जानिए शनि गोचर 2026 में किन राशियों (मेष, मीन, कुंभ, धनु, सिंह) पर साढ़ेसाती और ढैय्या का अशुभ प्रभाव रहेगा। धनहानि और स्वास्थ्य समस्याओं से बचने के लिए सरल ज्योतिषीय उपाय।
By: Ajay Tiwari
Dec 13, 20253:36 PM
ज्योतिष शास्त्र में कर्मफलदाता और न्यायाधीश माने जाने वाले शनि ग्रह वर्ष 2026 में भी मीन राशि में ही संचरण करेंगे, हालांकि इस दौरान वे वक्री और मार्गी होने के साथ-साथ मार्च और अप्रैल के महीने में अस्त और उदय भी होंगे। इस संचरण के कारण साल 2026 में कुछ राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का अशुभ प्रभाव रहेगा, जिससे इन राशियों की परेशानियाँ बढ़ सकती हैं, और धनहानि तथा सेहत खराब होने के योग बन रहे हैं।
वर्ष 2026 में निम्नलिखित तीन राशियों पर साढ़ेसाती का अशुभ प्रभाव बना रहेगा:
मेष राशि: इस राशि पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा।
मीन राशि: इन पर साढ़ेसाती का दूसरा चरण रहेगा।
कुंभ राशि: इन पर साढ़ेसाती का तीसरा और अंतिम चरण रहेगा।
इन राशियों के जातकों को मानसिक परेशानियाँ हो सकती हैं। व्यापारियों की आय धीमी रहेगी और नौकरीपेशा लोगों को इस अवधि में नौकरी बदलने या कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले बहुत सोच-समझकर विचार करना चाहिए। साथ ही, इस समय किसी को भी उधार धन देने से बचना चाहिए।
शनि देव के मीन राशि में भ्रमण के कारण धनु और सिंह राशि पर ढैय्या का कष्टमय प्रभाव बना रहेगा। इन जातकों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, धन कहीं फँस सकता है, और उन्हें इस अवधि में मेहनत अधिक करनी पड़ेगी। इसके अलावा, फिजूल के खर्चे भी बढ़ने की आशंका है।
साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए ये ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं:
दीपक और पाठ: शनिवार के दिन शनि प्रतिमा के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएँ और शनि चालीसा का पाठ करें।
पीपल पूजा: हर शनिवार को पीपल के पेड़ पर नियमित रूप से दूध और जल मिलाकर चढ़ाएँ। इससे अटके हुए कार्य बनेंगे और शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
दान-पुण्य: शनिवार के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को कंबल, सरसों का तेल और काली दाल का दान करें।
बीज मंत्र जाप: शनि के बीज मंत्र ‘ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु न:।’ का प्रतिदिन जाप करना चाहिए।
शनि की साढ़ेसाती का असर व्यक्ति के जीवन में संघर्ष, चुनौतियां और बदलाव लाता है, जिसमें करियर, रिश्ते, स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन यह व्यक्ति को कर्म, अनुशासन और मानसिक मजबूती सिखाकर जीवन में स्थिरता और सफलता के लिए तैयार भी करता है, जिसके कारण व्यक्ति को कर्ज, तनाव, रोग और मानसिक अशांति जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन सही उपायों और अच्छे कर्मों से इसके बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है।