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लगातार मानसिक खेल कुछ अंतराल के बाद यातनाओं में बदलते

मनोविज्ञान विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को समझने में मदद करता है, जिससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है और अपनी कमज़ोरियों को पहचानने और सुधारने की क्षमता बढ़ती हैं। दिमागी खेलों का इस्तेमाल हमेशा दूसरे व्यक्ति की भावनाओं और कार्यों को प्रभावित एवम उन्हें नियंत्रित करने के लिए किया जाता है, जो किसी व्यक्ति को कुछ खास कार्य करने के लिए मजबूर करते है

By: Ajay Tiwari

Oct 06, 202515 hours ago

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लगातार मानसिक खेल कुछ अंतराल के बाद यातनाओं में बदलते

(विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस विशेष 10 अक्टूबर 2025)

डॉ. प्रितम भि. गेडाम

मनोविज्ञान विचारों, भावनाओं और व्यवहारों को समझने में मदद करता है, जिससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है और अपनी कमज़ोरियों को पहचानने और सुधारने की क्षमता बढ़ती हैं। दिमागी खेलों का इस्तेमाल हमेशा दूसरे व्यक्ति की भावनाओं और कार्यों को प्रभावित एवम उन्हें नियंत्रित करने के लिए किया जाता है, जो किसी व्यक्ति को कुछ खास कार्य करने के लिए मजबूर करते है, कभी-कभी रिश्तों में बढ़त हासिल करने, अपनी कमज़ोरियों को ज़ाहिर नहीं करना, किसी रिश्ते में हावी होने की इच्छा, किसी की दिलचस्पी बनाए रखने, ध्यान आकर्षित करने या धोखा देने के लिए दिमागी खेल खेलते है, दूसरे शब्दों में, दिमागी खेल मनोवैज्ञानिक हेरफेर हैं। कार्यस्थल पर दिमागी खेल अक्सर गुप्त एजेंडे, हेरफेर, शक्ति की गतिशीलता और अन्य सूक्ष्म मानसिक चालें शामिल होती हैं। भावनात्मक बुद्धिमत्ता की कमी अक्सर स्वार्थी और अदूरदर्शी व्यवहार की ओर ले जाती हैं। दिमागी खेल खेलने वाला व्यक्ति, जो नियंत्रणकारी, धोखेबाज़ या मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार में लिप्त होता है, उन्हें मैनिपुलेटर या नार्सिसिस्ट कहा जाता हैं। दिमागी खेल हमारे भावनात्मक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालते है, यह कुछ हद तक ठीक है, क्योंकि इससे रिश्तों में लचीलापन आता है, लेकिन लगातार इस तरह के दिमागी खेल खेलना मानसिक यातनाए बन जाती हैं। सीधा और साफ संवाद कई दिमागी खेलों को रोक सकता हैं। चालाकी भरे व्यवहार पर बात करते समय, आपने जो देखा है और उससे आपको कैसा महसूस होता है, उसके बारे में स्पष्ट रहें।

विश्व मानसिक स्वास्थ्य महासंघ अनुसार, इस साल 2025 में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की थीम "सेवाओं तक पहुँच - आपदाओं और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य" हैं। मानसिक स्वास्थ्य विकार 200 से ज़्यादा प्रकार के होते हैं। तनाव विकार, जुनूनी-बाध्यकारी विकार, सामाजिक भय और सामान्यीकृत चिंता विकार, अवसाद और द्विध्रुवी विकार जैसे मनोदशा संबंधी विकार व अन्य। हमारे देश में मनोचिकित्सक की भारी कमी है, लोग मानसिक विकार से गुजरते हुए भी अधिकतर खुद को विकारग्रस्त नहीं मानते। शरीर की भांति मन का भी रोज व्यायाम होना चाहिए, उसे भी पोषक वातावरण बेहद आवश्यक होता हैं। जीवन में कभी किसी व्यक्ति की आदत या अत्यधिक निर्भरता पर नहीं रहना, क्योंकि उस व्यक्ति के जाने के बाद या उसके व्यवहार में बदलाव के बाद हम भावनात्मक रूप से टूटने के कगार पर पहुंच सकते हैं।

