जोहानिसबर्ग G20 शिखर सम्मेलन में PM मोदी का स्वागत। दक्षिण अफ्रीका ने गरीब और जलवायु मुद्दों पर ज़ोर दिया। ट्रंप, पुतिन, जिनपिंग अनुपस्थित। गरीब देशों को कर्ज राहत और हरित ऊर्जा सहयोग पर होगी चर्चा।
By: Ajay Tiwari
Nov 22, 20253:27 PM
हाइलाइट्स
जोहानिसबर्ग . स्टार समाचार वेब
दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में पहली बार अफ्रीकी धरती पर हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन में, मेजबान देश ने गरीब और जलवायु-प्रभावित देशों के हितों को प्रमुखता से उठाया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक में शामिल होने के लिए नैसरेक एक्सपो सेंटर पहुंचे, जहां दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने उनका औपचारिक स्वागत किया। वहीं, इस महत्वपूर्ण वैश्विक बैठक में अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग ने हिस्सा नहीं लिया।

समानता और सतत् विकास प्राथमिकता
उद्घाटन सत्र में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रामाफोसा ने एकजुटता, समानता और सतत विकास को अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा कि यह समिट अफ्रीका के लिए एक बड़ा अवसर है और उनका देश अपनी जिम्मेदारियां पूरी ईमानदारी से निभाएगा। दक्षिण अफ्रीका इस सम्मेलन में जलवायु आपदाओं से लड़ रहे गरीब देशों के लिए मदद बढ़ाने, विदेशी कर्ज में राहत देने और हरित ऊर्जा सहयोग जैसे मुद्दों पर सहमति की उम्मीद कर रहा है। पीएम मोदी ने समिट के दौरान इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी से मुलाकात की।
अब समय है विकास के नए मानक तय करने का : मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने G20 शिखर सम्मेलन के पहले सत्र में भाषण दिया. उन्होंने समावेशी और टिकाऊ विकास पर जोर दिया। मोदी ने कहा कि अफ्रीका पहली बार G20 समिट की मेजबानी कर रहा है, इसलिए अब सही समय है कि हम अपने विकास के पैमानों को फिर से देखें और ऐसा विकास मॉडल अपनाएं जो सबको साथ ले और लंबे समय तक टिक सके.पीएम मोदी ने कहा कि भारत के प्राचीन मूल्यों, खासकर समग्र मानववाद का सिद्धांत, दुनिया को आगे बढ़ने का बेहतर रास्ता दिखाता है.
अमेरिका ने किया सम्मेलन का बहिष्कार
ट्रंप द्वारा दक्षिण अफ्रीका पर 'एंटी-व्हाइट नीतियों' के आरोप लगाने के बाद अमेरिका ने सम्मेलन का बहिष्कार किया, जिससे दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद गहरा गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्रंप की अनुपस्थिति पर अफसोस जताया, लेकिन कहा कि इससे काम नहीं रुकना चाहिए। समूह के सामने सबसे बड़ी चुनौती सर्वसम्मति से काम करना है। दक्षिण अफ्रीका ने आरोप लगाया कि अमेरिका अंतिम घोषणा को कमजोर करने का दबाव डाल रहा है, जिस पर राष्ट्रपति रामाफोसा ने स्पष्ट किया कि दक्षिण अफ्रीका धमकाया नहीं जाएगा और अंतिम घोषणा सभी देशों की सहमति से ही जारी की जाएगी। इस बैठक के अंत में जी20 की अध्यक्षता दक्षिण अफ्रीका से अमेरिका को हस्तांतरित हो जाएगी। इन तमाम राजनीतिक तनावों के बीच, दक्षिण अफ्रीका का प्रयास है कि यह पहला अफ्रीकी जी20 सम्मेलन दुनिया के गरीब देशों की आवाज को प्रमुखता दिलाने में एक मील का पत्थर साबित हो।