निवेशकों ने मुनाफा बुक कर और रियल एस्टेट में पैसा लगाकर स्मॉल-कैप और थीमैटिक फंड से रिडेम्पशन बढ़ाया। जीएसटी रेट में बदलाव और त्योहारों के खर्च से घरेलू बचत पर दबाव पड़ सकता है, जिससे भारत में कंजप्शन साइकल के हाई-ग्रोथ फेज में प्रवेश करने पर इक्विटी में नया निवेश कम हो सकता है।
By: Prafull tiwari
Sep 22, 2025just now
नई दिल्ली । स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, 2025 में अभी एक तिमाही बाकी रहने के बावजूद भी घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने रिकॉर्ड 5.3 लाख करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी हैं, जो 2024 के पूरे वर्ष के 5.22 लाख करोड़ रुपए के कुल आंकड़े से अधिक है। इस खरीद में म्यूचुअल फंड का 3.65 लाख करोड़ रुपए के साथ सबसे अधिक योगदान रहा, जिसमें हर महीने 25,000 करोड़ रुपए से अधिक के एसआईपी निवेश शामिल थे, जबकि अगस्त में उनकी कैश होल्डिंग्स 1.98 लाख करोड़ रुपए पर उच्च स्तर पर बनी रही। इंश्योरेंस कंपनियों और पेंशन फंड ने 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का योगदान दिया, जबकि बाकी पैसा पोर्टफोलियो मैनेजर, अल्टरनेटिव फंड, बैंक और अन्य संस्थानों से आया।
लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि बाजार में रिटर्न स्थिर होने और वैश्विक दबाव से सेंटीमेंट कमजोर होने के कारण तेजी में कमी के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं। डीआईआई से मजबूत निवेश के बावजूद इंडियन इक्विटी वैश्विक समकक्षों से पिछड़ गए हैं। डॉलर टर्म्स में सेंसेक्स 2025 में केवल 2 प्रतिशत और निफ्टी 4 प्रतिशत बढ़ा, जबकि प्रमुख एशियाई और पश्चिमी बाजारों में दोहरे अंकों की बढ़त देखी गई। बाजार के जानकारों को म्यूचुअल फंड में निवेश की स्थिरता पर संदेह है, जबकि अगस्त में इक्विटी फंड में 33,430 करोड़ रुपए और जुलाई में 42,702 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था।
निवेशकों ने मुनाफा बुक कर और रियल एस्टेट में पैसा लगाकर स्मॉल-कैप और थीमैटिक फंड से रिडेम्पशन बढ़ाया। जीएसटी रेट में बदलाव और त्योहारों के खर्च से घरेलू बचत पर दबाव पड़ सकता है, जिससे भारत में कंजप्शन साइकल के हाई-ग्रोथ फेज में प्रवेश करने पर इक्विटी में नया निवेश कम हो सकता है। वहीं, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) लगातार विक्रेता बने रहे, उन्होंने 2025 में अब तक 1,80,443 करोड़ रुपए की इक्विटी बेची, जबकि पिछले साल 1.21 लाख करोड़ रुपए की इक्विटी बेची थी।
हालांकि, एफएफआई एक्सचेंज के माध्यम से सेलिंग के साथ-साथ प्राइमरी मार्केट से लगातार खरीदारी रहे हैं और सितंबर में उन्होंने 1,559 करोड़ रुपए की इक्विटी खरीदी। कमजोर अर्निंग, स्ट्रैच्ड वैल्यूएशन और अमेरिकी टैरिफ को लेकर अनिश्चितता जैसी चुनौतियां होने के बावजूद विश्लेषकों का मानना है कि वित्त वर्ष 27 में कॉर्पोरेट कमाई में 15 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है, जिससे एफपीआई के रुख में बदलाव की संभावना है।