बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर लगातार हमले और हिंसा की घटनाओं ने हिंदू-हिंदुस्तान और नेपाल में आक्रोश फैला दिया है। हिंदू संगठनों और जनता ने बांग्लादेश की सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की है। ढाका में हिंदू युवक दीपू दास की निर्मम हत्या और बाद में उनके शव को आग लगाने की वारदात ने सबका हिलाकर रख दिय है।
By: Arvind Mishra
Dec 23, 20251:09 PM

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ भोपाल में प्रदर्शन करते हिंदू संगठन के कार्यकर्ता।
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर लगातार हमले और हिंसा की घटनाओं ने हिंदू-हिंदुस्तान और नेपाल में आक्रोश फैला दिया है। हिंदू संगठनों और जनता ने बांग्लादेश की सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की है। ढाका में हिंदू युवक दीपू दास की निर्मम हत्या और बाद में उनके शव को आग लगाने की वारदात ने सबका हिलाकर रख दिय है। भारत के जमशेदपुर, दिल्ली, असम, त्रिपुरा, मध्यप्रदेश और नेपाल के अलग-अलग जिलों में भी व्यापक विरोध शुरू हो गया है। भारत की राजधानी दिल्ली में बांग्लादेशी उच्चायोग के बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन जारी है। यह प्रदर्शन बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ है। वहीं बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या के खिलाफ विश्व हिंदू परिषद ने दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के बाहर मोर्चा खोल दिया है। वीएचपी कार्यकर्ता पीड़ित परिवार को न्याय के लिए सड़क पर उतर आए हैं। वहीं प्रदर्शनकारी मयमनसिंह में हिंदू युवक दीपू चंद्रदास की हत्या के विरोध में भी बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर नारे लगा रहे हैं। वहीं बांग्लादेश मिशन ने नई दिल्ली और अगरतला में सभी कांसुलर और वीजा सर्विस को सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए बंद कर दिया है।

भारतीय उच्चायुक्त को किया तलब
इधर, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने राजनयिक मिशनों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को लेकर भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया है। विदेश सचिव असद आलम सियाम ने मंगलवार की सुबह भारतीय उच्चायुक्त को बुलाया और उन्हें नई दिल्ली, कोलकाता और अगरतला स्थित बांग्लादेशी उच्चायोग की सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी दी।
वैश्विक दबाव में शुरू की जांच
बांग्लादेश में हालिया हिंसा के बाद धार्मिक स्थलों और अल्पसंख्यक संस्थानों पर मंडराते खतरे को देखते हुए प्रशासन ने सशस्त्र पुलिस बल तैनात किया है। ढाका स्थित ढाकेश्वरी मंदिर के बाहर दीपू दास की हत्या के विरोध में पोस्टर लगे हैं, जिसमें न्याय की मांग की गई है। यूनुस सरकार पर वैश्विक दबाव पड़ने के बाद दीपू दास मामले की जांच शुरू की गई है। छात्र और युवा हिंसा रोकने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं।
सुरक्षा के साए में ढाकेश्वरी मंदिर
पिछले साल से ही अल्पसंख्यक संस्थानों और उनके धार्मिक स्थलों पर खतरे की आशंका बनी हुई है। जुलाई के बाद से स्थिति अधिक संवेदनशील हो गई है। मंदिर के बाहर पुलिस की मौजूदगी किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए जरूरी हो गई है। कट्टरपंथियों के निशाने पर होने के कारण सुरक्षा का कड़ा पहरा लगाया गया है।
ज्वालामुखी पर बैठा बांग्लादेश
हालांकि, हिंसा और विरोध प्रदर्शनों के बीच स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई है। मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि बांग्लादेश इस समय ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठा है। राजनीतिक अस्थिरता और सड़कों पर जारी आक्रोश के बीच कभी भी स्थिति बिगड़ सकती है। देश में बदलाव और असुरक्षा का यह माहौल चिंताजनक बना हुआ है।
सिद्ध शक्तिपीठ भी खतरे में आ गए
चरमपंथ की आग में जल रहे बांग्लादेश में जहां एक तरफ लोकतंत्र की हत्या हो चुकी है। कभी बंगाल का ही हिस्सा रहे बांग्लादेश में देवी सती के गिरे अंग के कारण कई सिद्ध शक्तिपीठों की स्थापना हुई थी और लंबे समय तक इनकी मान्यता रही है। इन शक्तिपीठों में जयंती, सुगंधा और अपर्णा शक्तिपीठ प्रमुख हैं। इसके अलावा भी चार ऐसे शक्तिपीठ हैं जो तंत्र परंपरा और सिद्धियों के लिए तप क्षेत्र माने जाते हैं। ये सिद्ध शक्तिपीठ भी खतरे में आ गए हैं। यहां सुगंधा शक्तिपीठ, जसोरेश्वरी शक्तिपीठ, भवानी शक्तिपीठ, जयंती शक्तिपीठ, महालक्ष्मी शक्तिपीठ, अपर्णा शक्तिपीठ और स्त्रावनी शक्तिपीठ हैं।