इस्राइल ने गाजा की नाकेबंदी तोड़ने की कोशिश कर रहे अंतिम जहाज मैरिनेट को भी रोक दिया और 450 से अधिक कार्यकतार्ओं को हिरासत में ले लिया। इस कार्रवाई से दुनियाभर में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे हैं।
By: Sandeep malviya
Oct 03, 2025just now
तेल अवीव। इस्राइल ने गाजा की समुद्री नाकेबंदी तोड़ने की कोशिश कर रहे अंतरराष्ट्रीय कार्यकतार्ओं के अंतिम जहाज को भी रोक दिया। इस कार्रवाई में अब तक 450 से अधिक कार्यकतार्ओं को हिरासत में लिया गया है। इनमें कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियां भी शामिल हैं। ये जहाज फलस्तीनियों के लिए राहत सामग्री ले जा रहा था। इतना ही नहीं इस जहाज में अंतराष्ट्रीय पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग भी मौजूद थीं। उन्हें भी गिरफ्तार कल लिया है। इस्राइल की इस कार्रवाई से दुनियाभर के देशों में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे हैं।
शुक्रवार को मैरिनेट नामक अंतिम जहाज को रोका गया, जो बाकी नौकाओं से पीछे चल रहा था। इससे पहले बुधवार और गुरुवार को इस्राइली नौसेना ने ग्लोबल सुमूद फ्लोटिला के 41 जहाजों को रोका था। इन जहाजों पर सवार कार्यकतार्ओं ने गाजा के लिए मानवीय सहायता ले जाने की कोशिश की थी। हालांकि सहायता का सामान प्रतीकात्मक मात्रा में था, लेकिन यह नाकेबंदी तोड़ने की सबसे बड़ी कोशिश बताई जा रही है।
दुनियाभर में प्रदर्शन
इस्राइल की इस कार्रवाई से यूरोप से लेकर एशिया और लैटिन अमेरिका तक प्रदर्शन भड़क उठे। मैड्रिड और बार्सिलोना में हजारों लोग सड़कों पर उतरे, वहीं पेरिस, रोम और जेनेवा में भी विरोध हुआ। इटली की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन ने शुक्रवार को एक दिन की हड़ताल का ऐलान किया। प्रदर्शनकारियों ने न केवल फ्लोटिला रोके जाने का विरोध किया, बल्कि गाजा पर जारी इस्राइल-हमास युद्ध को भी खत्म करने की मांग उठाई।
दक्षिणपंथी मंत्री का विवादित बयान
इस्राइल के दक्षिणपंथी राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-गवीर ने अशदोद बंदरगाह पर हिरासत में लिए गए कार्यकतार्ओं का मजाक उड़ाया। वीडियो फुटेज में वह कार्यकतार्ओं को आतंकवाद समर्थक बताते और उनकी सहायता पहल को उपहास में लेते नजर आए। इस दौरान एक कार्यकर्ता ने ह्लफ्री फलस्तीनह्व का नारा भी लगाया। कार्यकर्ता 40 से अधिक देशों से आए थे, जिनमें ग्रेटा थनबर्ग और मंडेला परिवार के सदस्य भी शामिल थे।
मानवाधिकार और नाकेबंदी का मुद्दा
इस्राइल ने पहले ही चेतावनी दी थी कि गाजा पहुंचने वाले किसी भी जहाज को रोका जाएगा। कार्यकतार्ओं पर हमास से संबंध होने का आरोप लगाया गया, हालांकि ठोस सबूत सामने नहीं रखे गए। कार्यकतार्ओं ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका उद्देश्य सिर्फ गाजा के लिए राहत पहुंचाना और नाकेबंदी का विरोध करना था।