अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने मुंबई विवि में पाली, प्राकृत और अवेस्ता पहलवी और गुजरात विवि में प्राकृत भाषाओं के अध्ययन के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य उन्नत अनुसंधान, अनुवाद, पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक शिक्षाशास्त्र के साथ एकीकृत करना है।
By: Arvind Mishra
Oct 14, 202512:33 PM
भोपाल/नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने मुंबई विवि में पाली, प्राकृत और अवेस्ता पहलवी और गुजरात विवि में प्राकृत भाषाओं के अध्ययन के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य उन्नत अनुसंधान, अनुवाद, पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण और पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक शिक्षाशास्त्र के साथ एकीकृत करना है। वहीं, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के अंतर्गत विरासत और शास्त्रीय भाषाओं के संवर्धन और संरक्षण के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए देश भर के विश्वविद्यालयों को सहायता प्रदान कर रहा है। इसी पहल के पहले चरण में मंत्रालय ने इंदौर के देवी अहिल्या विवि (डीएवीवी) में पीएमजेवीके के तहत 27.16 करोड़ की लागत से जैन अध्ययन केंद्र की शुरुआत की।
समारोह के दौरान जैन धर्म और भारतीय ज्ञान प्रणाली पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मप्र के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के सचिव डॉ. चंद्रशेखर कुमार और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव राम सिंह भी उपस्थित थे।
डॉ. चंद्रशेखर कुमार ने विवि परिसर का दौरा किया और संकाय सदस्यों से संवाद भी किया। उन्होंने विवि से जैन अध्ययन केंद्र को वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित करने और अनुसंधान, दस्तावेजीकरण और प्रसार के लिए आधुनिक तकनीक और डिजिटल उपकरणों को एकीकृत करने का आह्वान किया।
कुमार ने प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर देते हुए व्यापक शैक्षणिक और सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए विरासती भाषाओं के संरक्षण, डिजिटलीकरण और संवर्धन में एआई की क्षमता पर प्रकाश डाला।