हूती विद्रोहियों ने कहा कि अल-रहावी अगस्त 2024 से हूती नेतृत्व वाली सरकार के प्रधानमंत्री थे। उनको अन्य मंत्रियों के साथ सरकार की पिछले वर्ष की गतिविधियों और प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए आयोजित नियमित कार्यशाला के दौरान निशाना बनाया गया।
By: Sandeep malviya
Aug 30, 202510:58 PM
काहिरा। इस्राइल ने एक बार फिर यमन की राजधानी सना पर हवाई हमले किया। बताया जा रहा है कि हमलों में हूती विद्रोही नियंत्रित सरकार के प्रधानमंत्री अहमद अल रहावी की मौत हो गई। साथ ही हमले में कई और मंत्रियों ने भी जान गंवा दी। हूती विद्रोहियों ने कहा कि अल-रहावी अगस्त 2024 से हूती नेतृत्व वाली सरकार के प्रधानमंत्री थे। उनको अन्य मंत्रियों के साथ सरकार की पिछले वर्ष की गतिविधियों और प्रदर्शन का मूल्यांकन करने के लिए आयोजित नियमित कार्यशाला के दौरान निशाना बनाया गया। वहीं इस्राइली सेना ने कहा कि उसने यमन के सना क्षेत्र में हूती आतंकी शासन के सैन्य ठिकाने पर सटीक हमला किया।
हमला उस वक्त किया गया जब शीर्ष नेता एक अपार्टमेंट में राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित एक भाषण कार्यक्रम देख रहे थे। यमन के एक चैनल ने बताया कि हूती प्रधानमंत्री अल-रहावी अपने कई सहयोगियों के साथ एक अपार्टमेंट में थे। हमले में हूती रक्षा मंत्री मोहम्मद नासिर अल-अथिफी और चीफ आफ स्टाफ मोहम्मद अब्द अल-करीम अल-गमारी के भी मारे जाने की संभावना है।
हमास के समर्थन में इस्राइल पर मिसाइल दागते रहें हैं हूती
गाजा में हमास के खिलाफ युद्ध के दौरान हूतियों ने इस्राइल पर बार-बार मिसाइलें दागी हैं। हूती विद्रोहियों का कहना है कि ये हमले फलस्तीनियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए किए जा रहे हैं। हालांकि यमन की ओर से दागी गईं ज्यादातर मिसाइलें इस्राइल ने रोक लीं और हवा में ही उनके टुकड़े-टुकड़े कर दिए। हूती संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय और सरकारी अधिकारियों के अनुसार इस सप्ताह के शुरू में इस्राली हमलों ने सना के कई क्षेत्रों को निशाना बनाया। इसमें कम से कम 10 लोग मारे गए और 102 अन्य घायल हो गए।
ट्रंप प्रशासन के साथ किया था समझौता
इससे पहले इस्राइल और अमेरिका ने यमन में विद्रोहियों के कब्जे वाले इलाकों पर बमबारी की। इसमें सना और रणनीतिक तटीय शहर होदेदा भी शामिल था। इस्राइली हमलों के कारण मई में सना हवाई अड्डा सेवा से बाहर हो गया था। ट्रम्प प्रशासन ने मई में हूतियों के साथ एक समझौते की घोषणा की थी। इसके तहत वे लाल सागर में जहाजों पर हमले बंद करने के बदले हवाई हमले बंद करेंगे। हालांकि, विद्रोहियों ने कहा कि इस समझौते में उन ठिकानों पर हमले रोकने की बात शामिल नहीं थी जो इस्राइल से संबद्ध हैं।