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इस मामले में विराट कोहली तेंदुलकर, गावस्कर, धोनी और द्रविड़ से भी बेहतर साबित हुए

विराट कोहली के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के फ़ैसले ने देश और दुनिया में फैले उनके फ़ैंस को झकझोर कर रख दिया है.

By: Star News

May 17, 20255:14 PM

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इस मामले में विराट कोहली तेंदुलकर, गावस्कर, धोनी और द्रविड़ से भी बेहतर साबित हुए

पहले कप्तान रोहित शर्मा और उसके बाद विराट कोहली का टेस्ट से संन्यास, ये दो झटके भारतीय क्रिकेट को तब लगे हैं जब टीम को पांच टेस्ट की सिरीज़ खेलने इंग्लैंड के मुश्किल दौरे पर जाना है.

यानी अब टीम इंडिया को अपने दो सबसे अनुभवी बल्लेबाजों के बिना ही इंग्लैंड का इंग्लैंड में सामना करना होगा.

रोहित की तरह, कोहली ने भी इंस्टाग्राम के ज़रिए अपने संन्यास का ऐलान किया, जहां उनके 27 करोड़ से ज़्यादा फॉलोअर्स हैं.

विराट कोहली

इमेज स्रोत,Getty Images

इमेज कैप्शन,2024 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ टेस्ट सिरीज़, कोहली की आख़िरी टेस्ट सिरीज़ थी

विराट ने लिखा , "हालांकि इस फ़ॉर्मेट से अलग होने का यह फ़ैसला आसान नहीं था, पर मुझे सही लगा. मैंने इस खेल को अपना सब कुछ दिया है और बदले में इसने मुझे उससे कहीं ज़्यादा दिया, जितना मैंने कभी सोचा था."

कोहली के इस फ़ैसले के फ़ौरन बाद सोशल मीडिया में आम फ़ैंस और खेल जगत से जुड़ी बड़ी बड़ी हस्तियों ने कोहली को महान खिलाड़ी बताया.

उनके साथी खिलाड़ी, पूर्व क्रिकेटर, युवा और सीनियर खिलाड़ियों से लेकर टेनिस स्टार नोवाक जोकोविच और फुटबॉल खिलाड़ी हैरी केन जैसी हस्तियों ने भी उनकी तारीफ़ के कसीदे गढ़े. जो बताता है कि कोहली, भारत ही नहीं पूरी दुनिया में कितने मशहूर हैं.

वेंगसरकर की नज़रों में आ चुके कोहली ने 2008 में अपने वनडे करियर की शुरुआत की. 23 साल की उम्र में, वो महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में 2011 वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम के सबसे युवा सदस्य थे.

कुछ सप्ताह बाद उन्होंने वेस्ट इंडीज में अपने टेस्ट करियर का आगाज़ किया.

इसके कुछ महीनों बाद, ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जब वो बेहद ख़राब फ़ॉर्म से जूझ रहे थे और उनकी टीम में जगह ख़तरे में पड़ती दिख रही थी तब उन्होंने एक जुझारू शतक लगाया और उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. कुछ सालों में वो अपने दौर के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ बन गए.

शुरुआती वर्षों में, कोहली बेहद आक्रमक थे. वो कई बार मैदान में अपने विरोधियों से भिड़ पड़ते. क्रिकेट के विशेषज्ञ और दर्शकों से भी इस वजह से उन्हें आलोचना झेलनी पड़ती.

लेकिन समय के साथ, उनकी यही ऊर्जा और जुनून उन्हें क्रिकेट में नई ऊंचाइयों तक ले गए.

सचिन के संन्यास के बाद भारतीय बल्लेबाज़ी की कमान संभाली

सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली

इमेज स्रोत,INDRANIL MUKHERJEE/AFP via Getty Images

2013 में अपने आदर्श सचिन तेंदुलकर के संन्यास के बाद, कोहली ने भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी की कमान संभाल ली और क्रिकेट के इतिहास में सबसे चमकदार बल्लेबाज़ों में से एक बने.

अपने बल्लेबाज़ी कौशल, आत्मविश्वास और आक्रामकता की वजह से वो एक कल्चरल आइकॉन (सांस्कृतिक प्रतीक) बन गए.

अपने बल्ले से विपक्षियों को ध्वस्त करने वाले कोहली का मैदान पर मौजूद होना मात्र ही एक इवेंट बन जाता था. उनकी मौजूदगी स्टेडियम के हाउसफ़ुल होने की गारंटी बन गई.

अभिनेत्री अनुष्का शर्मा से शादी के बाद ये भारत की सबसे चर्चित जोड़ी बन गई और उनकी निजी ज़िंदगी भी सार्वजनिक चर्चा का विषय बन गई.

कोहली के पहले दशक की सफलता, भारत के 21वीं सदी के नए आत्मविश्वास और महत्वाकांक्षा की प्रतीक थी. बेहद महत्वाकांक्षी, बिना किसी झिझक के दुनिया को चुनौती देने वाले देश के वो मानो एंबेसडर बन गए.

कई कीर्तिमान बनाए

विराट कोहली

इमेज स्रोत,Getty Images

वनडे में, वह रन बनाने के मामले में तेंदुलकर और संगकारा के बाद तीसरे स्थान पर हैं. लेकिन 100 से ज़्यादा मैच खेलने वाले बल्लेबाज़ों में उनका औसत सबसे बेहतर (57.88) है.

रन चेज़ करके टीम को जीत दिलाने में तो शायद ही कोई उनका सानी हो. उनके 51 वनडे शतकों में से ढेर सारे शतक उन्होंने रन चेज़ के दौरान बनाए और भारतीय टीम को जीत दिलाई.

