राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए चार नए नॉमिनेटेड मेंबर्स की नियुक्ति की है। इनमें पूर्व सरकारी वकील और लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रहे उज्ज्वल निकम शामिल हैं। उनके अलावा केरल के वरिष्ठ समाजसेवी और शिक्षाविद, भारत के पूर्व विदेश सचिव और जानी-मानी इतिहासकार एवं शिक्षाविद को भी राज्यसभा में मनोनीत किया गया है।
By: Arvind Mishra
Jul 13, 20257 hours ago
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए चार नए नॉमिनेटेड मेंबर्स की नियुक्ति की है। इनमें पूर्व सरकारी वकील और लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रहे उज्ज्वल निकम शामिल हैं। उनके अलावा केरल के वरिष्ठ समाजसेवी और शिक्षाविद, भारत के पूर्व विदेश सचिव और जानी-मानी इतिहासकार एवं शिक्षाविद को भी राज्यसभा में मनोनीत किया गया है। ये नियुक्तियां उन सीटों के लिए की गई हैं, जो पहले के नामित सदस्यों के सेवानिवृत्त होने से खाली हुई थीं। दरअसल, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए चार नए हस्तियों को मनोनीत किया है। इनमें जाने-माने वकील उज्ज्वल निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला, इतिहासकार डॉ. मीनाक्षी जैन और केरल के सामाजिक कार्यकर्ता सी. सदानंदन मास्टर शामिल हैं।
उज्ज्वल निकम कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों में सरकारी वकील रह चुके हैं, जिनमें 26/11 मुंबई हमले का केस भी शामिल है। वहीं हर्षवर्धन श्रृंगला भारत के विदेश सचिव रह चुके हैं और विदेश नीति के क्षेत्र में उनका लंबा अनुभव रहा है।
मीनाक्षी जैन इतिहास की जानी-मानी प्रोफेसर हैं, जबकि सदानंदन मास्टर शिक्षा और सामाजिक सेवा से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। वे खुद केरल में राजनीतिक हिंसा का शिकार भी रह चुके हैं। इनमें से हर नाम अपने-अपने क्षेत्र में खास पहचान रखता है। इन चारों को संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत मनोनीत किया गया है, जिसके तहत राष्ट्रपति कुछ विशिष्ट लोगों को उनके काम और अनुभव के आधार पर राज्यसभा भेज सकते हैं। यह नामांकन राज्यसभा की खाली सीटों को भरने के लिए किया गया है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत राज्यसभा (संसद का उच्च सदन) में कुल 250 सदस्य हो सकते हैं, जिनमें से 238 सदस्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से चुने जाते हैं, और 12 सदस्य राष्ट्रपति की ओर से मनोनीत किए जाते हैं। राष्ट्रपति केवल उन्हीं व्यक्तियों को राज्यसभा में नामित कर सकते हैं जिन्होंने साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा में विशेष योगदान दिया हो। इन्हें अनुच्छेद 80(1) और 80(3) के तहत मनोनीत किया जाता है। इसका उद्देश्य ऐसे क्षेत्रों के विशेषज्ञों को संसद में आवाज देना है जो आम चुनाव के जरिए संसद में नहीं पहुंच पाते।