By: Arvind Mishra
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश में कफ सिरप कोल्ड्रिफ पीने से 16 बच्चों की मौत के की जांच अब एसआईटी करेगी। पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए 12 सदस्यीय विशेष जांच दल का गठन किया है। एसडीओपी जितेंद्र सिंह जाट के नेतृत्व में बनी एसआईटी तमिलनाडु जाएगी। दवा कंपनी के कामकाज की जांच करेगी। इधर, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जबलपुर का प्रस्तावित दौरा निरस्त कर दिया है। आज सीएम परासिया जाएंगे। जहां मृतक बच्चों के परिजनों से मुलाकात करेंगे। इसके बाद छिंदवाड़ा लौटकर वह भोपाल के लिए रवाना होंगे। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी पीड़ित परिवार से मिलेंगे। दरअसल, मध्यप्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत का मामला लगातार तूल पकड़ रहा है। छिंदवाड़ा में 14 और बैतूल में अब तक बच्चों की जान जा चुकी है।
जहरीले कफ सिरप का असर सीधे बच्चों की किडनी पर देखने को मिला। किडनी फेल होने से बच्चों की मौत हो गई। बच्चों की दवाइयों में कोल्ड्रिफ कफ सिरप लिखने वाले सरकारी डॉ. प्रवीण सोनी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। डॉक्टर के खिलाफ लापरवाही का केस दर्ज किया गया है।
छिंदवाड़ा कलेक्टर ने बताया कि आठ बच्चे अभी नागपुर में इलाजरत हैं, जिनमें से तीन की हालत नाजुक बताई जा रही है। वहीं, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपल के एम्स में 4 बच्चे भर्ती हैं।
मामले की सच्चाई तक जाने के लिए शव पोस्टमार्टम भी किया जाएगा। इसके लिए इस अंतिम पीड़िता दो वर्षीय योगिता ठाकरे के शव को कब्र से बाहर निकाला गया है। अब हुई 16 मौतों में ये पहला पोस्टमार्टम होने जा रहा है।
इधर, 16 बच्चों की मौत के जागे खाद्य एवं औषधि प्रशासन के जिम्मेदारों ने विभिन्न अनियमितताएं पाए जाने पर जिले के परासिया स्थित अपना मेडिकल स्टोर का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। औषधि अनुज्ञापन प्राधिकारी शरद कुमार जैन ने बताया है कि आदेश के बाद इस मेडिकल स्टोर्स द्वारा अब दवाओं का क्रय-विक्रय पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। उल्लंघन पर तीन से पांच वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है। जैन ने बताया कि विभिन्न बिंदुओं पर अपना मेडिकल स्टोर्स परासिया का निरीक्षण किया गया, जिसमें गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। निरीक्षण के दौरान विक्रय रिकॉर्ड अपूर्ण पाए गए, पंजीकृत फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में दवाओं का विक्रय किया जा रहा था। विक्रय बिल प्रस्तुत नहीं किए गए। इन उल्लंघनों के संबंध में नोटिस जारी किया गया था, लेकिन संचालक द्वारा स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया।