देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रात अपने पद इस्तीफा दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों को इसकी वजह बताया। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक का था। मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस्तीफा मंजूर कर लिया। यह जानकारी राज्यसभा में पीठासीन घनश्याम तिवाड़ी ने दी।
By: Arvind Mishra
Jul 22, 202510 hours ago
हाइलाइट्स
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस्तीफा मंजूर कर लिया। यह जानकारी राज्यसभा में पीठासीन घनश्याम तिवाड़ी ने दी। धनखड़ सदन की कार्यवाही में भी शामिल नहीं हुए। सुबह 11 बजे अपर सदन की कार्यवाही की शुरुआत जेडीयू सांसद हरिवंश ने की। इससे पहले खबर थी कि धनखड़ इस्तीफा वापस नहीं लेंगे। ना ही विदाई समारोह में शामिल होंगे। उधर, पीएम मोदी ने कहा कि मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रात अपने पद इस्तीफा दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों को इसकी वजह बताया। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक का था। धनखड़ ने अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को त्यागपत्र सौंपा है। उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने पर विपक्ष केंद्र सरकार पर सवालों की बैछार कर रहा है। इधर, उपराष्ट्रपति धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने उनके उत्तराधिकारी के लिए रेस शुरू हो गई है। सत्तारूढ़ भाजपा नीत राजग को लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों सहित मतदाताओं में बहुमत प्राप्त है, इसलिए धनखड़ के इस्तीफे के फैसले से वह आश्चर्यचकित है। आने वाले दिनों में संभावित नामों पर विचार किए जाने की संभावना है। धनखड़ उपराष्ट्रपति का पद संभालने से पहले बंगाल के राज्यपाल थे, ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए राज्यपालों में से एक या एक अनुभवी संगठनात्मक नेता या केंद्रीय मंत्रियों में से एक को चुना जा सकता है।
भाजपा के पास इस पद पर चुनने के लिए नेताओं का एक बड़ा समूह है। धनखड़ से पहले भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एम वेंकैया नायडू उपराष्ट्रपति थे। 2017 में जब पार्टी ने उन्हें प्रमुख संवैधानिक पद के लिए चुना था, तब वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमंडल में थे। एक भाजपा नेता ने कहा-हम अभी भी इस पर विचार कर रहे हैं। लेकिन मेरा मानना है कि पार्टी किसी ऐसे व्यक्ति को चुनेगी, जो ठोस विकल्प हो और जिस पर कोई विवाद न हो।
भाजपा नेता ने सुझाव दिया कि पार्टी का कोई अनुभवी व्यक्ति पसंदीदा विकल्प हो सकता है। जदयू के सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश को भी संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि वह 2020 से इस पद पर कार्यरत हैं और सरकार का विश्वास प्राप्त है। धनखड़ के तीन साल के कार्यकाल में राज्यसभा में विपक्षी दलों के साथ उनकी अक्सर तकरार हुई, लेकिन अक्सर विवादास्पद मुद्दों पर उनकी तीखी टिप्पणियों ने सरकार को कई बार निराश किया।
धनखड़ के इस्तीफे से पहले वरिष्ठ बीजेपी नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय में गतिविधियां तेज थी। एक बीजेपी सांसद ने नाम न बताने की शर्त पर कहा था कि उनसे सफेद कागज पर हस्ताक्षर करवाया जा रहा था। शाम को संसद में राजनाथ सिंह के कार्यालय के बाहर भी काफी हलचल रही और बैठकें भी खूब हुईं। भाजपा सांसद राजनाथ के कार्यालय में घुसे और बिना कुछ बोले ही बाहर निकल गए।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- इस अप्रत्याशित इस्तीफे में जो दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा है। पीएम मोदी धनखड़ को मन बदलने के लिए मनाएं। यह राष्ट्रहित में होगा। खासतौर पर कृषक समुदाय को बहुत राहत मिलेगी। धनखड़ ने सरकार और विपक्ष, दोनों को समान रूप से आड़े हाथों लिया है। उन्होंने मंगलवार दोपहर 1 बजे कार्य मंत्रणा समिति की बैठक तय की थी। न्यायपालिका से संबंधित कुछ बड़ी घोषणाएं भी करनी थीं।
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने धनखड़ को देशभक्त बताया। उन्होंने कहा- धनखड़ ने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, इसलिए इसे स्वीकार किया जाना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। इस पर आगे कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए। मैं व्यक्तिगत रूप से उनके इस्तीफे से खुश नहीं हूं, क्योंकि मैं अब जब संसद जाऊंगा तो उनसे नहीं मिलूंगा। निजीतौर पर मुझे अच्छा नहीं लगा। मेरे उनके साथ बहुत अच्छे संबंध थे।
गौरतलब है कि देश में 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में धनखड़ पहले ऐसे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 महाभियोग प्रस्ताव लाया था। जो बाद में तकनीकी कारणों से खारिज हो गया था। विपक्ष धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा था। विपक्ष का दावा था कि वह सिर्फ विपक्ष की आवाज व उनके सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों को दबाते हैं। धनखड़ के पिछले कार्यकाल को देखें तो कई अहम पदों पर रहे, लेकिन वे अपना कार्यकाल पूरा होते नहीं देख पाए। एक बार विधायक के तौर पर उनके पांच साल एकमात्र अपवाद है।