भारत ने कहा कि सुरक्षा परिषद और महासभा में बेहतर समन्वय होना चाहिए। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि यूएनएससी की सालाना रिपोर्ट पर महासभा में होने वाली चर्चा केवल औपचारिकता न बनकर, रिपोर्ट को विश्लेषणात्मक और उपयोगी बनाया जाए।
By: Sandeep malviya
Nov 15, 20256:36 PM
न्यूयॉर्क। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के कामकाज में अधिक पारदर्शिता की जोरदार मांग की है। न्यूयॉर्क में शुक्रवार (स्थानीय समयानुसार) 'कार्य पद्धतियां' पर आयोजित यूएनएससी की खुली बहस में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पार्वथानेनी हरीश ने कहा कि सुरक्षा परिषद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की सबसे महत्वपूर्ण संस्था है, इसलिए इसके कामकाज का ईमानदार, स्पष्ट और पारदर्शी होना बेहद जरूरी है।
सूचीकरण प्रक्रिया पर सवाल
हरीश ने कहा कि यूएनएससी की कई सहायक संस्थाओं का कामकाज अभी भी अस्पष्ट है। खासकर आतंकियों व प्रतिबंधित संस्थाओं को सूचीबद्ध करने के प्रस्तावों को खारिज किए जाने की प्रक्रिया बहुत 'धुंधली' है। उन्होंने बताया कि जिस तरह डीलिस्टिंग (सूची से हटाने) का निर्णय स्पष्ट रूप से दर्ज होता है, उसी तरह सूचीकरण प्रस्तावों को खारिज किए जाने की जानकारी सार्वजनिक नहीं होती। उन्होंने कहा, 'जो देश सुरक्षा परिषद में नहीं हैं, उन्हें तो इस प्रक्रिया की कोई जानकारी ही नहीं मिलती।'
चेरमैनशिप और पेन-होल्डरशिप पर चेतावनी
भारत ने यह भी कहा कि यूएनएससी की समितियों और सहायक संस्थाओं के चेयर और पेन-होल्डर पद जिम्मेदारी वाले पद हैं, जिन्हें किसी भी तरह के स्वार्थ या टकराव से दूर रखा जाना चाहिए। हरीश ने कहा, 'जिन देशों के हित टकरा रहे हों, उन्हें इन पदों की जिम्मेदारी देना उचित नहीं है।'
यूएनएससी सुधार की जरूरत दोहराई
भारत ने सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार की अपनी पुरानी मांग को दोहराया। हरीश ने कहा कि आठ दशक पुराना यूएनएससी ढांचा बदलते समय और नई चुनौतियों के लिए अब फिट नहीं माना जा सकता। उन्होंने सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी दोनों तरह की सदस्यता का विस्तार करने और अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका जैसे कम-प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों को पर्याप्त जगह देने की बात कही।
शांति मिशनों पर भारत का रुख
दुनिया में सबसे ज्यादा सैनिक देने वाले देश के रूप में भारत ने शांति मिशनों में योगदान देने वाले देशों की राय को अहम बताया। हरीश ने कहा कि ऐसे मिशन जिनका उद्देश्य पूरा हो चुका है या जो अब उपयोगी नहीं हैं, उन्हें सिर्फ कुछ देशों के राजनीतिक हित बचाने के लिए जारी नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने ऐसे मिशनों को समाप्त करने के लिए 'सनसेट क्लॉज' लागू करने की वकालत की। अपने संबोधन में भारत ने साफ कहा कि सुरक्षा परिषद का कामकाज पारदर्शी, निष्पक्ष और समय के हिसाब से जिम्मेदार होना चाहिए, तभी दुनिया की बदलती चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटा जा सकेगा।