महिलाएं भावनात्मक सुरक्षा की कमी, शक्तिशाली या नियंत्रण में रखने की चाहत, चोट लगने के डर या अपनी असुरक्षाओं के प्रतिबिंब जैसे कारणों से मानसिक खेल खेलती हैं। ये हथकंडे बचाव के तरीके या किसी पुरुष की प्रतिबद्धता और आकर्षण को परखने के प्रयास हो सकते हैं। नकारात्मक अतीत से कुछ महिलाएं मानसिक खेलों का इस्तेमाल एक बचाव के तरीके के रूप में भी करती हैं। प्रेम और आकर्षण के बीच के अंतर को समझना जरूरी अन्यथा गलतफहमियां बढ़ती है और बहुत बार रिश्तों में अवांछित या हिंसक मोड़ आ जाता हैं। कभी भी आवेश में आकर कोई निर्णय लेने से बचें और खुशी में कोई वादा या अतिशीघ्र निश्चय न लें, क्योंकि भावनाओं में आकर फैसले नहीं किये जाते। किसी भी रिश्ते की नींव भरोसा और एक दूसरे के प्रति भावनात्मक समानता होती है, जब भी इनमें दरार आये तो उस रिश्ते की मजबूती पर सवाल उठते हैं।

उदाहरण के लिए मानते हैं कि, एक पुरुष और एक महिला आपस में अच्छे मित्र है, दोनों एक-दूसरे के प्रति सन्मान और आदरभाव रखते हैं। इसमें पुरुष मित्र बेहतर और जिम्मेदार साथी है, जो हमेशा अपने महिला मित्र के खुशी के बारे में विचार करता है, परंतु महिला मित्र खुद के बारे में ज्यादा सोचती है, पुरुष मित्र के विचारों को सुनना, समझना या उसके दुःख-सुख को जानने में रूचि नहीं लेती हैं। महिला मित्र अधिक से अधिक पुरुषों का ध्यान आकर्षित करना चाहती है, वह सामने वाले पुरुष को बिना जाने-पहचाने ही तारीफों के पुल बांधने लगती है, सोशल मीडिया पर, कार्यस्थल और अन्य स्थान पर भी उसके ऐसे ही अनेक पुरुष मित्र है, जिनसे वह यही समान व्यवहार करती हैं। इसका मतलब कि वह महिला मित्र हर पुरुष मित्र से मनोवैज्ञानिक खेल खेलती हैं। ऐसी महिला बहुदा राज, भ्रम या धोखा प्रतीत होती हैं। ऐसी परिस्थिति में पुरुष मित्र ने हमेशा इस प्रकार की महिलाओं से दुरी बनाकर रखनी चाहिए, वर्ना भावनाओं में बहकर पुरुष मित्र अनुचित निर्णय या दुर्व्यवहार का शिकार हो सकता है और गहरा मानसिक आघात भी लग सकता हैं।

यह तो केवल एक उदाहरण है, लेकिन हकीकत में मनोविज्ञान का हमारे विचारों पर रोजाना असर होता हैं। कोई दिखावे का अपनापन दिखाता हैं, कोई भावनात्मक रूप से डराता हैं या भावनाओं से खेलता हैं, कोई हम पर दोषरोपण करता हैं, तो कोई हमें खुद की सोच पर भ्रम की स्थिति दर्शाता है, तो कोई हमसे सच छुपाकर झूठ दिखलाता हैं। लोगों की बातों को मन से लगाकर अपने आपको कमजोर साबित करने लगते हैं, इस तरह हम सत्य-असत्य के बीच संदेह के घेरे में आ जाते है और योग्य निर्णय लेने में खुद को असमर्थ महसूस करते हैं। बहुत बार लोग सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट को देखकर अपनी भड़ास निकालते हैं, लड़के लड़कियों की झूठी आईडी बनाकर अकाउंट चलाते है और जालसाजी करते हैं। भ्रामक विज्ञापन, नेताओं के भाषण, अश्लील कंटेंट और धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले पोस्ट भी खूब करते है, जिस पर लोग प्रतिक्रिया देकर मनोवैज्ञानिक खेल का हिस्सा बन जाते हैं।

