गंजबासौदा। शहर का 130 साल पुराना विश्रामगृह अब इतिहास बनने की और है। तहसील कार्यालय के सामने स्थित इस विश्रामगृह के स्थान पर लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने दस कमरों वाला नया, सर्वसुविधायुक्त और दो मंजिला विश्रामगृह बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। करीब दो करोड़ रुपए की लागत वाले इस प्रस्ताव को शासन को भेजने की तैयारी चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि वर्तमान विश्रामगृह अब वीआईपी मूवमेंट की दृष्टि से उपयुक्त नहीं रह गया है। इसलिए नए भवन का निर्माण जरूरी हो गया है। इस तरह नया विश्वामगृह बनने के बाद शहर में वीआईपी मूवमेंट से जुड़ी व्यवस्थाएं और भी बेहतर हो सकेंगी।
दस कमरों का नया भवन प्रस्तावित
नए प्रस्ताव के अनुसार, दो मंजिला भवन में दस कमरे बनाए जाएंगे। इसके साथ ही एक बड़ा कॉन्फ्रेंस और बैठक कक्ष भी होगा, ताकि ईपी और उनके साथ आए स्टाफ को भी पर्याप्त जगह सके। यह विश्रामगृह आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा।
12 हजार वर्ग मीटर दक्षेत्र में बना था
प्रभारी एसडीओ लोक निर्माण विभाग आरके सिंघई के अनुसार पुराने रेस्ट हाउस का जहां गोलाकार शोड और निर्माण करीब 12 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में हुआ था। पीछे की और एक विशाल बगीचा था, जहां गोलाकार शेड और टेबल-कुर्सियां लगी रहती थीं। दिन के समय अधिकारी और वीआईपी वहीं बैठकर स्थानीय लोगों से मुलाकात और शिकायतें सुनते थे। लेकिन समय के साथ इस परिसर में भारी परिवर्तन आ गया। अब करीब 10 हजार वर्ग मीटर जमीन पर लोनिवि का दफ्तर, स्टोर और कर्मचारियों के आवास बन चुके हैं। विश्रामगृह का हिस्सा घटकर मात्र दो हजार वर्ग मीटर तक सीमित रह गया है।
समय-समय पर हुए परिवर्तन
समय के साथ विश्रामगृह में कई छोटे-बड़े बदलाव किए गए। वीआईपी मूवमेंट बढ़ने पर इसकी ऊपरी मंजिल पर दो और कमरे बनाए गए। पीछे की और बैठक कक्ष का निर्माण भी किया गया, ताकि अधिकारियों और नेताओं के साथ आए स्टाफ को थोड़ी सुविधा मिल सके। 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा के आगमन पर मौजूदा दौर की जरूरतों को देखते हुए अब यह भवन बिल्कुल छोटा और असुविधाजनक साबित हो रहा है।
वीआईपी मूवमेंट में दिक्कतें
विश्रामगृह में अब एक ही कमरे में वीआईपी ठहरते भी हैं और वहीं बैठकर नेताओं, अधिकारियों और स्थानीय लोगों से मुलाकात भी करनी पड़ती है। जगह कम होने से कई बार असुविधाजनक स्थिति बन जाती है। अब तक यहां राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद और कई बड़े अधिकारी ठहर चुके हैं। उनके ठहरने के दौरान जो कठिनाइयां सामने आई, उनसे साफ है कि नया विश्राम गृह समय की आवश्यकता है।
अंग्रेजों के समय बना था विश्राम गृह
मौजूदा विश्रामगृह का निर्माण करीब 130 साल पहले ग्वालियर स्टेट ने कराया था। उस समय यह क्षेत्र गुना जिले में आता था। अंग्रेज अधिकारियों और जिला स्तर के अधिकारियों के ठहराव के लिए यह भवन बनवाया गया था। शुरुआत में इसमें केवल दो कमरे थे। एक कमरा अधिकारियों के लिए और दूसरा उनके साथ आने वाले स्टाफ के लिए रखा गया था। उस दौर में इसमें सदी के लिए आग जलाने की व्यवस्था और गर्मियों में झूलने वाला पंखा लगाने की
सुविधा उपलब्ध कराई गई थी।
शासन को जल्द भेजा जाएगा प्रस्ताव
वर्तमान विश्राम गृह छोटा पड़ने लगा है। यह काफी पुराना हो चुका है। पर्याप्त भूमि उपलब्ध है, इसलिए दस कमरों वाले दो मंजिला नए विश्रामगृह भवन का प्रस्ताव लोनिवि से तैयार कराया गया है। इसे जल्द ही कलेक्टर के माध्यम से शासन को भेजा जाएगा।
विजय राय, एसडीएम, गंजबासौदा।