जबलपुर के जिला अस्पताल विक्टोरिया में गुरुवार को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) की टीम ने बड़ी कार्रवाई की। वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद ईओडब्ल्यू ने अस्पताल कार्यालय पर छापा मारकर वर्ष 2009 से 2020 तक के महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए।
By: Ajay Tiwari
Oct 18, 20255 hours ago
हाइलाइट्स
जबलपुर. स्टार समाचार वेब
मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित जिला अस्पताल विक्टोरिया एक बड़े वित्तीय घोटाले को लेकर सुर्खियों में है। गुरुवार को आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) की टीम ने अस्पताल कार्यालय में अचानक दबिश देकर वर्ष 2009 से 2020 तक के महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेजों को जब्त कर लिया। यह कार्रवाई लंबे समय से चल रही वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतों के आधार पर की गई है।
17 बार नोटिस, फिर भी नहीं मिले दस्तावेज़
ईओडब्ल्यू सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जांच एजेंसी पिछले कुछ समय से अस्पताल से संबंधित वित्तीय रिकॉर्ड मांग रही थी। वर्ष 2022 से 2025 के बीच EOW ने 17 बार पत्र लिखकर अस्पताल प्रशासन से खरीद-फरोख्त, मेडिकल रिइंबर्समेंट, निर्माण और मरम्मत कार्यों से जुड़े बिलों और रजिस्टरों की जानकारी मांगी थी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने लगातार इन पत्रों की अनदेखी की और कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया।
अचानक दबिश, हड़कंप की स्थिति
लगातार दस्तावेज़ उपलब्ध न कराए जाने पर, एसपी ईओडब्ल्यू अनिल विश्वकर्मा के निर्देश पर टीआई भुवनेश्वरी चौहान के नेतृत्व में एक टीम ने गुरुवार सुबह अचानक अस्पताल कार्यालय में पहुंचकर जांच शुरू कर दी। ईओडब्ल्यू की इस अचानक कार्रवाई से अस्पताल के अधिकारियों और कर्मचारियों में हड़कंप मच गया।
फाइलें और बिल वाउचर जब्त
टीम ने सिविल सर्जन डॉ. नवीन कोठारी की मौजूदगी में घंटों तक रिकॉर्ड खंगाले और कई महत्वपूर्ण रजिस्टर, भुगतान फाइलें, और बिल-वाउचर जब्त किए। शुरुआती जांच में यह संकेत मिले हैं कि लाखों रुपये के फर्जी भुगतान और हेराफेरी की गई है। इसके साथ ही, कई ऐसे ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं के माध्यम से भुगतान किए जाने का संदेह है जिनके वास्तविक काम संदिग्ध पाए गए हैं।
दवा खरीदी में सवा करोड़ का घोटाला
ईओडब्ल्यू ने बताया कि दवाइयों और सर्जिकल सामग्री की खरीद में सरकारी नियमों का स्पष्ट उल्लंघन किया गया है, जिसके चलते लगभग सवा करोड़ रुपये (1.25 करोड़) का घोटाला होने का अनुमान है। इस पूरे फर्जीवाड़े में तत्कालीन अधीक्षक, फार्मासिस्ट और एक फार्मा कंपनी की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। जब्त किए गए दस्तावेजों की गहन जांच की जा रही है, जिससे इस घोटाले में शामिल अन्य बड़े नामों का खुलासा होने की संभावना है।