वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में दो महत्वपूर्ण टैक्स बिल पेश किए, जो बिना किसी बहस के हंगामे के बीच पारित हो गए। इनमें आयकर (संख्या 2) विधेयक 2025 और कराधान कानून (संशोधन) विधेयक 2025 शामिल हैं। जानें इन विधेयकों का उद्देश्य और क्या हैं इनके मुख्य प्रावधान।
By: Star News
Aug 11, 2025just now
नई दिल्ली. स्टार समाचार
सोमवार को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कराधान से संबंधित दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए, जो बिना किसी बहस के पारित हो गए। इनमें आयकर (संख्या 2) विधेयक 2025 और कराधान कानून (संशोधन) विधेयक 2025 शामिल हैं। विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच इन विधेयकों को ध्वनिमत से पारित किया गया, जिसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
पिछले सप्ताह वापस लिया था बिल
आयकर (संख्या 2) विधेयक, 2025 को पिछले हफ्ते वापस लिए गए पुराने बिल की जगह लाया गया है। इस नए संस्करण में बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति की अधिकांश सिफारिशों को शामिल किया गया है। वित्त मंत्री सीतारमण ने बताया कि प्रवर समिति के सुझावों को कानून का रूप देने के लिए बिल में आवश्यक बदलाव किए गए हैं। नया विधेयक 1961 के पुराने आयकर अधिनियम का स्थान लेगा। प्रवर समिति ने नए विधेयक में कुछ महत्वपूर्ण सुधारों का सुझाव दिया था ताकि कानूनी अस्पष्टता को दूर किया जा सके। इनमें संपत्ति के वार्षिक मूल्य, गृह संपत्ति से आय पर कटौती, पेंशन प्राप्त करने वाले गैर-कर्मचारियों के लिए कटौती और वाणिज्यिक संपत्तियों पर कर से संबंधित प्रावधानों में बदलाव शामिल हैं। इन बदलावों का लक्ष्य कानून को अधिक स्पष्ट, निष्पक्ष और मौजूदा प्रावधानों के अनुरूप बनाना है।
कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 का मुख्य उद्देश्य एकीकृत पेंशन योजना (UPS) के अंशधारकों को कर में छूट देना है। यह विधेयक आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2025 दोनों में संशोधन करेगा। इसके अलावा, इसमें आयकर तलाशी मामलों के लिए ब्लॉक मूल्यांकन में बदलाव और सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोषों को कर लाभ प्रदान करने का भी प्रावधान है।
सरकार के कामकाज पर उठे सवाल
बिना बहस के इन महत्वपूर्ण विधेयकों के पारित होने पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इतने बड़े फैसलों पर सदन में चर्चा नहीं हुई, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। उन्होंने शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों को भी उठाया और कहा कि यदि गरीब बच्चे पढ़ नहीं पा रहे हैं, तो ऐसे बिलों से कोई खुशी नहीं मिल सकती।