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04 नवंबर 2025 का पंचांग: शुभ-अशुभ मुहूर्त, तिथि, वार और बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व

मंगलवार, 04 नवंबर 2025 का संपूर्ण पंचांग जानें। तिथि (चतुर्दशी), नक्षत्र (अश्विनी), शुभ-अशुभ मुहूर्त, राहुकाल और इस दिन मनाए जाने वाले पर्व बैकुंठ चतुर्दशी के महत्व की जानकारी प्राप्त करें।

By: Star News

Nov 04, 20251:51 AM

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04 नवंबर 2025 का पंचांग: शुभ-अशुभ मुहूर्त, तिथि, वार और बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व

04 नवंबर 2025 का पंचांग विवरण

स्टार समाचार वेब. धर्म डेस्क

आज  04 नवंबर 2025, दिन मंगलवार है। यह हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तिथि है।

पंचांग के अंग विवरण समय
तिथि चतुर्दशी रात 10:36 बजे तक
पूर्णिमा रात 10:36 बजे के बाद
नक्षत्र अश्विनी अगले दिन (05 नवंबर) सुबह 01:23 बजे तक
योग वज्र दोपहर 03:43 बजे तक
सिद्धि दोपहर 03:43 बजे के बाद
करण गर दोपहर 12:23 बजे तक
वणिज रात 10:36 बजे तक
विष्टि (भद्रा) रात 10:36 बजे के बाद
चन्द्र राशि मेष पूरे दिन
सूर्य राशि तुला (उस समय सूर्य तुला राशि में होंगे, हालाँकि यह जानकारी पंचांग के मुख्य अंश में नहीं है)
विक्रम संवत 2082 (कालयुक्त)
शक संवत 1947 (विश्वावसु)

सूर्य और चंद्रमा से संबंधित जानकारी

  • सूर्योदय: सुबह 06:34 बजे

  • सूर्यास्त: शाम 05:33 बजे

  • चन्द्रोदय: शाम 04:30 बजे

  • चंद्रास्त: अगले दिन (05 नवंबर) सुबह 06:06 बजे

शुभ और अशुभ मुहूर्त

मुहूर्त समय प्रकृति
राहुकाल (अशुभ) दोपहर 02:48 बजे से शाम 04:10 बजे तक इस समय शुभ कार्य वर्जित हैं।
यमगण्ड (अशुभ) सुबह 09:19 बजे से सुबह 10:42 बजे तक
गुलिक काल (अशुभ) दोपहर 12:04 बजे से दोपहर 01:27 बजे तक
अभिजित मुहूर्त (शुभ) दोपहर 11:43 बजे से दोपहर 12:26 बजे तक शुभ कार्यों के लिए उत्तम।
ब्रह्म मुहूर्त (शुभ) सुबह 04:51 बजे से सुबह 05:43 बजे तक ध्यान, पूजा और अध्ययन के लिए श्रेष्ठ।

इस दिन का महत्व (बैकुंठ चतुर्दशी)

04 नवंबर 2025 को बैकुंठ चतुर्दशी का पावन पर्व मनाया जाएगा। यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है।

  • पौराणिक मान्यता: माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा के बाद जागने पर सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव को सौंपते हैं, और भगवान शिव पुनः यह कार्यभार भगवान विष्णु को सौंपते हैं। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की एक साथ पूजा की जाती है।

  • पूजा विधि: भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और सुबह से लेकर सूर्यास्त तक भगवान शिव और विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं। शाम को दीपदान करने का भी विशेष महत्व है।

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