मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में दूषित कफ सिरप पीने से एक माह में नौ बच्चों की मौत हो गई और पांच अब भी जिंदगी और मौत से अस्पताल में जूझ रहे हैं। बायोप्सी रिपोर्ट में सिरप में डायएथिलीन ग्लायकॉल मिलने की पुष्टि भी हो चुकी। जहां आनन-फानन में प्रशासन ने नेक्सट्रो-डीएस और कोल्ड्रिफ सिरप पर रोक लगा दी है। जांच जारी है।
By: Arvind Mishra
Oct 03, 2025just now
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में दूषित कफ सिरप पीने से एक माह में नौ बच्चों की मौत हो गई और पांच अब भी जिंदगी और मौत से अस्पताल में जूझ रहे हैं। बायोप्सी रिपोर्ट में सिरप में डायएथिलीन ग्लायकॉल मिलने की पुष्टि भी हो चुकी। जहां आनन-फानन में प्रशासन ने नेक्सट्रो-डीएस और कोल्ड्रिफ सिरप पर रोक लगा दी है। जांच जारी है। लेकिन यहां सबसे हैरानी की बात यह है कि नौ बच्चों की मौत के बाद भी किसी भी जिम्मेदार अधिकारी पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है। इससे स्वास्थ्य विभाग कठघरे में नजर आ रहा है। लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। दरअसल छिंदवाड़ा जिले में बच्चों में किडनी फेलियर से हो रही मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। क्योंकि पिछले लगभग 30 दिनों में यह आंकड़ा बढ़कर 9 तक पहुंच गया है। इधर, दावा किया जा रहा है कि नागपुर में इलाज के दौरान दो और बच्चे की मौत हो गई, जिसके बाद कुल मौतों की संख्या 9 हो गई है।
मृतकों में दिव्यांश चंद्रवंशी (7 वर्ष) डुड्डी, अदनान खान (5 वर्ष) न्यूटन चिखली, हेतांश सोनी (5 वर्ष) उमरेठ, उसैद (4 वर्ष) परासिया, श्रेया यादव (18 माह) परासिया, विकास यदुवंशी (4 वर्ष) दीघावानी, योगिता विश्वकर्मा (5 वर्ष) बोरिया, संध्या भोसोम- चाकाढाना और चंचलेश यदुवंशी- गायगोहान शामिल हैं।
किडनी फेलियर से बच्चों की मौत का सिलसिला 4 सितंबर को पहली मौत के साथ शुरू हुआ था और एक महीने के भीतर यह 9 पर पहुंच गया। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य महकमा और प्रशासन लगातार सक्रिय हैं। स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन इस बीमारी के मूल कारण का पता लगाने और प्रभावित बच्चों को उचित उपचार देने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास कर रहा है।
परासिया एसडीएम सौरभ कुमार यादव ने बताया कि प्रशासन द्वारा अब तक 1,400 बच्चों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है, और यह स्क्रीनिंग अभियान जारी है। वर्तमान में रोजाना 120 बच्चों की स्क्रीनिंग की जा रही है, ताकि संभावित मामलों की जल्द पहचान कर उनका इलाज किया जा सके।
सात बच्चों के बाद दो और बच्चियों की मौत से जिले में हड़कंप मच गया है। पांच बच्चे छिंदवाड़ा और नागपुर के अस्पतालों में भर्ती थे। जसमें 18 महीने की संध्या भोसोम की भी नागपुर के अस्पताल में मौत हो गई है। वहीं, गायगोहान के चंचलेश यदुवंशी की भी नागपुर में उपचार के दौरान मौत हो गई। चंचलेश के एक रिश्तेदार बच्चे की डुड्डी गांव में किडनी फेल होने के बाद मौत हुई थी।
इनका कहना है
जांच करा रहे हैं कि बच्चों को उनके अभिभावकों ने किससे दवा दिलाई थी। संबंधित कप सिरप को जिले में प्रतिबंधित कर दिया गया है। अगर किसी झोलाछाप से दवा दिलाई होगी तो उस पर सख्त एक्शन लिया जाएगा। हम किडनी संक्रमण की वजह पता करने के लिए पानी की भी जांच करा रहे हैं।
शीलेन्द्र सिंह, कलेक्टर, छिंदवाड़ा
जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें से कई की किडनी बायोप्सी जांच कराई गई। इसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि कफ सिरप में मिला डायएथिलीन ग्लायकॉल दूषित पाया गया है। यही सिरप इन बच्चों को दिया गया था, जिससे उनकी किडनी फेल हुई। नागपुर लैब से आई किडनी बायोप्सी रिपोर्ट में टॉक्सिन मीडिएटेड इंजरी की पुष्टि हुई है।
डॉ. पवन नांदुलकर, शिशु रोग विशेषज्ञ, छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज