उज्जैन महाकाल मंदिर में 25 दिसंबर से 5 जनवरी तक विशेष दर्शन व्यवस्था लागू। जानें भस्म आरती की ऑफलाइन बुकिंग, 1 जनवरी के नियम और अलग-अलग द्वारों से प्रवेश की पूरी जानकारी।
By: Ajay Tiwari
Dec 25, 20255:23 PM
धर्म डेस्क| स्टार समाचार वेब
वर्ष 2025 की विदाई और नववर्ष 2026 के स्वागत के लिए उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया है। मंदिर समिति के अनुसार, 25 दिसंबर से 5 जनवरी के बीच लगभग 12 लाख भक्तों के पहुंचने की संभावना है। अत्यधिक भीड़ को नियंत्रित करने और सुगम दर्शन सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने भस्म आरती की बुकिंग और प्रवेश द्वारों की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन किए हैं।
भस्म आरती बुकिंग: ऑनलाइन सेवाएं बंद
प्रशासन ने निर्णय लिया है कि 25 दिसंबर से 5 जनवरी तक भस्म आरती की ऑनलाइन बुकिंग पूरी तरह बंद रहेगी। इस दौरान श्रद्धालु केवल ऑफलाइन माध्यम से ही अनुमति प्राप्त कर सकेंगे। विशेष रूप से, 1 जनवरी को होने वाली भस्म आरती के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही प्रकार की अग्रिम बुकिंग को ब्लॉक कर दिया गया है। हालांकि, राहत की बात यह है कि देशभर से आने वाले श्रद्धालु 'चलित भस्म आरती' (चलायमान दर्शन) के माध्यम से भगवान के दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए किसी पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी; भक्त कतार में लगकर सुबह 4:30 से 5:30 बजे के बीच दर्शन कर पाएंगे।
दर्शन के लिए नई प्रवेश व्यवस्था (Route Map)
भीड़ के दबाव को कम करने के लिए मंदिर समिति ने अलग-अलग श्रेणियों के लिए प्रवेश मार्ग निर्धारित किए हैं..
सामान्य दर्शनार्थी: त्रिवेणी संग्रहालय द्वार से होते हुए 'श्री महाकाल महालोक' और मानसरोवर के रास्ते प्रवेश करेंगे।
शीघ्र दर्शन (₹250 टिकट): इन श्रद्धालुओं को बड़ा गणेश मंदिर के सामने स्थित निर्गम द्वार और शहनाई गेट से प्रवेश दिया जाएगा।
स्थानीय निवासी (उज्जैन): शहर के श्रद्धालुओं के लिए शहनाई गेट से प्रवेश की विशेष व्यवस्था रहेगी।
VIP और प्रोटोकॉल: विशिष्ट दर्शनार्थियों के लिए नीलकंठ द्वार निर्धारित किया गया है।
पुजारी/पुरोहित यजमान: इनका प्रवेश शहनाई गेट के माध्यम से होगा।
भस्म आरती के प्रवेश द्वार
अनुमतिधारी (सामान्य): मानसरोवर फैसिलिटी सेंटर से।
अनुमतिधारी (प्रोटोकॉल/यजमान): शहनाई गेट से।
बिना अनुमति (चलित दर्शन): त्रिवेणी संग्रहालय द्वार और बड़ा गणेश मंदिर के पास से मानसरोवर मार्ग होते हुए।
मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करें ताकि सभी को भगवान महाकाल के दर्शन सुगमता से प्राप्त हो सकें।