राजस्थान के सीकर जिले का खोरी ब्राह्मणान गांव। यहां नि;शुल्क दवा योजना के तहत खांसी की सिरप बांटी गई थी। इसे पीकर 5 साल मासूम रात को सोया और सुबह उठ नहीं सका। उसने रात को ही दम तोड़ दिया, राज्य के भरतपुर में भी यही सिरप पीने से एक मासूम बेहोश हो गया, जो अब वेंटिलेटर पर है। उधर, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में छह मासूमों की मौत हो गई है।
By: Arvind Mishra
Sep 30, 2025just now
भोपाल/जयपुर।स्टार समाचार वेब
राजस्थान के सीकर जिले का खोरी ब्राह्मणान गांव। यहां नि;शुल्क दवा योजना के तहत खांसी की सिरप बांटी गई थी। इसे पीकर 5 साल मासूम रात को सोया और सुबह उठ नहीं सका। उसने रात को ही दम तोड़ दिया, राज्य के भरतपुर में भी यही सिरप पीने से एक मासूम बेहोश हो गया, जो अब वेंटिलेटर पर है। उधर, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में छह मासूमों की मौत हो गई है। जहां जिला कलेक्टर ने सिरप के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। सिरप से बच्चों की मौत और हालत बिगड़ने के बाद दोनों प्रदेश में हड़कंप मच गया है। राज्य सरकारों ने इस सिरप पर रोक लगा दी है और जांच के आदेश दिए हैं। सरकार यह पता लगाने में जुटी है कि सिरप की आपूर्ति करने वाली कंपनी की जांच की जाए। हालांकि छिंदवाड़ा में बच्चों की किडनी फेल होने से मौत का दावा किया जा रहा है। छिंदवाड़ा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नरेश गोन्नाडे ने बताया कि अगस्त में बारिश के कारण वायरल फीवर के मामले बढ़े। पीड़ित बच्चों को परासिया के सरकारी अस्पताल में लाया गया। 4 सितंबर को एक बच्चे की मौत हुई, जिसे परासिया से नागपुर के एक निजी अस्पताल में रेफर किया गया था। डॉक्टरों ने मौत का कारण किडनी फेलियर बताया। इसके बाद 6 सितंबर तक दो और बच्चों की मौत हो गई। 26 सितंबर तक कुल छह बच्चों की मौत दर्ज की गई। सभी मामलों में समान लक्षण जैसे पेशाब न बनना और किडनी फेलियर देखे गए।
इधर, राजस्थान के सीकर के पीड़ित परिवार ने बताया, 29 सितंबर की रात करीब 11:30 बजे बच्चे को सिरप दी गई थी। इसके बाद सुबह वह नींद से नहीं उठा। उसे एसके अस्पताल, सीकर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मौत का सटीक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट से स्पष्ट होगा। सिरप देने के बाद रात तक सब सामान्य था। तड़के 3:30 बजे बच्चे को हिचकी शुरू हुई। मां ने उसे पानी पिलाया, लेकिन सुबह तक उसने आंखें नहीं खोलीं। परिजनों ने बताया कि 4-5 दिन पहले बच्चे को खांसी की शिकायत थी। मां उसे चिराना सीएचसी ले गई थीं, जहां से इलाज के बाद सिरप दी गई। उसी सिरप के सेवन के बाद बच्चे की हालत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई।
राजस्थान में दी जा रही खांसी की सिरप डेक्सट्रोमेथोरफेन हाइड्रोब्रोमाइड (13.5 मिलीग्राम/5 मिली) मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। भरतपुर जिले के बयाना ब्लॉक के कलसाड़ा गांव में 28 सितंबर को सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से मिली इस सिरप को पीने के बाद 3 वर्षीय बच्चे गगन की तबीयत बिगड़ गई। सिरप पीने के बाद बच्चा बेहोश हो गया और उसकी हृदय गति अनियंत्रित हो गई। उसे जयपुर के जेके लोन अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है. बच्चे का इलाज जारी है।
शिकायत पर बयाना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. ताराचंद योगी ने सिरप का सेवन किया, जिसके बाद उनकी तबीयत भी खराब हो गई। बयाना ब्लॉक के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जोगेंद्र गुर्जर ने बताया कि इस सिरप के एक बैच में समस्या की आशंका है। एहतियातन इस बैच की आपूर्ति और वितरण पर जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है।
उधर, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में भी अगस्त महीने से शुरू हुए वायरल फीवर के मामलों के बीच अब तक 6 बच्चों की मौत के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है और पूरे मामले की गहन जांच की जा रही है। वहीं, कलेक्टर ने यह भी आदेश दिया है कि बच्चों में इस्तेमाल की जा रही कोल्ड्रिफ और नेक्स्ट्रो-डीएस सिरप का उपयोग तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए। साथ ही मेडिकल स्टोर संचालकों को निर्देशित किया गया है कि वे बच्चों को किसी भी प्रकार के कॉम्बिनेशन सिरप न दें और केवल साधारण प्लेन सिरप ही उपलब्ध कराएं।