टी20 में, भले ही उनके आंकड़े उन्हें टॉप 5 बल्लेबाज़ों में शुमार ना करवा पाते हों लेकिन 2022 टी-20 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ नाबाद 82 और 2024 फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 76 रन की पारियों ने उन्हें टी-20 क्रिकेट में भी यादगार बना दिया.

आईपीएल में, वो सबसे ज़्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं.

2019 के बाद से फ़ॉर्म में आई गिरावट

विराट कोहली

इमेज स्रोत,Getty Images

एक समय पर कोहली का बैटिंग एवरेज तीनों फॉर्मेंट में 50 से ज़्यादा था, जो उन्हें अपने दौर का सबसे प्रभावशाली और बहुमुखी बल्लेबाज़ बनाता है.

लेकिन 2019 के बाद से उनके करियर में गिरावट आनी शुरू हुई. वो शतक बनाने के लिए जूझने लगे और टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत 55 से गिरकर 46.75 तक आ गया. इस दौरान उन्होंने कप्तानी भी गंवाई, हालांकि उनकी लोकप्रियता पर असर नहीं पड़ा.

कोहली ने टेस्ट करियर में 9,230 रन बनाए. इस मामले में वो दुनिया भर में 19वें और भारत में चौथे स्थान पर हैं. भारत की ओर से टेस्ट में उनसे ज़्यादा रन सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और सुनील गावस्कर ने बनाए हैं.

टेस्ट में बेहतरीन कप्तान साबित हुए

विराट कोहली

इमेज स्रोत,Darrian Traynor/Getty Images

लेकिन सिर्फ आँकड़ों से उनके प्रभाव को आंकना ठीक नहीं होगा.

टेस्ट कप्तान के तौर पर, वो गावस्कर, द्रविड़ और तेंदुलकर से कहीं बेहतर साबित हुए. उन्होंने 68 टेस्ट में भारतीय टीम की कप्तानी की जिनमें से 40 में भारत ने जीत हासिल की. ये रिकॉर्ड उन्हें दुनिया का चौथा सबसे सफल टेस्ट कप्तान बनाता है. भारत के संदर्भ में यह उपलब्धि बहुत बड़ी मानी जाती है।

पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल के अनुसार, "कोहली की ऊर्जा, जुनून और दृढ़ता ने भारतीय क्रिकेट को बदल दिया." चैपल उन्हें सौरव गांगुली और धोनी से भी ज़्यादा असरदार कप्तान मानते हैं.

रवि शास्त्री कई सालों तक भारतीय टीम के कोच रहे हैं. वो कोहली के बारे में कहते हैं, "कोहली ने भारत को एक जुझारू टीम में बदला, खासकर विदेशों में. वो हमेशा जीत के लिए खेले. फ़िटनेस में वो ज़बरदस्त रहे. तेज गेंदबाज़ों को उन्होंन बेहतरीन तरीक़े से हैंडल किया जिससे भारत को ओवरसीज़ में जीतने में मदद मिली. उनके नेतृत्व में टीम में जीत की भूख देखने को मिली."

रवि शास्त्री के कोच रहते और विराट कोहली के कप्तान रहते भारत तीनों फॉर्मेट में आईसीसी की टॉप 3 रैंकिंग में रहा जो ऐतिहासिक है.

विराट कोहली

इमेज स्रोत,Cameron Spencer/Getty Images

2018 में ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज़ जीतना, इस दौर की सबसे बड़ी उपलब्धि थी.

वहीं 2014-15 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में उन्होंने 692 रन बनाए थे और खुद को टेस्ट महान क्रिकेटरों की लिस्ट में शामिल कर लिया था.

2020 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में वो सिर्फ़ एक टेस्ट खेल पाए फिर फिर अपने बच्चे के जन्म के समय वो भारत लौट आए. हलांकि उनकी गैर मौजूदगी में अजिंक्य रहाणे ने भारत की कप्तानी की और सिरीज़ में 0-1 से पीछे रहने के बाद ज़बरदस्त कमैबक की और 2-1 से सिरीज़ जीत ली.

2024 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में एक बार फिर निगाहें उन पर थीं. उन्होंने पहले टेस्ट में शतक भी बनाया लेकिन उसके बाद पूरी सिरीज़ में वो रन बनाने के लिए जूझते रहे और पांच टेस्ट मैचों की सिरीज़ में 23.75 के बेहद मामूली औसत से सिर्फ़ 190 रन बना पाए. बाद में यही सिरीज़ उनकी अंतिम टेस्ट सिरीज़ साबित हुई.

क्या ये प्रदर्शन उनके संन्यास लेने के फ़ैसले की वजह बना. कुछ कहा नहीं जा सकता. लेकिन बढ़ती उम्र, हर वक़्त लोगों की कसौटी पर खरे उतरने का प्रेशर और अपने बच्चों और परिवार के साथ ज़्यादा वक़्त बिताने की चाहत, शायद संन्यास लेने के प्रमुख कारण रहे होंगे.

उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा, "मैं हमेशा एक मुस्कान के साथ अपने टेस्ट करियर को याद रखूंगा. #269 साइनिंग ऑफ़."

कोहली ने जब टेस्ट मैच डेब्यू किया तो वो भारत के 269वें टेस्ट क्रिकेटर थे. इसी वजह से उन्होंने #269 साइनिंग ऑफ़ लिखा.

पिछले डेढ़ दशक में भारतीय टेस्ट क्रिकेट का सबसे बड़ा सितारा अब अस्त हो रहा है.

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