चीन के विद्वानों ने भगवद गीता को ज्ञान का अमृत बताया और आधुनिक दुनिया में इसके आध्यात्मिक व नैतिक मार्गदर्शन पर चर्चा की।
By: Sandeep malviya
Oct 26, 2025just now
बीजिंग। चीन के विद्वानों ने भगवद गीता को ज्ञान का अमृत और भारतीय सभ्यता का संक्षिप्त इतिहास बताते हुए आधुनिक दुनिया के लोगों के आध्यात्मिक और भौतिक संकटों के समाधान का स्रोत बताया। यह बातें ह्यसंगम - भारतीय दार्शनिक परंपराओं का संगम नामक संगोष्ठी में कही गईं, जिसे भारतीय दूतावास ने आयोजित किया।
भगवद गीता का चीनी भाषा में अनुवाद
संगोष्ठी में 88 वर्षीय प्रोफेसर झांग बाओशेंग मुख्य वक्ता थे, जिन्होंने भगवद गीता का चीनी भाषा में अनुवाद किया है। उन्होंने गीता को भारत का दार्शनिक विश्वकोष और आध्यात्मिक महाकाव्य बताया, जो आज भी भारतीय जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। प्रो. झांग ने कहा कि उन्होंने 1984-86 के दौरान भारत की यात्रा के दौरान हर जगह भगवान कृष्ण की उपस्थिति का अनुभव किया।
गीता प्राचीन भारतीय युद्धभूमि की संवाद
सेंटर फॉर ओरिएंटल फिलॉसफी रिसर्च के डाइरेक्टर प्रो. वांग झी-चेंग ने कहा कि गीता 5,000 साल पहले की प्राचीन भारतीय युद्धभूमि की संवाद है, जो आज भी आधुनिक जीवन की उलझनों और चिंताओं का समाधान प्रस्तुत करती है। उन्होंने गीता की तीन प्रमुख शिक्षाओं कर्म योग, सांख्य योग, और भक्ति योग को आधुनिक जीवन के लिए मार्गदर्शक बताया। प्रो. यू लोंगयू, सेंटर फॉर इंडियन स्टडीज, शेनझेन यूनिवर्सिटी ने कहा कि भारतीय सभ्यता का गहरा दार्शनिक और सांस्कृतिक विरासत अध्ययन के योग्य है और चीनी विद्वानों को इसे समर्पण के साथ सीखना चाहिए। भारतीय दूत, प्रदीप कुमार रावत, ने कहा कि गीता समेत भारत के दर्शनशास्त्र ने हमेशा मानवता के सबसे महत्वपूर्ण प्रश्नों ह्यसत्य क्या है? वास्तविकता का स्वरूप क्या है? ज्ञान और कर्म कैसे अंतिम मुक्ति की ओर ले जाते हैं? उत्तर देने का प्रयास किया है। विद्वानों ने इस अवसर पर जोर देकर कहा कि भगवद गीता केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि आधुनिक जीवन के लिए नैतिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन भी है।