राजस्थान के सिरोही जिले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और पुलिस ने एक सुनसान फार्महाउस पर छापा मारकर एक हाई-प्रोफाइल मेफेड्रोन लैब का भंडाफोड़ किया है। जब्त ड्रग्स की कीमत ₹40 करोड़ आंकी गई है। इस अवैध फैक्ट्री का मास्टरमाइंड एक सिविल सेवा की तैयारी कर चुका व्यक्ति था, जिसने असफलता के बाद अपराध का रास्ता चुना। जानें इस बड़े ऑपरेशन का पूरा खुलासा।
By: Star News
Nov 15, 20257:46 PM
राजस्थान के सिरोही जिले के दांतराई गांव में एक सुदूर फार्महाउस से नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) और राजस्थान पुलिस की संयुक्त टीम ने 6 नवंबर को एक अत्यधिक गुप्त सिंथेटिक ड्रग्स निर्माण इकाई का पर्दाफाश किया है। यह कार्रवाई तब हुई जब जांच एजेंसियों को एक सुनसान जगह पर संदिग्ध रसायनों और भारी मशीनरी के जमा होने की सूचना मिली। मौके पर मौजूद उपकरणों और रसायनों की मात्रा देखकर जांचकर्ता भी दंग रह गए।
पुलिस के पहुंचने पर, फार्महाउस में ड्रम, पैकेट और अत्याधुनिक उपकरण बड़ी मात्रा में मिले, जो किसी भी पेशेवर केमिकल लैब की तरह सुसज्जित थे। एक अधिकारी के अनुसार, जब्त किए गए रसायनों का कुल वजन सैकड़ों किलोग्राम है, जिनसे लगभग 100 किलोग्राम मेफेड्रोन (Mephedrone) का उत्पादन किया जा सकता था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस सिंथेटिक उत्तेजक और मनोदैहिक ड्रग की अनुमानित कीमत करीब ₹40 करोड़ बताई गई है। यह स्पष्ट संकेत था कि यह सामान्य नहीं, बल्कि एक संगठित आपराधिक नेटवर्क द्वारा संचालित बड़ा ऑपरेशन है।
सूचना मिलने पर जोधपुर एनसीबी की टीम तुरंत सक्रिय हुई और उन्होंने मौके के निरीक्षण के लिए गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) की टीम को बुलाया। फोरेंसिक विशेषज्ञों ने पुष्टि की कि जब्त किए गए उपकरण और प्रीकर्सर रसायन सक्रिय रूप से मेफेड्रोन उत्पादन के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थे।
जांच टीम ने तुरंत ऑपरेटरों की पहचान और लोकेशन ट्रैक करना शुरू किया। इस रैकेट का मास्टरमाइंड 'राम' के रूप में पहचाना गया, जिसे उसके चार सहयोगियों के साथ राजस्थान और गुजरात के विभिन्न हिस्सों से पकड़ा गया।
पूछताछ के दौरान, मास्टरमाइंड राम ने चौंकाने वाला खुलासा किया कि वह लंबे समय तक सिविल सेवा सहित प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था। बार-बार मिल रही असफलता ने उसे अपराध के रास्ते पर धकेल दिया, और उसने जल्द पैसा कमाने के लिए मेफेड्रोन निर्माण को चुना। उसने स्वीकार किया कि 'फुल-फंक्शनल' केमिकल यूनिट बनाने के लिए उपकरण अलग-अलग राज्यों से मंगवाए गए थे।
जांच से पता चला है कि इस अवैध ऑपरेशन का बड़ा हिस्सा राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में फैला हुआ था। इन राज्यों में मेफेड्रोन जैसे साइकोट्रोपिक ड्रग्स के बढ़ते इस्तेमाल ने इस रैकेट को कमाई का एक बड़ा आधार प्रदान किया था। एनसीबी के सटीक दिशा-निर्देश और पुलिस की त्वरित कार्रवाई की बदौलत ही दांतराई गांव में इस पूरे रैकेट को पकड़ने में सफलता मिली है। यह कार्रवाई देश में अवैध नशीले पदार्थों के खिलाफ चल रहे अभियान की एक बड़ी सफलता है।