एंटी करप्शन ब्यूरो के द्वारा दर्ज केस में इन नेताओं पर दिल्ली सरकार के स्कूलों की कक्षाओं के निर्माण में भारी वित्तीय अनियमितता करने का आरोप लगाया गया है।
By: Star News
Jun 04, 20259:49 AM
भ्रष्टाचार का केस: एसीबी ने भेजा समन, दोनों से होगी पूछताछ
नई दिल्ली। दिल्ली में सत्ता से बेदखल होने के बाद भी आम आदमी पार्टी की परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पूर्व मंत्रियों के भ्रष्टाचार उजागर हो रहे हैं। दिल्ली सरकार के स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में करप्शन को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दिल्ली के पूर्व मंत्रियों मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को समन जारी किया है। सत्येंद्र जैन को 6 जून को एसीबी कार्यालय में बुलाया गया है, जबकि मनीष सिसोदिया को 9 जून को पेश होने को कहा गया है। दरअसल, 12,748 क्लासरूम और भवनों के निर्माण में 2000 करोड़ के घोटाले से जुड़ा यह केस है। एंटी करप्शन ब्रांच की तरफ से बयान में कहा गया है कि दिल्ली में आप सरकार के शासनकाल में 12,748 कक्षाओं और भवनों के निर्माण में 2,000 करोड़ का भारी घोटाला सामने आया है।
लागत में इजाफा, काम भी अधूरा
परियोजना को आप से जुड़े कुछ ठेकेदारों को दिया गया था। निर्माण में भारी विचलन और लागत में वृद्धि देखी गई। इसके अलावा निर्धारित अवधि के अंदर एक भी काम पूरा नहीं हुआ। एंटी करप्शन ब्यूरो के द्वारा दर्ज केस में इन नेताओं पर दिल्ली सरकार के स्कूलों की कक्षाओं के निर्माण में भारी वित्तीय अनियमितता करने का आरोप लगाया गया है। यह नहीं आप से जुड़े ठेकेदारों को कक्षाओं के निर्माण का काम देकर वित्तीय गड़बड़ी को अंजाम दिया गया।
मनमना वसूला पैसा
जांच एजेंसी ने दर्ज केस में आरोप लगाया है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार रहने के दौरान 12,748 कक्षाओं का निर्माण किया गया था। आरोप पत्र के अनुसार, इन कक्षाओं के निर्माण में घटिया गुणवत्ता की सामग्री का उपयोग किया गया, लेकिन इसका पैसा बेहतर आरसीसी निर्माण तकनीकी की दर से वसूल किया गया। एजेंसी का आरोप है कि इस मामले में भारी वित्तीय गड़बड़ी की गई है।
जद में 34 ठेकेदार
एंटी करप्शन ब्यूरो ने यह भी आरोप लगाया है कि इन कक्षाओं के निर्माण में जिन 34 ठेकेदारों को निर्माण का ठेका दिया गया था, उनमें से ज्यादातर आम आदमी पार्टी से जुड़े हुए लोग शामिल थे। आरोप है कि इन्हीं लोगों से मिलीभगत कर घटिया स्तर की कक्षाओं का निर्माण कराकर वित्तीय गड़बड़ी की गई। इसमें बच्चों की सुरक्षा को भी दांव पर लगाया गया।