'पॉलिटिको' की रिपोर्ट: राष्ट्रपति ट्रंप G7 को दरकिनार कर अमेरिका, रूस, चीन, भारत और जापान को शामिल कर 'कोर फाइव' (C5) सुपर क्लब बनाना चाहते हैं। इसका उद्देश्य पूर्वी एशिया में शक्ति संतुलन और भारत को वैश्विक भूमिका देना है, पर यूरोप इससे चिंतित है।
By: Ajay Tiwari
Dec 12, 20253:31 PM
वाशिंगटन. स्टार समाचार वेब
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, भारत पर लगाए गए टैरिफ से बिगड़ते संबंधों को संतुलित करने और पूर्वी एशिया में अपनी छवि सुधारने के लिए एक नया भू-राजनीतिक समूह बनाने पर विचार कर रहे हैं। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट 'पॉलिटिको' के अनुसार, ट्रंप प्रशासन एक विशिष्ट 'कोर फाइव' (C5) वैश्विक शक्ति समूह बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य मौजूदा G7 और अन्य लोकतंत्र-आधारित धनी देशों के समूहों को दरकिनार करना है।
ट्रंप के प्रस्तावित C5 सुपर क्लब में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, भारत और जापान को शामिल करने की बात कही गई है। इस समूह का मुख्य उद्देश्य भारत, चीन और रूस जैसे देशों के साथ अमेरिका के बिगड़े रिश्तों को संतुलित करना और पूर्वी एशिया में अमेरिकी प्रभाव को फिर से स्थापित करना है। इस 'कोर फाइव' समूह में वे देश शामिल होंगे जिनकी आबादी 10 करोड़ से अधिक है, और यह G7 की तरह नियमित शिखर सम्मेलन आयोजित करेगा।
यह नया समूह G7 से इस मायने में अलग होगा कि यह समूह सदस्यों के लिए अमीर और लोकतांत्रिक होने की शर्त से बंधा नहीं होगा। यह एक 'हार्ड-पावर' समूह होगा जो बड़ी आबादी, सैन्य-आर्थिक शक्ति और क्षेत्रीय प्रभाव वाले देशों के बीच सीधे सौदेबाजी को प्राथमिकता देगा। C5 का पहला प्रस्तावित एजेंडा मध्य पूर्व में सुरक्षा सुनिश्चित करना और विशेष रूप से इज़रायल और सऊदी अरब के बीच संबंधों का सामान्यीकरण करना बताया जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह विचार पूरी तरह से राष्ट्रपति ट्रंप के गैर-वैचारिक और मजबूत क्षेत्रीय खिलाड़ियों के साथ सहयोग करने के विश्व दृष्टिकोण से मेल खाता है। हालांकि, इस सैद्धांतिक C5 में यूरोप की कोई जगह नहीं है, जिससे अमेरिका के यूरोपीय सहयोगियों में चिंता बढ़ गई है। उनका मानना है कि यह कदम रूस को यूरोप में प्रमुख शक्ति के रूप में वैधता दे सकता है और नाटो की एकजुटता को कमजोर कर सकता है। अगर यह प्रस्ताव आगे बढ़ता है, तो भारत को एक नए वैश्विक 'सुपरक्लुब' में स्थायी सीट मिल सकती है, लेकिन इसके साथ ही मौजूदा लोकतांत्रिक गठबंधनों और यूरोप से दूरी बढ़ने की संभावना है।