किसी के दिमागी खेल खेलने के संकेतों में शामिल हैं, आपको भ्रमित या शर्मिंदा महसूस कराना, अपने स्वभाव के विपरीत व्यवहार करना, जैसे अचानक चुप हो जाना या गहरा स्नेह दिखाना, जल्द व्यवहार बदलना, गैसलाइटिंग या द्वेषपूर्ण तारीफ़ों से आपकी धारणाओं में हेरफेर करना, दोष दूसरों पर मढ़कर ज़िम्मेदारी से बचना, वे लगातार अपना मूड बदलते रहते है और जानकारी छिपाकर या नियंत्रण बनाए रखने के लिए अपने सामाजिक दायरे से बाहर रखकर आपको अंधेरे में रखना। अपनी कमजोरियां छुपाना और कोई चीज सीधे न मांगकर दिमागी खेल खेलकर ध्यान आकर्षित करते हैं। यह व्यवहार शक्ति प्राप्त करने या अपनी मनचाही चीज़ें पाने के लिए हेरफेर करने का काम करता है, जिससे आप असुरक्षित महसूस करते हैं या खुद पर संदेह करते हैं।

मौन व्यवहार के साथ ही मनोविज्ञान में अपराधबोध, गैसलाइटिंग, प्रक्षेपण, पीड़ित की भूमिका निभाना, ध्यान आकर्षित करने की होड़, त्रिकोणीकरण, सूक्ष्म हेरफेर जैसे दिमागी खेल खेले जाते हैं, जिससे बचना चाहिए। इन आम मानसिक दिमागी खेलों को पहचानना और उनसे निपटने की रणनीतियाँ बनाना, स्वस्थ रिश्तों और अपनी मानसिक सेहत को बनाए रखने के लिए ज़रूरी हैं। सीमाएँ तय करना, खुलकर बातचीत करना और अपनी जरूरतों को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी है, साथ ही लोगों द्वारा चापलूसी, अनावश्यक प्रशंसा और अपने हेरफेर के कारणों के बारे में भी जागरूक रहना जरूरी हैं। किसी के उकसावे पर प्रतिक्रिया न दें, ऐसा करके, आप इन मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का आत्मविश्वास और शालीनता से सामना कर सकते हैं।

किसी की खुशी में खुश और दुःख में दुखी महसूस करना, अब नजर नहीं आता, जबकि असल में यही मानवी भाव होते हैं, हर ओर दिखावे का मुखौटा लगाकर झूठे व्यवहार के चक्कर में हम अपनी भोली मासूमियत को खुद ही मार चुके हैं। यही कारण है कि वर्तमान में मानसिक विकारों में भी बेतहाशा वृद्धि हुयी है, जो सीधे तौर पर शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रही हैं। हालातों से जीवन इतना भी उलझा नहीं होता, जितना मनुष्य उसको खुद उलझाता हैं। मन मस्तिष्क को हमेशा हल्का बनाए रखें, नकारात्मक विचारों का बोझ लेकर न चलें। स्व-देखभाल को प्राथमिकता दें, नियमित शारीरिक गतिविधि करें, संतुलित आहार लें और पर्याप्त नींद लें। लोगों से ज्यादा अपेक्षाएं न लगायें। रिश्तों को मज़बूत बनाएँ, दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएँ। जो व्यक्ति आपको समझें, भावनाओं की कद्र करें और दुःख सुख में साथ दें, ऐसे लोगों के संपर्क में रहें, ताकि हम में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता रहें और नकारात्मकता से दूरी बनी रहें।

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