मध्यप्रदेश में स्कूलों पर ‘धनवर्षा’ फिर भी सुविधाओं का पड़ा ‘अकाल’

मध्यप्रदेश सरकार ने 2025-26 के बजट में स्कूली शिक्षा के लिए 36,582 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। जहां सरकार का दावा है कि स्कूली शिक्षा की बेहतरी के लिए पिछले बजट से 3000 करोड़ अधिक दिया है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि अगर सरकारी स्कूलों की हकीकत देखी जाए, तो लगता है कि ये बजट सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया है।

By: Arvind Mishra

Jul 26, 20253 hours ago

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मध्यप्रदेश में स्कूलों पर ‘धनवर्षा’  फिर भी सुविधाओं का पड़ा ‘अकाल’

  • राजस्थान की तरह शहडोल में सरकारी स्कूल की छत का हिस्सा गिरा

  • 2025-26 में  स्कूल शिक्षा के लिए  36,582 करोड़ का प्रावधान

  • स्कूली के लिएपिछले बजट से 3000 करोड़ अधिक का प्रावधान

  • 5600 भवन जर्जर, 67 हजार में फर्नीचर,15 हजार में बिजली नहीं

  • सभी शासकीय स्कूलों में आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश

    भोपाल। स्टार समाचार वेब

मध्यप्रदेश सरकार ने 2025-26 के बजट में स्कूली शिक्षा के लिए 36,582 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। जहां सरकार का दावा है कि स्कूली शिक्षा की बेहतरी के लिए पिछले बजट से 3000 करोड़ अधिक दिया है। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि अगर सरकारी स्कूलों की हकीकत देखी जाए, तो लगता है कि ये बजट सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गया है। प्रदेश में ऐसे हजारों स्कूल हैं जिनमें पठन-पाठन के लिए जरूरी और पर्याप्त व्यवस्थाएं तक नहीं हैं। मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। यह हम नहीं, बल्कि राज्य शिक्षा विभाग के आंकड़े बयां कर रहे हैं। दरअसल, प्रदेश के हजारों स्कूलों के बच्चे सुविधाओं से वंचित हैं। कहीं भवन जर्जर हैं तो कहीं बिजली, फर्नीचर और शौचालय नहीं हैं। सरकारी स्कूलों की हालत बेहद खराब है। अभी एक दिन पहले पड़ोसी राज्य राजस्थान की घटना ने देश को झकझोर कर रख दिया। जर्जर स्कूल भवन गिर गया और सात बच्चों की मौत हो गई। दर्जनों बच्चे अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं। मध्यप्रदेश में भी स्कूलों की जर्जर इमारतें छात्रों और शिक्षकों के लिए खतरे का संकेत दे रही हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

शहडोल-बाल-बाल बचे छात्र-शिक्षक

मध्य प्रदेश में शनिवार को राजस्थान जैसा स्कूल हादसा होते-होते रह गया। शहडोल जिले के बोडरी ग्राम पंचायत के शासकीय प्राथमिक स्कूल सेहराटोला की छत का एक बड़ा हिस्सा टूटकर गिर गया है। घटना के समय कमरे में बच्चे और शिक्षक मौजूद थे और कक्षाएं चल रहीं थीं। बच्चों में भगदड़ मच गई। शुक्र है... किसी बच्चे को गंभीर चोट नहीं आई। इस घटना का वीडियो भी सामने आया है। यह विद्यालय भवन 1999-2000 में बना था। 25 वर्ष पुराना हो चुका है। वर्तमान में कक्षा एक से 5वीं तक के 33 बच्चे यहां पढ़ाई कर रहे हैं। जिले में लगातार बारिश हो रही है। ऐसे में भवन को और क्षतिग्रस्त होने का खतरा मंडरा रहा है। 

शिक्षा संबंधी विभिन्न योजनाओं के लिए बजट

सीएम राइज स्कूल           3,068 करोड़  
साइकिल वितरण             215 करोड़  
पीएम श्री योजना              430 करोड़  
फ्री पाठ्यपुस्तक              124 करोड़  
भवनों का रखरखाव        228 करोड़  

81,568 क्लास रूम खस्ताहाल

राज्य शिक्षा केंद्र आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में 92,032 सरकारी स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें से 5,600 स्कूलों के भवन पूरी तरह जर्जर हैं और 81,568 क्लास रूम खस्ताहाल अवस्था में हैं। स्कूलों में न केवल संरचनात्मक कमी है, बल्कि बुनियादी सुविधाओं का भी गंभीर अभाव है। 15,651 स्कूलों में अब तक बिजली की सुविधा नहीं है, जबकि 67,034 स्कूलों में फर्नीचर की कमी है। इतना ही नहीं, 61,068 स्कूलों में प्रधानाध्यापक कक्ष भी मौजूद नहीं है।

भगवान भरोसे स्कूलों की सुरक्षा

स्कूलों में शौचालय की स्थिति भी बेहद खराब है। 2,787 स्कूलों में बालिका शौचालय ही नहीं है। 9,833 स्कूलों में बालिका शौचालय कार्यरत नहीं हैं। बालकों के लिए भी 3,116 स्कूलों में शौचालय नहीं हैं, जबकि 11,390 स्कूलों में ये निष्क्रिय हैं। 39,722 स्कूलों में बाउंड्री वॉल नहीं है, जिससे सुरक्षा की स्थिति भी कमजोर हो जाती है। 4,978 स्कूलों में मैदान तक उपलब्ध नहीं है, जो बच्चों की समग्र विकास प्रक्रिया को बाधित करता है।

भोपाल के 44 स्कूलों में शौचालय नहीं

प्रदेश के 647 स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है। 14,423 स्कूलों में हैंडवॉश यूनिट नहीं है, जिससे साफ-सफाई और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। राजधानी भोपाल की ही बात करें तो यहां 858 सरकारी स्कूलों में से 120 में बिजली नहीं है, 44 में बालिका शौचालय नहीं है, और 464 स्कूलों में फर्नीचर की भारी कमी है।

सुविधाओं को तरसते बच्चे

सरकारी स्कूल के भवनों की हालत जर्जर हो गई है। अधिकतर स्कूलों के भवनों की छतों से प्लास्टर टूटकर गिर रहे हैं, तो कई स्कूलों के कमरों से बारिश का पानी टपकता है और दीवारों में दरारे आ गई है। भवनों की दुर्दशा के कारण बच्चों की पढ़ाई छूट रही है। जर्जर दीवारों और गिरती छतों के बीच बच्चे स्कूल भवनों में बैठने को मजबूर हैं।  

सीएम की दो टूक-कोई भी शाला जर्जर हालत में न रहे

सीएम डॉ. मोहन यादव का कहना है कि बच्चों की शिक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। स्कूली शिक्षा की बेहतरी के लिए हमने विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 3000 करोड़ अधिक बजट का प्रावधान किया गया है। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि हर शासकीय विद्यालय में बिजली, पंखा, स्वच्छ व शीतल पेयजल और छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्थाएं की जाएं। कोई भी शाला जर्जर हालत में न रहे। प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था नई जरूरतों के मुताबिक सुधार लाने के लिए सांदीपनी विद्यालय (सीएम राइज स्कूल) जैसे क्रांतिकारी नवाचार किए गए हैं।  

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