भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एक बार फिर दुनिया को अपनी ताकत और भरोसे का एहसास करा दिया है। कम बजट, सटीक तकनीक और बड़ी जिम्मेदारी के साथ इसरो ने आज सुबह इतिहास रचते हुए अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट से अमेरिका का अगली पीढ़ी का कम्युनिकेशन सैटेलाइट सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचा दिया।
By: Arvind Mishra
Dec 24, 20259:56 AM

नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एक बार फिर दुनिया को अपनी ताकत और भरोसे का एहसास करा दिया है। कम बजट, सटीक तकनीक और बड़ी जिम्मेदारी के साथ इसरो ने आज सुबह इतिहास रचते हुए अपने सबसे शक्तिशाली रॉकेट से अमेरिका का अगली पीढ़ी का कम्युनिकेशन सैटेलाइट सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचा दिया। दरअसल, इसरो नें फिर एक कीर्तिमान रच दिया है। भारत की भारी-भरकम एलवीएम-3-एम-6 रॉकेट की लॉन्चिंग हो चुकी है। इसरो एक कमर्शियल मिशन के तहत अमेरिका के इस अगली पीढ़ी वाले रॉकेट को पृथ्वी की निम्न कक्षा में स्थापित करेगा। इसरो के अनुसार, यह रॉकेट आज यानी बुधवार की सुबह 8:54 बजे सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाना था, जिसमें अब 90 सेकेंड की देरी हो गई थी। इस मिशन के तहत अमेरिका का एएसटी स्पेसमोबाइल ब्लूबर्ड ब्लॉक 2 स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष में ले जाया गया है।

सबसे भारी पेलोड
ब्लूबर्ड ब्लॉक 2 अब तक का सबसे भारी पेलोड है, जिसे एलवीएम-3 से लोअर अर्थ आर्बिट में भेजा गया है। इस पेलोड का वजन 6,100 किलोग्राम है। इससे पहले यह रिकॉर्ड 4,400 किलोग्राम की उटर-03 संचार सैटेलाइट के नाम था, जिसे 2 नवंबर को लॉन्च गया किया था।

इसलिए ब्लूबर्ड-2 खास