वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (WDMMA) की रैंकिंग में भारतीय वायुसेना (IAF) अमेरिका और रूस के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गई है, जिससे चीन तिलमिला उठा है। चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सेनाओं की रैंकिंग 'कागजों पर नहीं, बल्कि वास्तविक क्षमताओं' के आधार पर होनी चाहिए। जानें इस रैंकिंग की मुख्य बातें।
By: Ajay Tiwari
Oct 21, 20252 hours ago
नई दिल्ली. स्टार समाचार वेब
हाल ही में वर्ल्ड डायरेक्टरी ऑफ मॉडर्न मिलिट्री एयरक्राफ्ट (WDMMA) द्वारा जारी नई वैश्विक वायुसेना रैंकिंग ने एशिया में सामरिक बहस को तेज कर दिया है। इस रैंकिंग में भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बाद तीसरे स्थान पर रखा गया है, जिसने भारतीय वायुसेना (IAF) को दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली वायुसेना घोषित किया है।
इस रैंकिंग के अनुसार, भारतीय वायुसेना ने चीन की वायुसेना (PLAAF) को पीछे छोड़ दिया है, जो इस लिस्ट में भारत से नीचे चली गई है। यह उपलब्धि भारत के चल रहे आधुनिकीकरण प्रयासों को दर्शाती है, जिसमें राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती, स्वदेशी तेजस का विकास और सुखोई-30 एमकेआई एवं मिराज-2000 विमानों का अपग्रेडेशन शामिल है।
WDMMA की रैंकिंग "TruVal Rating" (ट्रू वैल्यू रेटिंग) पर आधारित है, जो सिर्फ विमानों की संख्या ही नहीं, बल्कि उनकी गुणवत्ता, आधुनिकीकरण, लॉजिस्टिक सपोर्ट, प्रशिक्षण और लड़ाकू क्षमता जैसे कई कारकों को ध्यान में रखता है।
शीर्ष रैंकिंग:
अमेरिका: 242.9 “TruVal Rating”
रूस: 114.2 “TruVal Rating”
भारत: 69.4 “TruVal Rating”
चीन: इस लिस्ट में भारत से नीचे है।
भारतीय वायुसेना के पास: कुल 1,716 विमान हैं, जिनमें 31.6% फाइटर जेट, 29% हेलिकॉप्टर और 21.8% ट्रेनर एयरक्राफ्ट शामिल हैं।
बेड़े की विविधता: भारत की वायुसेना का बेड़ा रूस, फ्रांस और भारत में ही बने विमानों का मिश्रण है, जो उसकी मजबूत सामरिक साझेदारियों को दर्शाता है।
भारत को दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली वायुसेना बताए जाने पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इस विषय पर एक लेख प्रकाशित किया है, जिसका शीर्षक है, 'सेनाओं की रैंकिंग कागज़ों पर नहीं बल्कि वास्तविक क्षमताओं के आधार पर होनी चाहिए- भारत की 'दुनिया की तीसरी सबसे शक्तिशाली वायु सेना' रैंकिंग पर चीनी विशेषज्ञ।'
चीनी सैन्य मामलों के विशेषज्ञ झांग जुनशे ने ग्लोबल टाइम्स से बातचीत में इस रैंकिंग को गंभीरता से नहीं लेने को कहा है। उन्होंने कहा:
"सेनाओं की रैंकिंग कागजों पर आधारित न होकर वास्तविक क्षमताओं के आधार पर की जानी चाहिए और अतिशयोक्ति के कारण होने वाली संभावित गलत गणनाओं से किसी को भी लाभ नहीं होगा।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि "सेनाओं की वास्तविक युद्ध क्षमताएं ही सार्थक तुलना का आधार होती हैं, न कि उनकी कागजी ताकत।" यह प्रतिक्रिया चीन की उस असुविधा को दर्शाती है जब भारत, जिसके पास विमानों की संख्या चीन से कम है, आधुनिक तकनीक, बेहतर प्रशिक्षण और रणनीतिक तैयारी के कारण रैंकिंग में उससे आगे निकल गया है।
WDMMA की रैंकिंग के अनुसार, चीन के पास भारत से काफी ज्यादा संख्या में विमान हैं, लेकिन TVR (TruVal Rating) के पैमाने पर, जो गुणात्मक पहलुओं को महत्व देता है, भारत की वायुसेना को अधिक शक्तिशाली माना गया है।