हुए भी योग और वैराग्य के मार्ग पर चला जा सकता है। भक्तों ने भक्ति, वैराग्य और संतुलन के इस दिव्य संदेश को आत्मसात करते हुए भगवान शिव के नाम का एक स्वर में संकीर्तन किया। पूरा वातावरण हर हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा।